धर्म और राजनीति
इस समय देश के जो हालात हैं, उसमें किसी भी राजनीतिक दल को गलत राजनीति नहीं करनी चाहिए। इस महामारी में गंदी राजनीति कोई वह चाहे धर्म में करे या राजनीति में कटाक्ष करे गलत है। सभी धर्म अहिंसा का पाठ पढ़ाते हैं और अहिंसा से ही देश आजाद हुआ है। इस कलयुग में हम सभी हिंसा कर ऊंचा उठने की कोशिश कर रहे हैं।
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धर्म कोई छोटा नहीं होता है चाहे वह जैन धर्म हो या हिन्दू हो, मुस्लिम हो या ईसाई हो। कहने का तात्पर्य यह है कि सभी धर्म अपने आपमें श्रेष्ठ होते है। सभी की आस्था अपने धर्म में होती है, किंतु मेरा मानना यह है कि मानव धर्म ही सभी धर्मों में श्रेष्ठ है। इस समय देश के जो हालात हैं, उसमें किसी भी राजनीतिक दल को गलत राजनीति नहीं करनी चाहिए। इस महामारी में गंदी राजनीति कोई वह चाहे धर्म में करे या राजनीति में कटाक्ष करे गलत है। सभी धर्म अहिंसा का पाठ पढ़ाते हैं और अहिंसा से ही देश आजाद हुआ है। इस कलयुग में हम सभी हिंसा कर ऊंचा उठने की कोशिश कर रहे हैं।
मेरा किसी राजनीतिक दल से संबंध नहीं है, क्योंकि इस महामारी में चाहे जो भी राजनीतिक दल शासन कर रहे होते तो कुछ न कुछ कमी रहती। मैं तारीफ नहीं कर रहा हूं। बस यह कहना चाहता हूं कि इस समय के हालात में जो देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मानव धर्म का पालन करते हुए सभी मानव लोगों की सेवा करने का यथासंभव प्रयास कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी जो प्रदेश के लिए मानव धर्म का पालन करते हुए सभी नागरिकों की सेवा तन से, मन से और प्रशासन के सहयोग से कर रहे हैं यह निश्चित ही सराहनीय है। हो सकता है कि कुछ लोग मेरी इस बात का अर्थ का अनर्थ निकालकर जनता को भ्रमित करें, पर मेरा यह मानना है कि धर्म में राजनीति जैसे गुटबाज़ी, एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना तर्कहीन है और अपने धर्म को नीचे की ओर ले जा रहे हैं।
इस कलयुग में साधु वर्ग भी पैसे वालों की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं, ठीक है बिना पैसे के काम नहीं होता है। पैसा ही सब कुछ नहीं है। यदि सभी धर्मों के साधु अपने भक्तों को आदेश दें कि इस समय सभी लोग मानव धर्म का पालन करते हुए सेवा में जुट जाएं, तो देश को इस कोरोना महामारी से जल्द मुक्ति मिलेगी। जो आज हम सब घरों में कैद हैं, वो फिर से खुलकर जीवन को व्यतीत करने में अग्रसर होंगे। सरकार सिर्फ आदेश दे सकती है, चाहे वह केंद्र हो या फ़िर राज्य की। आइए हम सब मिलकर इस महामारी को दूर भगाने में सरकार की मदद करें। संकल्प लें कि यदि कुछ नहीं कर सकते हैं तो इतना कर ही सकते हैं कि अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सरकार के बताये निर्देशों का पालन करते हुए मानव धर्म का पालन करें।
इस समय प्रत्येक संस्था एवं उससे जुड़े सभी भाई और बहन जो कि मानव सेवा में लगे हुए हैं वे सभी प्रशंसा के पात्र हैं। मैं उनकी ह्रदय से अनुमोदना एवं सम्मान करता हूं। मैं पुनः आग्रह करता हूं कि कोई भी चाहे वह किसान हो या अधिकारी, व्यापारी हो या नेता इस समय इस महामारी में धर्म को राजनीति या राजनीति को धर्म से जोड़ कर देश और प्रदेश की समाज में विघटन पैदा करने की कोशिश न करे, तभी हम सभी अपनें खुशहाल जीवन में वापस आ पाएंगे।
(लेखक सुनील कुमार जैन लोकप्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं।)
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