101 वें जन्मदिन पर विशेषः आपके सपनो का भारत साकार हो रहा है

PM Modi's Article Atal Bihari Vajpayee 100th Birth Anniversary
आज राष्ट्र भारत रत्न स्वदेश के आदि संपादक श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का 101वाँ जन्मदिन मना रहा है. अटल जी मूलतः कवि थे। उन्होंने अपने आत्मकथ्य में इसे स्वीकारा भी है कि यदि वे राजनेता नहीं होते तो बड़े कवि होते । इसलिए इस अवसर पर सर्वप्रथम मैं उनकी 2004 में लिखी कविता उद्धृत कर रहा हूँ .
स्वप्न देखा था कभी जो आज हर धड़कन में है
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है।
एक नया भारत कि जिसमें एक नया विश्वास हो
जिसकी आँखों में चमक हो, एक नया उल्लास हो।
हो जहाँ सम्मान हर एक जाति, हर एक पंथ का
सब समर्पित हों जिसे, वह लक्ष्य जिसके पास हो।
एक नया अभिमान अपने देश पर जन-जन में है
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है।
बढ़ रहे हैं हम प्रगति की ओर जिस रफ्तार से
कर रहा हमको नमन यह विश्व भी उस पार से।
पर अधूरी है विजय जब तक गरीबी है यहाँ
मुक्त करना है हमें अब देश को इस भार से।
एक नया संकल्प सा अब तो यहाँ जीवन में है,
एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है।
भूख जो जड़ से मिटा दे, वह उगाना है हमें,
प्यास न बाकी रहे, वह जल बहाना है हमें।
जो प्रगति से जोड़ दे, ऐसी सड़क ही चाहिए
देश सारा गा सके वह गीत गाना है हमें।
इस कविता को पढ़कर आपको ऐसा नहीं लगता कि आज देश की और बहुत-से राज्यों की सरकारें इसी स्वप्न को साकार करने के संकल्प पर चल रही हैं और मोदी जी इस सपने को हर क्षण पूरा करने में न सिर्फ जी-जान से जुटे हैं. वरन् उसे विस्तार भी दे रहे हैं। अटल जी एक दूरदृष्टा, साहित्यिक, शैक्षिक और धार्मिक पृष्ठभूमि वाले महामानव थे. जिनके हृदय में वैभवशाली, आत्मनिर्भर भारत का सपना हर समय हिलोरे मारता रहता था। इसके लिए वे आजीवन प्रतिबद्ध रहे और उनके जीवन की सफलता इस बात में रही कि उनका यह सपना उनके सभी चाहने वालों का, देश का और दल का भी लक्ष्य बन गया। आज जब हम उसे साकार होते देख रहे हैं तो एक संतोष का भाव विकसित होता है कि देश की दिशा और दशा सही है। वे जहां भी होंगे आशीर्वाद दे रहे होंगे।
सपने जो साकार हो रहे हैं
भारत को वैभवशील बनाने के लिए हमें अपने किसानों को सशक्त और खुशहाल बनाना होगा. क्योंकि आज भी हमारी पचपन प्रतिशत से अधिक जनसंख्या कृषि क्षेत्र में संलग्न है। कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या सिंचाई को लेकर रहती है। इसलिए सिंचाई के जल की निरंतर उपलब्धता के लिए नदियों को आपस में जोड़ा जाना बहुत उपयोगी हो सकता है और अटल जी की दृष्टि में किसानों की आय बढ़ाने के लिए यह बेहद आवश्यक था। उनके लोकसभा क्षेत्र बलरामपुर के किसान बाढ़ और सिंचाई के साधनों की अनुपलब्धता से परेशान रहते थे और उन्होंने बलरामपुर एवं गोंडा जनपदों से जुड़ी जल परियोजना का प्रश्न कई बार लोकसभा में उठाया था। आज मोदी जी ने राप्ती, घाघरा, सरयू परियोजना को राष्ट्र को समर्पित कर उस स्वप्न को साकार किया है। केन-बेतवा नदी को जोड़ने की योजना सम्पूर्ण बुंदेलखंड को लाभान्वित करने वाली है. वह भी इसी स्वप्न की अगली कड़ी है।
अटल जी विज्ञान के महत्व को भली-भाँति समझते थे। यदि भारत को विश्व गुरु बनना है तो हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्व शक्ति बनना होगा। हमें अद्यतन शोध को प्रोत्साहन देना होगा। इसी कारण उन्होंने “जय जवान, जय किसान” के साथ “जय विज्ञान” का भी नारा दिया था। आज हम ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में कई स्थान आगे बढ़कर 46वें स्थान पर हैं। हम एक साथ 104 सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजकर स्पेस क्षेत्र की बड़ी ताकत बनकर उभरे हैं। इन क्षेत्रों में हमारे बढ़ते कदम उसी दूरदृष्टि का परिणाम प्रतीत होते हैं। देश में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण का बढ़ता कार्य भी उसी दिव्यदृष्टि का परिणाम है। आज हम प्रतिदिन छत्तीस किलोमीटर से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण कर रहे हैं। ग्रामीण सड़क निर्माण से लेकर सभी बंदरगाहों को सागरमाला के रूप में जोड़ने का कार्य हो हर काम त्वरित गति से और सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में देश तीव्र गति से विकास कर रहा है।
युवाओं के लिए शिक्षा, कौशल निर्माण, उद्यमिता विकास और रोजगार के नए क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं, लेकिन पूज्य अटल जी के शब्दों में यह सब तब तक अधूरा है, जब तक हमारे यहाँ एक भी व्यक्ति गरीबी रेखा से नीचे है। हम सबको पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के सरोकारों के साथ जुड़ना है यही उस महामानव को हमारे सच्चे श्रद्धा-सुमन होंगे।
लेखक धर्म प्रकाश वाजपेयी युग पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी सेवा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा देश के सुपरिचित सिविल सेवा गुरु के रूप में विख्यात हैं।
