भारत में झूठा विमर्श गढ़ने के हो रहे प्रयास

भारत में झूठा विमर्श गढ़ने के हो रहे  प्रयास
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प्रहलाद सबनानी

भारत में विभिन्न क्षेत्रों में विकास से सम्बंधित हाल ही में जारी किए गए आंकड़ों को देखने के पश्चात ध्यान में आता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब पटरी पर तेजी से दौड़ने लगी है। परंतु, देश के मीडिया में भारत के आर्थिक क्षेत्र में लगातार बन रहे नित नए रिकार्ड का जिक्र कहीं भी नहीं है। इसके ठीक विपरीत देश में रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं, गरीब अति गरीब की श्रेणी में जा रहा है, मुद्रा स्फीति की दर अधिक हो रही है, भुखमरी बढ़ रही है, हिंसा बढ़ रही है, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं, आदि विषयों पर विमर्श गढ़ने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है।

पश्चिमी देशों एवं कई विदेशी संस्थानों द्वारा भारत के विरुद्ध गढ़े जा रहे विमर्श के विपरीत भारत लगातार आर्थिक क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत के विकास में सेवा क्षेत्र का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि देश के सकल घरेलू उत्पाद में 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा सेवा क्षेत्र का ही रहता है एवं रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने में भी सेवा क्षेत्र का अहम स्थान है और इससे जुड़ी सर्विस पीएमआई के माह जुलाई 2023 के आंकड़े आ गए हैं।

एसएंडपी ग्लोबल का इंडिया सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानी पीएमआई का स्तर जुलाई में 62.3 पर रहा है जो कि पिछले 13 वर्षों का उच्च स्तर है और इसके जरिए भारत के सेवा क्षेत्र में हो रहे शानदार विकास का पता चलता है। सेवा क्षेत्र से निर्यात भी बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। सेवा निर्यात संवर्द्धन परिषद (एसईपीसी) ने यह उम्मीद जताई है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत से सेवाओं का निर्यात 400 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है। वाणिज्य मंत्रालय के शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत से सेवा क्षेत्र में निर्यात वित्तीय वर्ष 2021-22 के 254 अरब डॉलर से 42 प्रतिशत अधिक अर्थात 323 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।

कर संग्रहण के क्षेत्र में भी भारत में नित नए रिकार्ड बनाए जा रहे हैं। जुलाई 2023 माह में वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण 11 प्रतिशत की वृद्धि दर अर्जित करते हुए 1.65 लाख करोड़ रुपए का रहा है, जो जुलाई 2022 माह में 1.49 लाख करोड़ रुपए का एवं जून 2023 माह में 1.61 लाख करोड़ रुपए का रहा था। वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण के लिए 9.56 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी प्रकार, वित्तीय वर्ष 2022-23 से सम्बंधित आय कर रिटर्न दाखिल करने वाले नागरिकों की संख्या 31 जुलाई 2023 तक 6.77 करोड़ हो गई है, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 से सम्बंधित फाइल किए गए 5.83 करोड़ रिटर्न की तुलना में 16.1 प्रतिशत अधिक है।

हर्ष का विषय यह है कि इस वर्ष 53.67 लाख नागरिकों ने पहली बार आय कर रिटर्न दाखिल किया है, अर्थात भारत में अब कर जमा करने के सम्बंध में जागरूकता बढ़ रही है एवं गरीब वर्ग अब मध्यम वर्ग की श्रेणी में आ रहा है। भारत में माह जुलाई 2023 में ऊर्जा का उपभोग 8.4 प्रतिशत बढ़कर 13,900 करोड़ यूनिट्स के स्तर को पार कर गया है, जो अपने आप में एक रिकार्ड है।

भारत द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में लगातार प्राप्त की जा रही विभिन्न उपलब्धियों को दरकिनार करते हुए, भारत के बारे में भ्रांतियां फैलाई जाती रही हैं। जैसे, भारतीय कुछ नया करे तो उसे 'जुगाड़Ó कहा जाता है और चीन यदि कुछ नया करे तो 'रिवर्स इंजिनीयरिंग। पश्चिम का प्रत्येक कदम वैज्ञानिक है, परंतु भारतीय आयुर्वेद को हर बात सिद्ध करने की आवश्यकता होती है। पश्चिम का अधूरा अध्ययन भी साइन्स की श्रेणी में है, परंतु भारत के कई प्राचीन वैज्ञानिक तथ्य भी रूढ़िवादी माने जाते हैं।

पश्चिमी विचारधारा में व्यक्ति की भावुकता के लिए कोई स्थान नहीं है, केवल तकनीकी के बारे में ही विचार किया जाता है। पश्चिमी देशों द्वारा भारत के विरुद्ध चलाए जा रहे इस अभियान (झूठे विमर्श) को आज तोड़ने की आवश्यकता है। इसके लिए उनके प्रत्येक विमर्श को अलग-अलग रखकर भिन्न-भिन्न तरीकों से तोड़ना होगा। यह हमें समझना होगा कि भारतीय परम्पराएं आदि-अनादि काल से चली आ रही हैं और यह संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर विश्वास करती है। अत: पूरे विश्व में यदि शांति स्थापित करना है तो भारतीय संस्कृति पर आधारित दर्शन ही इसमें मददगार हो सकता है, इससे पूरे विश्व की भलाई होगी।

(लेखक बैंक के सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक हैं)

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