एसआईआर के सकारात्मक परिणाम

देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता विशेष गहन परीक्षण (एसआईआर) के दूसरे चरण में सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। इसमें फर्जी मतदाताओं का पता चल रहा है और उनके नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। इससे विपक्षी दलों के लिए चिंता बढ़ गई है और वे समय-समय पर इसका विरोध कर रहे हैं। अब तक लाखों मतदाता फर्जी पाए जाने से निश्चित ही कुछ दलों को नुकसान होगा। यही कारण है कि इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस कार्य को महत्वपूर्ण बताते हुए रोक लगाने से इंकार कर दिया, जिससे विपक्षी दलों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। पहले चरण (एसआईआर-1) में चुनाव आयोग ने बिहार में 25 जून 2025 से 30 सितंबर 2025 तक यह प्रक्रिया संचालित की थी, और उसके बाद बिहार में अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन किया गया।
अब एसआईआर 2.0 यानी दूसरा चरण चल रहा है। इस चरण में उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल तथा केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप शामिल हैं। कुल 12 राज्यों में पुनरीक्षण की प्रक्रिया चल रही है।
जैसे-जैसे यह प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, लाखों मतदाता अपना ब्योरा प्रस्तुत न कर पाने के कारण मतदाता सूची से बाहर हो रहे हैं। हालांकि, जो वास्तविक मतदाता किसी कारण से उपस्थित नहीं हैं या दस्तावेज़ पेश नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें आगे की प्रक्रिया में अपना पक्ष रखकर नाम जुड़वाने का अवसर मिलेगा। इसलिए इस प्रक्रिया को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है।
इस बीच, मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँचने पर विभिन्न राज्यों में एसआईआर में लगे बीएलओ के सामने आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए कई निर्देश जारी किए गए। सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने संबंधित राज्यों को आदेश दिया कि एसआईआर ड्यूटी के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति की जाए ताकि कार्यभार कम किया जा सके। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी व्यक्ति के पास विशिष्ट कारण हैं और वह काम से छूट चाहता है, तो मामले के आधार पर इस पर विचार किया जाएगा। राज्य सरकारें ऐसे अनुरोधों पर ध्यान दें और आवश्यकता पड़ने पर किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त करें। यदि कार्यबल बढ़ाने की आवश्यकता हो, तो राज्य कार्यबल उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं। यदि अन्य प्रकार से राहत नहीं मिलती है, तो पीड़ित व्यक्ति न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
वहीं दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल में दूसरे चरण के तहत मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण करते समय गणना प्रपत्र के डिजिटलीकरण के दौरान 50 लाख लोग ऐसे चिन्हित किए गए, जो राज्य में नहीं रहते। एसआईआर के दौरान अब तक यह सबसे बड़ा आंकड़ा है और माना जा रहा है कि आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ सकती है। खास बात यह है कि पश्चिम बंगाल में 24 घंटे के भीतर मतदाता सूची से बाहर किए जाने वाले लगभग चार लाख नाम शामिल किए गए।
50 लाख नामों में से 23 लाख से अधिक मृत मतदाताओं की श्रेणी में आते हैं, जबकि स्थानांतरित मतदाताओं की संख्या 18 लाख से अधिक है। गायब मतदाताओं की संख्या सात लाख से अधिक है। शेष बचे हुप्लीकेट मतदाता ऐसे हैं जिन्हें अन्य कारणों से हटाया गया है।इस स्थिति के चलते पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।
