भूखा मरेगा, पर पाकिस्तान रक्षा बजट बढ़ाएगा

भूखा मरेगा, पर पाकिस्तान रक्षा बजट बढ़ाएगा
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विवेक शुक्ला

जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के समधी और पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार बीते शुक्रवार को अपने देश के साल 2023-24 के बजट को इस्लामाबाद में पेश कर रहे थे तब रावलपिंडी में स्थित पाकिस्तान आर्मी के हेडक्वार्टर में बैठे जनरल उनके भाषण को अवश्य सुन रहे होंगे। डार के भाषण को पूरा करने के बाद आर्मी हेड क्वार्टर में इत्मीनान महसूस किया गया होगा कि वित्त मंत्री ने रक्षा बजट को बढ़ा दिया है। दरअसल तमाम तरह के संकटों से दो-चार हो रहे पाकिस्तान में पेश अगले वित्त वर्ष के बजट में रक्षा क्षेत्र पर व्यय को 15.5 प्रतिशत बढ़ाकर 1.8 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा। आगे बढ़ने से पहले बता दें डार के पुत्र का विवाह शाहबाज शरीफ के बड़े भाई और देश के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी से हुआ है। इस ऱिश्ते से शाहबाज शरीफ भी डार के समधी हैं।

पर ये कोई पहली बार नहीं हो रहा कि पाकिस्तान ने तमाम मसलो को दरकिनार करते हुए अपने रक्षा बजट को बढ़ाया हो। भारत का डर दिखाकर सेना वहां पर सरकार पर दबाव बनाए रखती है कि वह रक्षा बजट को बढ़ाती रहे। इससे सेना को लूट-खसोट करने का मौका मिलता रहता है। पाकिस्तान ने भारत पर 1948, 1965, 1971 और 1999 में कारगिल में हमला किया। हर बार उसेे पराजय का सामना करना पड़ा। भारत ने उस पर एक बार भी हमला नहीं किया पर पाकिस्तान सेना भारत का डर दिखाने में सफल रहती है। पाकिस्तान का दुर्भाग्य है कि उसे शुरू से ही एक नंबर की करप्ट सेना को झेलना पड़ रहा है। पिछले साल जब पाकिस्तान बाढ़ से तबाह हो रहा तब वहां की सरकार अमेरिका से एफ-16 लड़ाकू विमानों को खरीदने का सौदा कर रह थी। इन्हें खरीदने का मकसद कुछ नेताओं और जनरलों को मोटी कमाई करवाना था। पकिस्तान में बाढ़ के चलते भारी संख्या में घर और खेत तबाह हो गए थे। पेट्रोल पंप डूब गए थे। बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही सिंध प्रांत में मचाई। बाढ़ ने अनाज से लेकर पीने का पानी तक छीन लिया था। पर सरकार फिर भी विमान सौदा कर रही थी।

अमेरिका ने एफ-16 विमान कार्यक्रम के तहत पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर की मदद देने का ऐलान किया था। इस राशि से बाढ़ के पानी में लाखों बह गए घर बन जाते और बेबस लोगों को मदद पहुंचाई जा सकती थी। पर पाकिस्तान के हुक्मरानों की प्राथमिकता कुछ और ही हैं। वहां पर सब अहम फैसले लंबी-लंबी मूछों वाले जनरल ( बाजवा को छोड़कर) लेते हैं। जिनकी उपलब्धि दो कौड़ी की है। पाकिस्तान में सरकार चाहे किसी की भी हो, उनका सारा फोकस रक्षा बजट में बढ़ोतरी करना रहता है। उन्हें देश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने की रत्तीभर भी चिंता नहीं है। वहां पर इंफ्रास्ट्रक्चर नाम की कोई चीज नहीं है। शिक्षा और सेहत पर भी खर्च को लेकर किसी तरह की गंभीरता नजर नहीं आती।

पाकिस्तान को तो अपना रक्षा बजट बढ़ाना है। रक्षा बजट में बढ़ोतरी पर पाकिस्तान का तर्क होता है कि चूंकि उसके पड़ोसी भारत का रक्षा बजट बहुत अधिक है, इसलिए उसे अपने रक्षा बजट पर ध्यान देना होता है। अब इस तरह के कमजोर तर्क गढ़ने वालों को कोई बता दे कि भारत को अपने रक्षा बजट पर इसलिए फोकस करना होता है क्योंकि उसके इर्द-गिर्द दो धूर्त शत्रु राष्ट्रों की सरहदें मिलती हैं। भारत की पकिस्तान से चार जंगे हुईं। चीन से भी 1962 भीषण जंग हुई। भारत-चीन सीमा पर लगातार तनाव की स्थिति रहती है। जिन सवालों पर 1962 में जंग हुईं थीं वे सवाल अब भी अनसुलझे ही हैं। इसीलिए भारत को अपने रक्षा बजट पर ध्यान देना होता है। अब भारत के रक्षा बजट की तुलना चीन के रक्षा बजट से भी कर लेते हैं। चीन ने साल 2023-24 के रक्षा बजट को 7.2 प्रतिशत तक बढ़ाकर 1,550 अरब युआन तक कर दिया जो पिछले साल से अधिक है। यह उसके सैन्य बजट में लगातार आठवीं वृद्धि है। चीन ने पिछले साल 7.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1,450 अरब युआन का बजट पेश किया था। इस साल रक्षा खर्च बढ़कर 1,550 अरब युआन हो गया है। हालांकि, युआन के मुकाबले डॉलर की मजबूती को देखते हुए इस साल चीन का रक्षा खर्च करीब 224 अरब डॉलर हो गया है जो पिछले साल के 230 अरब डॉलर के मुकाबले कम है। तो साफ है कि चीन का भारत से रक्षा बजट बहुत अधिक है।

हम फिर पाकिस्तान के रक्षा बजट की बात करेंगे। दरअसल पाकिस्तान की नींव ही भारत के खिलाफ नफरत से हुई थी। वो उस नीति पर लगातार चलता है। आप वहां के नेताओं की बयानबाजी को सुन लें। भुट्टो से लेकर फवाद चौधरी और शेक राशिद भारत और हिन्दुओं पर घोर आपत्ति जनक टिप्पणियां करते रहे हैं। भुट्टो ने कहा था कि घास खाएँगे पर भारत से एक हजार साल तक लड़ते रहेंगे। इसी तरह से इमरान खान सरकार में मंत्री रहे चौधरी और राशिद भी भारत और हिन्दुओं पर लगातार बेहूदी बातें किया करते थे। अजीब इत्तेफाक है कि ये दोनों बीते दिनों जेल में थे। अब दोनों ने इमरान खान से दूरियां बना ली हैं। अब ये दोनों सेना के गुणगान कर रहे हैं। करेंगे भी क्यों नहीं। वहां पर जो सरकार सत्ता पर काबिज होती है उसे सेना के हुक्म को मानना होता है। ना मानने वाले को सत्ता से धक्के मारकर बाहर कर दिया जाता है। इमरान खान को भी सेना ने ही मुल्क का वजीरे आजम बनवाया था। वजीरे आजम बनने के बाद इमरान खान अपने को महान समझने लगे। वे भूल गए कि पाकिस्तान में सियासत करनी है तो सेना के जनरलों के तलवे चाटने पड़ेंगे। पिछली 9 मई की घटना के बाद सेना ने इमरान खान पर शिकंजा कस दिया। अगर कुछ अप्रत्याशित नहीं हुआ तो इमरान खान लंबे समय तक जेल में रहेंगे। सेना का हुक्म वहां पर कानून है। अब सेना के बजट को बढ़ाना तो हर सरकार की मजबूरी है। नहीं बढ़ाएगी तो उसकी छुट्टी हो जाएगी। अब इन स्थितियों में पाकिस्तान के 24 करोड़ अवाम की चिंता कौन करेगा। वह तो दाने-दाने को मोहताज है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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