भारत को पहली बार आईआईडीईए की अध्यक्षता का गौरव

भारत को पहली बार आईआईडीईए की अध्यक्षता का गौरव
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भारत और मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए विदेशी ताकतें तरह-तरह के नैरेटिव गढ़ती हैं। कांग्रेस पार्टी और उसके शीर्ष नेता राहुल गांधी इन नैरेटिव को आगे बढ़ाने का काम करते हैं। वर्तमान में चल रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण कार्य का विरोध भी इसी नैरेटिव का हिस्सा है। हालांकि भारतीय राजनीति में ऐसे नैरेटिव कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन कभी-कभी समय ऐसा जवाब देता है जो किसी भी बयान से अधिक प्रभावशाली, किसी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस से अधिक मुखर और किसी भी राजनीतिक रैली से अधिक निर्णायक होता है।

मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार के मामले में यही कहा जा सकता है। राहुल गांधी और उनके साथी नेताओं ने उन पर वोट चोरी, लोकतंत्र लूटने और चुनाव आयोग के दुरुपयोग तक के आरोप लगाए, लेकिन आज वही ज्ञानेश कुमार 35 देशों के प्रतिष्ठित वैश्विक मंच, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डेमोक्रेसी एंड इलेक्टोरल असिस्टेंस (आईआईडीईए) का नेतृत्व करने जा रहे हैं। यह केवल किसी व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि उन आरोपों की करारी हार है जिन्हें बिना सबूत के बार-बार दोहराकर भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जाती रही।

राहुल गांधी चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर निरंतर वोट चोरी का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब ज्ञानेश कुमार को आईआईडीईए की अध्यक्षता मिलना राहुल गांधी के आरोपों का करारा जवाब है। भारत को पहली बार अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव सहायता संस्थान आईआईडीईए की अध्यक्षता के लिए आमंत्रित किया गया।

इस अवसर पर भारत की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार स्वीडन के स्टॉकहोम में पहुंचे और आईआईडीईए की अध्यक्षता ग्रहण की। इस अवसर पर ज्ञानेश कुमार ने कहा कि पूरी दुनिया भारत में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के सफल संचालन को जानती और स्वीकार भी करती है। आईआईडीईए की अध्यक्षता करने का अवसर मिलना भारत के सभी नागरिकों और चुनाव कार्यकर्ताओं के लिए अत्यंत गौरव का क्षण है।

दरअसल, 1995 में स्थापित आईआईडीईए एक अंतरसरकारी संगठन है। वर्तमान में 35 देश इसके सदस्य हैं, जिसमें पर्यवेक्षक के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान भी शामिल हैं। आईआईडीईए को 2003 से संयुक्त राष्ट्र महासभा में पर्यवेक्षक का दर्जा भी प्राप्त है। भारत आईआईडीईए का संस्थापक सदस्य है और उसने न केवल शासन प्रक्रियाओं में सक्रिय रूप से भाग लिया है, बल्कि चुनावी अनुसंधान, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भी सहयोग किया है।

जिस व्यक्ति (ज्ञानेश कुमार) पर राहुल गांधी सहित इंडी गठबंधन ने सबसे अधिक अविश्वास जताया, उन्हीं ज्ञानेश कुमार को 35 देशों के महत्वपूर्ण संगठन आईआईडीईए ने लोकतंत्र का प्रहरी मानते हुए वैश्विक नेतृत्व सौंपा है। यह नियुक्ति वैश्विक स्तर पर राहुल गांधी के आरोपों का सबसे सटीक जवाब है।

आईआईडीईए द्वारा ज्ञानेश कुमार को अध्यक्षता सौंपे जाने से यह स्पष्ट हो गया है कि दुनिया को कांग्रेस पार्टी, राहुल गांधी और इंडी गठबंधन की बातों में कोई सच्चाई नहीं दिख रही। उनके आरोप अब केवल राजनीतिक शोर से अधिक कुछ नहीं हैं।

दरअसल, आईआईडीईए वैश्विक लोकतांत्रिक मानकों का निर्माता संगठन है। यहाँ दुरुपयोग या भ्रामक नेतृत्व नहीं, बल्कि पारदर्शिता और साख की आवश्यकता होती है। 35 देशों द्वारा ज्ञानेश कुमार पर जताया गया विश्वास यह दर्शाता है कि भारत के चुनाव आयोग की विश्वसनीयता निर्विवाद है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि जब दुनिया भारतीय चुनाव आयोग को लोकतंत्र का आदर्श मानती है, तब कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी अपने देश की इस गौरवशाली संवैधानिक संस्था को बदनाम करने पर क्यों तुले हुए हैं।

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