राजनीतिक विवशता के शिकार जस्टीन ट्रुडो

डॉ. सुब्रतो गुहा
ईंट का जवाब पत्थर: कनाडा और भारत के बिगड़ते संबंध आखिर और कितने बिगड़ सकते हैं? कनाडा सरकार द्वारा एक भारतीय राजनयिक को कनाडा छोड़कर जाने के आदेश के तुरंत बाद भारत सरकार ने एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को भारत छोड़कर जाने का आदेश दिया। कनाडा द्वारा भारत को असुरक्षित स्थान बताकर कनाडा के नागरिकों को भारत यात्रा नहीं करने के निर्देश के बाद भारत सरकार ने कनाडा को आतंकवाद ग्रसित देश बताकर भारतीय नागरिकों को कनाडा यात्रा नहीं करने का निर्देश जारी किया। साथ ही भारत सरकार ने कनाडा की सड़कों पर आतंकवादियों के खुलेआम घूमने का हवाला देकर कनाडा में बसे भारतीय विद्यार्थियों एवं भारतीय मूल के कनाडा निवासियों को संभावित नफरती हमलों से सावधान रहने की हिदायत जारी कर दी। कनाडा यात्रा हेतु बीजा जारी करना भी भारत ने बंद कर दिया है और द्विपक्षीय व्यापार वार्ता भी स्थगित है।
- द टोरन्टो स्टार टोरन्टो, कनाडा
(टिप्पणी- पिछले सप्ताह बिना कोई प्रमाण प्रस्तुत किए ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टुडो ने संसद में बयान दिया कि कनाडा के नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारत सरकार के एजेंटों ने किया है। जस्टिन टुडो ने इस निराधार आरोप में इस तथ्य को छुपा लिया कि अलग-अलग खालिस्तानी आतंकियों के समूहों में कनाडा के गुरुद्वारों की धन-संपत्ति पर कब्जे की प्रतिस्पर्धा में गैंग वार चल रहा है, जिसमें हरदीपसिंह निज्जर मारा गया है। यह तथ्य भी प्रमाणित हुआ है कि आतंकी हरदीपसिंह निज्जर ने पाकिस्तान की कई यात्राएं की और पाकिस्तानी आईएसआई के पैसों से कनाडा में खालिस्तानी आतंकी प्रशिक्षण शिविरों का संचालन किया। वैसे प्रधानमंत्री जस्टिन टुडो की खालिस्तानियों के समर्थन के पीछे मजबूरी यह है कि उनकी सत्ताधारी कनाडा लिनरल पार्टी संसद में एक सौ अठावन सदस्यों के साथ अल्पमत में है तथा बहुमत हेतु पच्चीस सदस्यों वाली निऊ डेमोक्रेटिक पार्टी पर निर्भर है, जिसका नेता जगमीत सिंह खालिस्तान समर्थक है। इतिहास करवट ले रहा है, भारत बदल रहा है, ईंट का जवाब पत्थर से देना जानता है।)
दुनिया झुकती शक्ति के आगे
कनाडा की धरती पर खालिस्तान समर्थक हरदीपसिंह निज्जर की हत्या का आरोप प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने भारत पर लगाकर आशा की थी कि उन्हें मित्र देशों का तथा अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन मिलेगा। परन्तु ऐसा हुआ नहीं। अमेरिका नाटो देश तथा अन्य यूरोपीय देश खुलकर कनाडा के समर्थन में नहीं आए और केवल दबी जुबान से घटना का उल्लेख किया एवं भारत की निंदा भी नहीं की। इसके पीछे मूल कारण है कि आज कनाडा के मित्र देश अमेरिका, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड इत्यादि भारत के भी मित्र देश है। साथ ही भारत अब विश्व की पांचवी आर्थिक महाशक्ति है और सन 2030 के अंदर तीसरी आर्थिक महाशक्ति बन जाएगा। ऐसे में विश्व का कोई भी शक्तिशाली देश अपने आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय हितों के संरक्षण की चिंता करते हुए भारत से अपने संबंध बिगाड़ना नहीं चाहेगा। साथ ही पश्चिमी देशों को चीन की विस्तारवादी नीति के प्रतिकर हेतु भारत की सहायता आवश्यक है। कनाडा के प्रसिद्ध राजनीतिक विशेषज्ञ जेनिस स्टीन ने मीडिया से कहा - कनाडा भारत विवाद में अमेरिका, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन इत्यादि ने जो रुख अपनाया, वही अपेक्षित था।
- द इन्डीपेन्डेन्ट, लंदन, ब्रिटेन
(टिप्पणी - अपनी सामरिक और आर्थिक शक्ति के दम पर आज भारत वैश्विक व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर चुका है, जिसके कारण आपसी शत्रुता में लिप्त रूस और अमेरिका, इजराइल और सऊदी अरब - सभी भारत से मित्रतापूर्ण संबंध रखने का प्रयास करते हैं। इसी के फलस्वरूप भारत आज पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय समुदायों में अलग-थलग करने में सफल हुआ है। झुकती है दुनिया, झुकाने वाला चाहिए।)
नारी शक्ति को प्रणाम
भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा तथा ऊपरी सदन राज्य सभा ने एक ऐतिहासिक कानून पारित किया, जिसके अनुसार लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी। भारत की आधी जनसंख्या अर्थात महिलाओं की सहभागिता इससे सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बढ़ेगी तथा नीति निर्धारण में उनकी भूमिका होगी। भारतीय संसद में महिला सांसदों की वर्तमान संख्या केवल पंद्रह प्रतिशत है।
- द न्यूयार्क टाईम्स, अमेरिका
(टिप्पणी- भारतीय संविधान के अनुसार लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में धर्म आधारित मुस्लिम आरक्षण नहीं है तथा अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी आरक्षण भी नहीं है। तभी तो लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में पुरुष वर्ग के मुस्लिमों एवं ओबीसी को आरक्षण का लाभ प्राप्त नहीं है, ऐसे में महिला श्रेणी में कई विपक्षी दल मुस्लिम एवं ओबीसी महिलाओं के आरक्षण की मांग क्यों उठा रहे हैं? उद्देश्य स्पष्ट है- सरकार पर दबाव डालकर महिला आरक्षण विधेयक को संविधान विरोधी एवं गैर कानूनी बनाओ और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर उसे निरस्त करवा दो और फिर मतदाताओं से वादा करो कि जब हमारी सरकार आएगी, तब महिला आरक्षण देंगे। समझने वाले समझ गए हैं ना समझे वो...)
(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)
