विशेष आलेख: “आपरेशन सिंदूर” केवल सेना का पराक्रम नहीं, देश की सामूहिक चेतना का परिणाम…

अजय अग्रवाल, आगरा। जय हिंद, जय भारत—यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि करोड़ों देशवासियों की भावना और विश्वास है, जो हर भारतीय के दिल में भारत माता की सेवा और सुरक्षा के लिए समर्पित है। आज जब हम भारत की सैन्य शक्ति, कूटनीतिक रणनीति और देश की संप्रभुता की रक्षा में जुटे हर नागरिक के योगदान को देखते हैं, तो हमें गर्व होता है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं देता, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर निर्णायक कदम भी उठाता है।
1971 के बाद पहली बार भारत ने सीमा पार की कार्रवाई करते हुए आतंकवाद के गढ़ पर सटीक प्रहार किए। यह कार्रवाई केवल सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि उन शहीदों को समर्पित थी जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। यह एक स्पष्ट संदेश था—अब भारत चुप नहीं बैठेगा। आतंक की धरती को निशाना बनाकर भारत ने यह सिद्ध किया कि अब वह ‘नई नीति’ के साथ आगे बढ़ रहा है—आतंकवाद जहां पनपेगा, वहीं समाप्त किया जाएगा।
यह केवल सेना का पराक्रम नहीं, बल्कि एक देश की सामूहिक चेतना का परिणाम है। भारत की सेनाओं में आज महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर देश की रक्षा कर रही हैं। एयरफोर्स में सेवा दे रहीं महिलाएं, जैसे कि ग्रुप कैप्टन सोफिया कुरैशी, इसका प्रमाण हैं कि भारत की शक्ति केवल पुरुषों तक सीमित नहीं, बल्कि हमारी नारियाँ भी सीमाओं की रक्षा में आगे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि अब हर आतंकी कार्रवाई का जवाब सटीक और निर्णायक होगा। जमीन कम पड़ जाएगी, लेकिन हम चुन-चुन कर मारेंगे—यह शब्द केवल बयान नहीं, भारत की नई सैन्य नीति की भावना को दर्शाते हैं। पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में की गई एयरस्ट्राइक इसका जीता-जागता प्रमाण है। आज भारतवासी यह महसूस कर रहे हैं कि उनका देश सुरक्षित हाथों में है। प्रधानमंत्री की नीतियों और सेना के शौर्य के कारण ही देश में जोश और आत्मविश्वास की लहर है।
जय हिंद, जय भारत।