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एक भारत रत्न ने बदली पश्चिम यूपी की राजनीति

अशोक मधुप

एक भारत रत्न ने बदली पश्चिम यूपी की राजनीति
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कल तक विपक्ष आईएनडीआईए बनाकर एकजुटता दिखाते हुए दिल्ली फतह करने की तैयारी में था। अब भाजपा के बिहार के बाद यूपी में किए खेल में विपक्ष के सारे समीकरण बिगड़ गए। भाजपा की इस गुगली में विपक्ष धराशाई हो गया।बिहार का अभी नितीश कुमार का भाजपा से गठबंधन का मामला ठंडा नहीं पड़ा था कि भाजपा ने किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दे दिया। इस एक भारत रत्न से भाजपा पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति का नक्शा बदलने में कामयाब हो गई। इस भारत रत्न ने पश्चिम उत्तर प्रदेश में विपक्षी एकता की पूरी तरह से जड़े हिलाकर रख दीं। इस भारत रत्न से जहां भाजपा को सीधे लाभ मिलेगा, वहीं विपक्ष को भारी नुकसान होगा। पश्चिम उत्तर प्रदेश के जाटों की केंद्र में जाट आरक्षण की मांग को नुकसान होगा। पिछले काफी समय से पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाटों का काफी बड़ा तबका भाजपा से जुड़ गया था। मुजफ्फर नगर के दंगे ने इसे और एकजुट किया। राम मंदिर के नाम पर तो ये ध्रुवीकरण और हुआ। रालोद का परंपरागत वोट ही उसके पास बचा था। इस भारत रत्न के बाद भाजपा-रालोद गठबंधन से यह वोट भाजपा को लाभ ही पहुंचाएगा ।

अब तक का राजनैतिक दृश्य कह रहा है कि उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा का गठबंधन नही होगा। बसपा सुप्रीमो सुश्री मायावती इसकी कई बार घोषणा कर चुकी हैं। सपा पश्चिम में रालोद के साथ मिलकर भाजपा के सम्मुख मैदान में उतरने की तैयारी में थीं। सीट भी तय हो गईं थीं कि कौन किस सीट पर चुनाव लड़ेगा,पर ये राजनीति है। इसमें अगले पल क्या हो जाए , कुछ नही कहा जा सकता। और ये हो गया। किसान नेता चौधरी चरणसिंह को भारत रत्न मिलने के बाद रालोद का भाजपा के साथ जाना सरल हो गया। रालोद के भाजपा के साथ जाने से पश्चिम उत्तर प्रदेश के पूरे ही समीकरण बदल गए। तय हो गया कि पश्चिम का भाजपा-रालोद में बंटा 18 प्रतिशत जाट वोट सीधा अब रालोद -भाजपा गठबंधन को जाएगा। सपा अब यहां कोई करिश्मा नहीं दिखा पाएगी।

सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस से गठबंधन से पहले इंकार कर दिया है। बाद में रालोद के साथ रहने के दौरान उन्होंने यूपी में कांग्रेस को सिर्फ 11 सीट देने की घोषणा की थी, अब बदले हालात में रालोद के भाजपा के साथ जाने के बाद वे क्या करेंगे, यह समय ही बताएगा। अब तक कांग्रेस के सामने हेकड़ी दिखा रहे सपा सुप्रीमों अखिलेश का चुनावी समीकरण औरं गठबंधन कांग्रेस से अपनी शर्त पर होगा या कांग्रेस की, यह अभी नहीं कहा जा सकता, किंतु यह तय है कि अब तक का उसका कांग्रेस के प्रति कठोर रवैया जरूर मुलायम होगा। पिछले विधान सभा चुनाव में पश्चिम उत्तर प्रदेश ने सपा- रालोद गठबंधन के जाट-मुस्लिम समीकरण के बावजूद बीजेपी ने कुल 136 विधानसभा सीटों में से 94 सीटों पर कब्जा किया था। पश्चिमी यूपी की 22 जाट बहुल सीटों पर बीजेपी ने विजय हासिल की थी। पश्चिम यूपी में करीब 18 प्रतिशत जाट आबादी है, जो सीधे चुनाव पर असर डालती है। यानी जाट समुदाय का एकमुश्त वोट पश्चिमी यूपी में किसी भी दल की हार-जीत तय करता है।2019 के चुनाव में जाटलैंड की सात सीटों पर बीजेपी को हार मिली थी. बीजेपी को मुजफ्फरनगर, मेरठ समेत तीन सीटों पर काफी कम अंतर से जीत मिली थी। आरएलडी के भाजपा नीत गठबधंन एडीए के साथ आने से यहां बीजेपी की जीत की राह आसान हो जाएगी।

2009 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। किसान आंदोलन के बाद उपजे किसान आक्रोश को कम करने के लिए भाजपा ने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी रालोद प्रमुख जयंत को साधने की कोशिश की थी, लेकिन वे उन्हें जोड़ने में कामयाब नहीं हो पाई। लोकसभा चुनाव में अपने मिशन को पूरा करने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चौधरी की जरूरत भाजपा को महसूस हो रही थी। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने के बाद अब यह खेला पूरा हो गया।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Updated : 12 Feb 2024 8:28 PM GMT
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City Desk

Web Journalist www.swadeshnews.in


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