रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी नहीं, घुसपैठिए

रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी नहीं, घुसपैठिए
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डॉ. सुब्रतो गुहा

जो तुमको हो पसंद: भारत आज विनाश की कगार पर है। हिन्दूवादी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के विगत नौ वर्षों के दौरान भारतीय मीडिया, विशेष रूप से सोशल मीडिया हिंसक विचारों और नफरत से भरा हुआ है। धार्मिक धु्रर्वीकरण तथा हिन्दू वर्चस्व की तीव्र भावनाएं उभरी हंै। बहुसंख्यकवाद तथा हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना साकार करने का प्रयास जारी है, ताकि भारत के सेकुलर गणतंत्र का स्वरूप ही बदल जाए। विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश भारत आज एक संघर्ष क्षेत्र में परिणत हो चुका है। दक्षिणपंथी हिन्दू उग्रवादी निरंतर अल्पसंख्यकों विशेष रूप से मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं। मई माह से भारत के मणिपुर राज्य में चल रहे भयावह जनजाति संघर्ष में हिन्दू जनजाति भीतेई के निशाने पर राज्य के ईसाई रहे हैं तथा इस संघर्ष में अब तक एक सौ पचास लोग मारे जा चुके हैं। मुख्यत: धर्मावलंबी भीतेई द्वारा हिंसा के शिकार हुए हंै। इस वर्ष के प्रारंभ में भरतीय जनता पार्टी शासित मणिपुर की सरकार ने नागरिकता प्रमाणीकरण अभियान चलाया था, जो कि मूलत: म्यांमार से मणिपुर आए ईसाई कुकी जनजाति के लोगों की निजता के अधिकार के विरद्ध है।

- स्तंभकार देाशीष चौधरी, न्यूयार्क टाईम्स, अमेरिका

(टिप्पणी- इसी अगस्त माह में इस बात के अनेक ठोस प्रमाण पुलिस ने न्यायालय में प्रस्तुति किए कि भारत में कार्यरत समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक वास्तव में चीन की साम्यवादी सरकार के पैसों से संचालित है। इसलिए दिन प्रतिदिन प्रात:काल प्रसारित जनता को भ्रमित करने का दायित्व निर्वहन करती रही है। ऐसे ही अनेक स्वघोषित प्रगतिशील वामपंथी मीडिया घराने तथा पत्रकार जिनमें उपरोक्त स्तंभकार देवाशीष चौधरी है, चीनी आभामंडल में चीनी धनबल के द्वारा प्रेरित होकर विदेशी समाचार पत्रों में संवाददाता अथवा स्तंभकार बनकर भारत विरोधी चीनी एजेंडा को ही यह कहते पूरा करते हैं, जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे।)

काफिर निशाने पर

पाकिस्तान के फैसलाबाद, जरानावाला इत्यादि शहरों में एक ईसाई द्वारा इस्लामी धर्मग्रंथ कुरान के कथित अपमान का हवाला देकर आक्रोशित इस्लामी कट्टरपंथियों ने ईसाई गिरजाघरों, मकानों, दुकानों में तोड़फोड़ की आगजनी की तथा सैकडो़ं ईसाईयों को गंभीर रूप से घायल किया। एक निर्धन ईसाई महिला परवीन ने रोते हुए द डॉन संवाददाता को बताया, प्रात: पांच बजे हम सब सौ रहे थे, जब स्थानीय मस्जिद के लाउडस्पीकर से ईशनिन्दा का आरोप लगाकर मुसलमानों से आव्हान किया गया कि ईसाईयों पर टूट पड़े और उन्हें सबक सिखाएं। हम जान बचाने के लिए भागे, परन्तु हमारा घरबार आग के हवाले कर दिया, कुछ भी नहीं बचा। गिरजाघरों के पादरियों के घर भी जला दिए गए। यूनाईटेड प्रेसबाई टेरियन गिरजाघर के एक अधिकारी ने हमारे द डान संवाददाता को बताया कि कुल पच्चीस गिरजाघरों को हथियारबंद मुस्लिम भीड़ ने पाकिस्तान के विभिन्न हस्सिों में जलाकर राख कर दिया।

- द डॉन, कराची, पाकिस्तान

(टिप्पणी- भारत में जान दयाल, रोमा विल्सन जैसे कई ईसाई नेतागण ईसाई मुस्लिम भाई-भाई के नारे यह सोचकर लगाते हैं कि जिहादी इस्लामी आतंकवादी केवल हिन्दुओं को निशाना बनाएंगे तथा ईसाईयों के प्रति सम्मान एवं प्रेम का प्रदर्शन करेंगे, परन्तु ईसाई नेता भूल जाते हैं कि जिहादी कट्टरपंथियों की नजरों में काफिर के केवल हिन्दू ही नहीं, बल्कि ईसाई, यहूदी, पार्सी सिख इत्यादि काफिर है तथा वार्जिबुल कत्ल अर्थात मार दिए जाने लायक है, परन्तु क्या करे जान दयाल, रोमा विलसन जैसे तथाकथित ईसाई नेताओं के लिए अपने ही ईसाई समाज के नर-नरियों के जान माल एवं प्रतिष्ठा की रक्षा से अधिक महत्वपूर्ण है। मानवता के दुश्मन जिहादी आतंकियों व कट्टरपंथियों का मित्रता। नजर नजर का फेर है।)

मान न मान मैं तेरा मेहमान

भारत के हरियाणा राज्य के मुस्लिम बहुल नूंह शहर में विगत दिनों के हिन्दू मुस्लिम सांप्रदायिक दंगे के बाद म्यांमार से और नूंह में बसे हजारों रोहिंग्या मुस्लिम गिरफ्तारी और कारागार में बंद होने के डर के साए में जीने को मजबूर। ऐसे ही एक रोहिंग्या शरणार्थी अब्दुल जब्बार ने अल जजीरा संवाददाता को बताया कि हरियाणा पुलिस ने उसके पुत्र को दंगा करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। अब्दुल जब्बार के शब्दों में नूंह में हम रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों के लिए भय का ऐसा वातावरण है कि हमें रात में पास के खेतों और जंगलों में छुपकर रात व्यतीत करना पड़ता है।

- अल जजीरा, दोहा, कतर

(टिप्पणी- म्यांमार से पलायन हेतु रोहिंग्या मुस्लिम मजबूर हुए, क्योंकि अरकान ोरहिंग्या सालवेशन आर्मी नामक उनके इस्लामी जिहादी संगठन ने म्यांमार के बौद्ध बहुसंख्यकों की हत्या महिलाओं से दुराचार, हिंसा, आगजनी इत्यादि आपराधिक कृत्यों द्वारा बौद्ध बहुसंख्यकों को प्रतिक्रिया देने हेतु मजबूर कर दिया, जिसके फलस्वरूप रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार छोड़कर भागना पड़ा। स्पष्ट है कि हम भारत की पवित्र भूमि पर ऐसे कुख्यात आपराधिक तत्वों को तो कदापि बसने नहीं देंगे, जो कहना चाहते हैं, मान न मान, मैं तेरा मेहमान)

(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)

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