लीवर से जुड़ी घातक बीमारी हेपेटाइटिस

लीवर से जुड़ी घातक बीमारी हेपेटाइटिस
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विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर विशेष

विनीता झा

लीवर हमारे शरीर का बहुत जरूरी अंग होता है जो खून में से टॉक्सिन्स को साफ करने के साथ ही भोजन पचाने की प्रक्रिया में मदद करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 350 मिलियन से अधिक लोग वायरल हेपेटाइटिस के साथ जी रहे हैं और हर 30 सेकंड में, लीवर फेल्योर, सिरोसिस और कैंसर सहित हेपेटाइटिस से संबंधित बीमारी से कम से कम एक व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। इसीलिए हर साल लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है, जिससे लोग इस बीमारी को लेकर जागरूक हो सकें। डॉक्टर महेश गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट- मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली के मुताबिक कुछ लापरवाही के कारण हम हेपेटाइटिस की चपेट में आ जाते हैं और हेपेटाइटिस के कारण लीवर में संक्रमण के चलते सूजन आ जाती है। इसका असर लीवर पर पड़ने से जान का भी खतरा बना रहता है। यदि प्रारंभिक चरण में इलाज नहीं किया गया तो यह महंगा हो सकता है इसलिए जितनी जल्दी हो सके इलाज करना बेहतर होगा।

हेपेटाइटिस से बचने के लिए इसके बारे में जागरूक होना बहुत आवश्यक है। इसके लिए आपको इसके लक्षणों पर ध्यान देना होगा सबसे प्रमुख लक्षण लीवर में सूजन आ जाना होता है, जो बाद में विकराल रूप ले लेता है और इसके कारण भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर मौतों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। वैश्विक स्तर पर हेपेटाइटिस के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए जन्म के बाद ही शिशु को वैक्सीन देकर हेपेटाइटिस के खतरे से बचाया जा सकता है। सामान्य कमजोरी, भूख न लगना, हल्का बुखार या पीलिया जैसे लक्षणों के चलते हेपेटाइटिस हो सकता है।

हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है- ए, बी, सी, डी और ई। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हेपेटाइटिस ए से हर साल लगभग 1.4 मिलियन लोग ग्रस्त हो रहे हैं। एक्यूट हेपेटाइटिस में अचानक लीवर में सूजन आती है, जिसके लक्षण 6 महीने तक रहते हैं। इलाज होने पर रोग धीरे धीरे ठीक होने लगता है। एक्यूट हेपेटाइटिस आमतौर पर एचएवी इंफेक्शन के कारण होता है। दूसरा क्रॉनिक हेपेटाइटिस है, जिसमें एचइवी इंफेक्शन रोगी के इम्यून सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित करता है। लीवर कैंसर और लीवर की बीमारी के कारण ज्यादा लोगों की मौत हो रही है।

हेपेटाइटिस को पहचानने के लिए इनके लक्षणों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है यदि आपके शरीर में हमेशा थकान सा महसूस होता हो, भूख कम लग रही हो, उल्टी या जी मिचलाना, आंखों के सफेद हिस्से का रंग पीला पड़ जाना, यूरिन का रंग बदलना, पेट दर्द और सूजन होना जैसे लक्षण हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।?

हेपेटाइटिस वायरल इनफेक्शन से होने वाली बीमारी है जो कई कारणों से हो सकती है। हैपेटाइटिस ई संक्रमित खाने और पानी पीने से हो सकता है। वहीं संक्रमित खून के ट्रांसफ्यूजन और सिमेन व दूसरे फ्लूइड के एक्सपोजर के कारण हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमित इंजेक्शन के इस्तेमाल के कारण भी हो सकता है।

हेपेटाइटिस से बचाव के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है-

इस बीमारी से बचने के लिए लीवर का स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है। इसके लिए अपने खाद्य पदार्थों में तैलीय वस्तुओं से दूरी बनाए, तंबाकू और धूम्रपान से दूर रहें, पौष्टिक आहार लें, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ के सेवन से परहेज करें, अल्कोहल का सेवन ना करें। अत्यधिक दवाइयों का सेवन भी आपके लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है।

यदि कभी खून चढ़ाने की जरूरत पड़ेगी तो हेपेटाइटिस टेस्टेड खून ही चढ़ाएं।

इसके अलावा बिना प्रोटेक्शन के यौन संबंध न बनाएं, ब्लेड या रेज़र किसी के साथ शेयर न करें, हेपेटाइटिस का टीकाकरण करवाएं हालांकि सभी प्रकारों के हेपेटाइटिस के लिए टीका उपलब्ध नहीं लेकिन सबसे घातक माने जाने वाले हेपेटाइटिस बी का टीका उपलब्ध है, इसका डोज हर आयु वर्ग के लोग ले सकते हैं। आप यदि सिंपल ब्लड टेस्ट भी करवाते रहें तो आपको यह पता चल सकता है कि आपका शरीर इस वायरस की चपेट में है या नहीं, फिर आप वक्त रहते इसका इलाज करवा सकते हैं।

इसलिए सावधानी बरतें और अपने लीवर का ख्याल रखें तभी आप हैपेटाइटिस के खतरे से बच सकते हैं। यदि आपको फिर भी किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो डॉक्टर से मिलने के लिए जरा भी देर ना करें, जिससे यह संक्रमण शरीर में और ना फैले।

(लेखिका स्वतंत्र रूप से लेखन करती हैं)

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