जहरीली हवा से जूझती दिल्ली

जहरीली हवा से जूझती दिल्ली
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देश की राजधानी नई दिल्ली की हवा में इतना जहर घुल गया है कि वहां के लोग पलायन करने की सोच रहे हैं। कारण साफ है कि धूल के कण सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे बीमारियां बढ़ रही हैं। इन्हीं हालातों को लेकर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत को एक मामले की सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करनी पड़ी।

उन्होंने दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदूषण के स्तर ने उनके लिए सुबह की सैर करना भी मुश्किल बना दिया है। यह टिप्पणी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सामने आई। दरअसल, जब भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने भीड़भाड़ और खराब स्वास्थ्य के कारण अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न होने की छूट मांगी थी, तो सीजेआई ने कहा कि वह केवल पैदल चलकर ही व्यायाम करते हैं, लेकिन अब वह भी मुश्किल हो गया है।

उन्होंने बताया, "मैं सुबह 55 मिनट तक चला और इससे मुझे समस्या होने लगी।" वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी कहा कि उन्होंने सैर करना पूरी तरह बंद कर दिया है। द्विवेदी ने तब शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि कम से कम वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक वर्चुअल सुनवाई की अनुमति दी जाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मुद्दे पर परामर्शात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

यहां सवाल उठता है कि राजधानी का वायु प्रदूषण कोई नई बात नहीं है, फिर भी इससे बचाव के उपाय करने में सरकार से क्या चूक हो रही है। आखिर वायु प्रदूषण से निपटने में सरकार नाकाम क्यों हो रही है। इससे पहले भी जब केजरीवाल सरकार के समय यह समस्या आई थी, तब वाहनों को इसका कारण मानते हुए 'आड़-इन वन ट्रैफिक' व्यवस्था लागू की गई थी, यानी कि सम और विषम अंकों वाले वाहन एक साथ चलाना बंद कर दिए गए थे। लेकिन बाद में यह व्यवस्था बंद कर दी गई।

वैसे दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या से बचने के लिए और भी पाबंदियां लगाई गईं। पिछले दिनों हवा की गुणवत्ता में कुछ सुधार दर्ज होने के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने ग्रुप-3 प्रतिबंध वापस ले लिए। इसके साथ ही आधे कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम, वाहनों पर लगी सीमाएं और स्कूलों में हाइब्रिड मोड की कक्षाओं को बंद करने के सुझाव भी आए।

दिल्ली का एक्यूआई 327 था, जो बहुत खराब श्रेणी में माना जाता है। ग्रुप-3 पाबंदियां 11 नवंबर को लागू हुई थीं, जिनमें बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल गाड़ियों के प्रवेश पर रोक शामिल थी।

वायु प्रदूषण से सिर्फ दिल्ली ही प्रभावित नहीं है, बल्कि देश के कई महानगरों की स्थिति भी गंभीर है। देश के लगभग 60 प्रतिशत जिलों की हवा मानक से ऊपर पाई गई है। नवीनतम सैटेलाइट आधारित रिपोर्ट के अनुसार देश के 447 जिलों में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत राष्ट्रीय मानक (40 माइक्रो ग्राम/क्यूबिक मीटर) से अधिक है। 19 राज्यों में प्रदूषण का वार्षिक स्तर मानक से ऊपर पाया गया है।

डब्ल्यूएचओ के 5 माइक्रो ग्राम/क्यूबिक मीटर के मानक पर कोई भी राज्य या जिला खरा नहीं उतरता। देश के 50 सबसे प्रदूषित राज्यों में दिल्ली, असम, हरियाणा और बिहार शामिल हैं। रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, मेघालय और चंडीगढ़ में मानसून को छोड़कर हर मौसम में प्रदूषण स्तर मानक से अधिक रहता है, जो चिंता का विषय है।

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