आतंक और हिंसा से जुड़े रोहिंग्याओं के तार

आतंक और हिंसा से जुड़े रोहिंग्याओं के तार
X
प्रमोद भार्गव

मणिपुर और हरियाणा समेत देश के अनेक क्षेत्रों में रोहिंग्या मुस्लिमों का आतंक और हिंसा से जुड़े होने के स्पष्ट प्रमाण मिल चुके हैं। नूंह की हिंसा में शामिल दो रोहिंग्या युवकों सैफुल्ला और महबूब को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है, बावजूद तथाकथित मानवतावादी इन अवैध घुसपैठियों को संरक्षण देने का काम कर रहे हैं। मणिपुर के बाद हरियाणा के मुस्लिम बहुल क्षेत्र मेवात तक हिंसा, आगजनी और हत्या की जो घटनाएं सामने आ रही हैं, उनमें रोहिंग्या कनेक्शन सामने आया है। म्यांमार से आए कुकी समुदाय का साथ देने के लिए बड़ी संख्या में रोहिंग्या भारत आए थे। मणिपुर ही नहीं पश्चिम बंगाल समेत पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में रोहिंग्या बस्तियां अस्तित्व में आ चुकी हैं। बैंग्लुरु में भी इनकी अवैध बसाहट संकट का सबब बनी हुई है। धारा-370 हटने से पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने तो इन्हें यहां की धरती पर बसने के वैधता के प्रमाण-पत्र भी दे दिए थे। हरियाणा में नूंह की हिंसा के बाद इनकी अवैध बस्तियों पर बुलडोजर भी चलाया जा रहा है। इस हिंसा में अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र होने के प्रमाण भी मिले हैं। 27 जुलाई को इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल ने हिंदी में एक ट्विट कर देश के सद्भाव को बिगाड़ने के लिए बारूद का काम किया। यह भारत विरोधी संगठन है, इसे संरक्षण अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस दे रहे हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाने के प्रयास में भी सोरोस कई संगठनों को आर्थिक मदद कर रहे हैं। अलबत्ता मणिपुर से हरियाणा तक की हिंसा में रोहिंग्याओं की लिप्तता के संकेत मिल रहे हैं, इसलिए इस हकीकत पर पर्दा डालने की दृष्टि से 'रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव' ने 18 अगस्त को भारत में इनकी सुरक्षा को लेकर एक बैठक बुलाई है। जबकि रोहिंग्या युवकों के हिंसा में शामिल होने के आरोप में अनेक प्राथमिकियां थानों में दर्ज है। भारत को अस्थिर करने के लिए तथाकथित विदेशी ताकतें रोहिंग्याओं को औजार बनाने का काम कर रही हैं।

म्यांमार में दमन के बाद करीब एक दशक में रोहिंग्या मुस्लिम भारत, नेपाल, बांग्लादेश, थाईलैंड, इंडोनेशिया, पाकिस्तान समेत 18 देशों में पहुंचे हैं। एशिया में जिन देशों में इनकी घुसपैठ हुई है, उनमें से छह देशों की सरकारों के लिए ये परेशानी का सबब बने हुए हैं। भारत में इनको लेकर कई दिक्कतें पेश आ रही हैं। देश में इनकी मौजूदगी से एक तो आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं, दूसरे इनके तार आतंकियों से भी जुड़े पाए गए हैं। प्रतिबंधित कट्टरपंथी पीएफआई संगठन से इनके संबंधों की तस्दीक हो चुकी है। नतीजतन देश में कानून व्यवस्था की चुनौती खड़ी हो रही है। अलबत्ता कुछ लोग और संगठन ऐसे भी हैं, जो इन्हें भारत के मूल निवासी बनाने के दस्तावेज बनवाने में लगे हैं। जबकि बांग्लादेश के घुसपैठिए पहले से ही मुसीबत बने हुए हैं। रोहिंग्याओं ने कमोबेश यही स्थिति बांग्लादेश में बनाई हुई है। ये स्थानीय संसाधनों पर लगातार काबिज होते जा रहे हैं।

भारत में गैरकानूनी ढंग से घुसे रोहिंग्या किस हद तक खतरनाक साबित हो रहे हैं, इसका खुलासा अनेक रिपोर्टों में हो चुका है, बावजूद भारत के कथित मानवाधिकारवादी इनके बचाव में बार-बार आगे आ जाते हैं। जबकि दुनिया के सबसे बड़े और प्रमुख मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि म्यांमार से पलायन कर भारत में शरणार्थी बने रोहिंग्या मुसलमानों में से अनेक ऐसे हो सकते हैं, जिन्होंने म्यांमार के अशांत रखाइन प्रांत में हिंदुओं का नरसंहार किया है ? रोहिंग्याओं ने 25 अगस्त 2017 को इस प्रांत के दो ग्रामों में 99 हिंदुओं की निर्मम हत्या कर उन्हें धरती में दफन कर दिया था। रोहिंग्या आतंकियों ने अगस्त 2017 में रखाइन में पुलिस चौकियों के साथ म्यांमार के गैर मुस्लिम बौद्ध और हिंदुओं पर कई जानलेवा हमले किए थे। इस हमले में हजारों बौद्ध और हिंदू मारे गए थे। नतीजतन म्यांमार सेना ने व्यापक स्तर पर आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाया। जिसके परिणामस्वरूप करीब 15 लाख से ज्यादा रोहिंग्याओं को पलायन करना पड़ा। इनमें से 40,000 से भी ज्यादा भारत में घुसपैठ करके शरण पाने में सफल हो गए, शेष बांग्लादेश, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, थाईलैंड और नेपाल चले गए थे। मुस्लिम देश होने के बावशूद इंडोनेशिया इनके आपराधिक चरित्र से परेशान है, अतएव वह इन्हें निकालने में लगा है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना कह रही हैं कि हमारे यहां अधिकांश रोहिंग्या ड्रग एवं महिला तस्करी शैसे अपराधों में लिप्त है। जो कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन गए हैं। बांग्लादेश में 10.10 लाख रोहिंग्या संकट का सबब बने हुए हैै। थाईलैंड में 92 हजार रोहिंग्याओं ने शरण ली हुई है। इनमें से 13 हजार को वापस भेजा जा चुका है। भारत की सख्ती के चलते कुछ रोहिंग्या घुसपैठ में असफल होकर नेपाल चले गए हैं। यहां इन्हें शिहादी गुटों से आतंक को अंजाम तक पहुंचाने के लिए आर्थिक मदद मिल रही है। पाकिस्तान में भी करीब ढाई लाख रोहिंग्या पहुंचे हैं। इनमें से ज्यादातर को आतंकवाद का प्रशिक्षण देकर बांग्लादेश की सीमा से भारत में टुकड़ियों में प्रवेश करा दिया जाता है। हैरानी होती है कि इन घुसपैठियों को कुछ लोग एवं गिरोह भारत की नागरिकता का आधार बनाने के लिए मतदाता पहचान-पत्र, आधार कार्ड और राशन कार्ड भी बनवाकर दे रहे हैं। जिससे इन्हें भारत के नगरों में बसने में कोई परेशानी न हो। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

Next Story