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भारत रत्न पर राजनीतिक प्रश्न कितने उचित

रमा निवास तिवारी

भारत रत्न पर राजनीतिक प्रश्न कितने उचित
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केन्द्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हाराव तथा एमएस स्वामीनाथन को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने का ऐलान करके इन लोगों के प्रति देश की कृतज्ञता जाहिर की है। दलगत राजनीति से ऊपर उठकर केन्द्र सरकार ने जो इन विभूतियों का सम्मान किया है, उसकी प्रशंसा की जानी चाहिए। दूसरी सरकारों के समय भी अक्सर चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिये जाने की मांग होती रही लेकिन उनको यह सम्मान नहीं दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह करके किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह को सम्मान दिया है। उनके इस फैसले से देश भर के किसानों के चेहरों पर खुशी नजर आ रही है। जो लोग इसे सियासत का पार्ट बता रहे हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि सियासत ही सही किन्तु इसी बहाने भारत रत्न के हकदार लोगों को भारत रत्न मिला तो सही। भारत के अन्नदाताओं की लड़ाई लड़ने वाले चौधरी चरण सिंह की देन है जो आज का किसान अपने खेतों को जोत बोकर सम्मानजनक जिन्दगी जी पा रहा है, और आर्थिक समृद्धि की ओर गतिमान है। चौधरी चरण सिंह ही थे जिनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक विधानसभा में पास हुआ तो सदियों से खेतों में अपना खून पसीना बहाने वाले किसान भू-स्वामी बन पाये। चौधरी चरण सिंह के ही द्वारा एक और क्रांतिकारी कानून किसान हित में 1954 में पारित कराया गया जिसका नाम था उ.प्र.भूमि संरक्षण कानून। इस कानून से किसानों की जमीन से जुड़ी तमाम समस्याओं का हल उन्हें मिला।

पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव को भी प्रधानमंत्री मोदी ने भारत रत्न का सम्मान देने की घोषणा की है। पहली बात तो वे देश के प्रधानमंत्री थे और देश के लिए उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। जब उन्होंने देश की सत्ता संभाली थी तो देश की आर्थिक स्थिति बद से बदतर थी। आर्थिक उदारीकरण के जरिये उन्होंने देश की इकोनॉमी को पम्प किया। देखते ही देखते उन्होंने देश की माली आर्थिक स्थिति को अर्थव्यवस्था के नये ट्रैक पर जा पहुंचाया जहां से देश की आर्थिक चेतना को मानो पंख लग गये। आज देश आर्थिक ऊंचाइयों की उड़ान भर रहा है तो उसमें पीवी नरसिम्हाराव के समय की आर्थिक नीतियों के दूरगामी परिणामों की भी अपनी एक भूमिका है। देश को आर्थिक स्वतंत्रता की राह दिखाने का काम पीवी नरसिम्हाराव ने बखूबी करके दिखाया था। भले ही वे कई विवादों से भी घिरे रहे किन्तु देश की आर्थिकी में उन्होंने जो प्राण फूंका था उसे भुलाया कैसे जा सकता है। कांग्रेस अपने ही नेता पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव को जाने क्यों भारत रत्न न दे पायी मोदी ने राजनैतिक विरोध के बाद भी उन्हें उनके देश के लिए किये गए कामों के लिए भारत रत्न दिये जाने की घोषणा की है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरित क्रांति के जनक और प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को भी भारत रत्न से सम्मानित किये जाने की घोषणा की है जो उनके द्वारा लिया गया प्रशंसनीय निर्णय है। स्वामीनाथन ने हरित क्रांति के जरिये देश भर में अनाज के उत्पादन में जो क्रांति घोली उसके लिए समूचा देश आज भी उनका ऋणी है। विज्ञान के बल से देश की भूख को मिटाने का बिगुल फूंककर उन्होंने अनाज उत्पादकता को शीर्ष पर पहुंचाया था। उनके प्रयासों ने पूरे देश के किसानों को बढ़-चढ़कर खेती करने के लिए प्रेरित किया। ऐसे किसानों के प्रणेता एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान पूरे देश के लिए हर्ष का विषय है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इन तीनों ही लोगों को भारत रत्न देने का ऐलान बहुत उचित निर्णय है। जिसकी मुक्त कंठ से सराहना होनी चाहिए। राजनीति के चश्मे से इस घटना की व्याख्या करने से बचना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने राजनैतिक विरोध के बावजूद भी इससे पहले कांग्रेसी नेता प्रणव मुखर्जी और अब पीवी नरसिम्हाराव और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। भारत रत्न देते वक्त उन्होंने देश के लिए लोगों के अवदान को ध्यान में रखा, अपना और पराया की परिधि से बाहर निकल कर यह सम्मान देने का ऐलान हुआ है जिसका स्वागत होना चाहिए। भारत रत्न इन लोगों के नाम से जुड़कर खुद विभूषित हुआ है।

(लेखक स्तंभकार हैं)

Updated : 14 Feb 2024 8:13 PM GMT
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City Desk

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