एसआईआर… ममता पीछे हटी, राहुल विरोध पर अड़े

एसआईआर… ममता पीछे हटी, राहुल विरोध पर अड़े
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स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) पर मुखर रहने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अचानक इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है, क्योंकि 2026 के चुनाव नजदीक हैं। अवैध घुसपैठियों को बचाने का आरोप लगने से हिंदू मतदाता नाराज हो सकते हैं।

लेकिन राहुल गांधी इस मुद्दे पर हार मानने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। कांग्रेस ने चुनाव नतीजों की समीक्षा करने की बजाय मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई। घूम-फिर कर वोट चोरी का मुद्दा ही राहुल गांधी के समूचे राजनीतिक विमर्श का केंद्रीय मुद्दा अभी भी बना हुआ है।

चूंकि कांग्रेस पार्टी लगातार हार का विश्लेषण कर रही है, राहुल गांधी के लिए सबसे आसान कारण वोट चोरी ही दिखाई दे रहा है। इसलिए वे इस मुद्दे पर अड़े हैं। लेकिन यह बिल्ली को देखकर कबूतर की तरह आंखें बंद कर लेने वाली प्रवृत्ति प्रतीत होती है।

कांग्रेस और राहुल गांधी स्वयं को महात्मा गांधी का अनुयायी तो मानते हैं, लेकिन जब उनके आदर्शों पर चलने की बात आती है, तो वे अलग राह पर चलते दिखते हैं। महात्मा गांधी ने जब चंपारण में पहला सत्याग्रह किया था, तब कहा था कि सत्य इस रूप में सामने आना चाहिए कि उसे कहीं भी प्रस्तुत किया जा सके और वह गलत साबित न हो। लेकिन राहुल गांधी का वोट चोरी का दावा सिर्फ उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत होता है और उसके बाद हर जांच में गलत साबित हो जाता है। इससे जनता में उनकी गंभीरता और साख कम होती है।

राहुल का आरोप है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा ने कर्नाटक में वोट चोरी कर लिया, जबकि वहां कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन लोकसभा चुनाव से एक साल पहले उसी मतदाता सूची और उसी चुनाव आयोग के तहत कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में बड़े बहुमत से जीत हासिल की थी। यानी भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में वोट चोरी नहीं की, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कर दी।

भाजपा ने 2024 में जहां कांग्रेस की सरकार थी वहां वोट चोरी की, लेकिन महाराष्ट्र में जहां खुद भाजपा की सरकार थी, वहां भाजपा ने लोकसभा चुनाव में वोट चोरी नहीं की और बुरी तरह हार गई। इन तथ्यों से राहुल गांधी के आरोपों की संगति नहीं बैठती।

बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद राहुल ने एक्स पर पोस्ट किया कि एसआईआर ने लोकतंत्र को चुरा लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग भाजपा का कठपुतली है। शायद इस रणनीति के जरिए राहुल अपनी हार को सिस्टम की साजिश बताकर पार्टी में विद्रोह को रोकना चाहते हैं।

इंडिया ब्लॉक की ओर से एसआईआर पर जितना समर्थन चाहिए था, वैसा न मिलने के बावजूद राहुल गांधी इस मुद्दे पर जोर बनाए हुए हैं। देश में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) को लेकर चुनाव आयोग की साख खराब करने का आरोप लगाते हुए 272 वरिष्ठ अधिकारियों ने भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पत्र लिखा है। इनमें 16 पूर्व न्यायाधीश, 123 सेवानिवृत्त नौकरशाह, 14 पूर्व राजदूत और 133 पूर्व सैन्य अधिकारी शामिल हैं।

सामूहिक रूप से लिखे पत्र में उन्होंने कांग्रेस और विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाया है कि वे लगातार बेबुनियाद आरोपों के जरिए चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं की साख खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग के खिलाफ सबूत होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन कोई भी शिकायत नहीं की गई। इससे स्पष्ट है कि चुनाव आयोग को सिर्फ बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन राहुल गांधी पर इस पत्र का कोई असर नहीं दिख रहा है।

कांग्रेस पार्टी दिसंबर के पहले सप्ताह में दिल्ली के रामलीला मैदान में एसआईआर के खिलाफ एक विशाल रैली आयोजित करने जा रही है। अच्छा तो यह होता कि राहुल गांधी आगे बढ़कर बिहार चुनाव में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी स्वयं अपने ऊपर लेते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

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