भ्रामक विज्ञापन पर दंडात्मक प्रावधान

राकेश शिवहरे
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 द्वारा उपभोक्ता कानून में आमूलचूल बदलाव किए गए हैं, अब घटिया सामान बेचने वालों, गुमराह करने वाले, मिथ्या विज्ञापन देने और प्रसारण करने वालों को अब जेल की हवा एवं 1 लाख से 50 लाख तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। केंद्र सरकार द्वारा गठित नवीन केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण, उपभोक्ता अधिकारों की अनदेखी करने वाले, मिथ्या एवं भ्रमित करने वाले विज्ञापनों पर नजर रखेगा। प्राधिकरण द्वारा अपने पास स्वतंत्र जांच एजेंसी के रूप में इकाई होगी।
अधिनियम के अनुसार कोई भी वस्तु, सेवा या विज्ञापन उपभोक्ता के हित के प्रतिकूल हैं या उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन करते दर्शित होते हैं, ऐसे विज्ञापनों के विरुद्ध प्राधिकरण को विशेष अधिकार प्रदान किए हैं जिसके तहत प्राधिकरण संबंधित व्यापारी, बिनिर्माता, प्रष्ठांकक या विज्ञापन कर्ता या प्रकाशक को ऐसे विज्ञापनों को बंद करने उपांतरित करने अथवा आर्थिक दंड देने या कारावास की सजा देने का अधिकार प्राप्त है। इसके तहत केंद्रीय उपभोक्ता प्राधिकरण को निम्नलिखित दंडात्मक शक्तियां प्रदान की गई हैं।
प्राधिकरण कोई आदेश के होते हुए भी यदि केंद्रीय प्राधिकरण की राय है कि निर्माता या किसी प्रष्ठांकक द्वारा ऐसे मिथ्या या भ्रामक विज्ञापन के संबंध में आरोपित करना आवश्यक है तो वह भी निर्माता या प्रष्ठांकक पर कोई शास्ति (दंड) आरोपित कर सकेगा जो 10 लाख तक हो सकती है, परंतु केंद्रीय प्राधिकरण पुनरावृत्ति करने पर प्रत्येक पश्चावर्ती उल्लंघन की दशा में 50 लाख रु तक शास्ति (जुर्माना) अधिरोपित कर सकेगा। इसी प्रकार किसी आदेश के होते हुए भी यहां केंद्रीय प्राधिकरण यह आवश्यक समझता है तो वह आदेश द्वारा किसी मिथ्या या भ्रामक विज्ञापन के पृष्ठांकक को किसी उत्पाद या सेवा का प्रष्ठांकन करने से ऐसी अवधि की सजा के लिए जो 1 वर्ष तक की हो सकेगी ,कर सकेगा केंद्रीय प्राधिकरण का अन्वेषण करने के पश्चात यह समाधान हो जाता है कि किसी व्यक्ति को किसी भ्रामक विज्ञापन या प्रकाशक या ऐसे प्रकाशन में पक्षकार पाया जाता है तो ऐसे व्यक्ति पर जुर्माना (दंड)आरोपित कर सकेगा जो 10 लाख तक हो सकेगा ।
कोई व्यक्ति या प्रष्ठांकक यह साबित कर देता है उत्पाद या सेवा के संबंध में विज्ञापन में किए गए दावों की सत्यता का सत्यापन करने के लिए सम्यक सावधानी बरती है तथा विज्ञापन के प्रकाशन को अपने कारवार के साधारण प्रक्रम में प्रकाशित किया था तब ऐसे व्यक्ति या प्रष्ठांकक जुर्माने का उत्तरदाई नहीं माना जाना चाहिए। परंतु ऐसे व्यक्ति को ऐसा कोई बचाव उपलब्ध नहीं होगा, जिसे केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा ऐसे विज्ञापन के प्रतिसंहारण या उपांतरण के लिए पारित किए गए किसी पूर्वबर्ती आदेश की जानकारी थी ।
केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा धारा 20, 21 एवं 24 अंतर्गत किसी आदेश (सजा या दंड) की अपील आदेश प्राप्त के तीस दिन के भीतर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में अपील कर सकेगा।
(लेखक उपभोक्ता आयोग में वरिष्ठ न्यायिक सदस्य हैं)
