Home > विशेष आलेख > अमेरिकी धार्मिक रिपोर्ट भारत को अस्वीकार्य

अमेरिकी धार्मिक रिपोर्ट भारत को अस्वीकार्य

अमेरिकी धार्मिक रिपोर्ट भारत को अस्वीकार्य
X

अवधेश कुमार

अमेरिका ने फिर अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी वार्षिक रिपोर्ट में भारत को अल्पसंख्यक विरोधी देश साबित करने की कोशिश की है। अमेरिका इसे विश्वभर के देशों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति का तथ्यात्मक एवं प्रामाणिक दस्तावेज घोषित करता है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय के विशेष राजदूत राशद हुसैन ने कहा कि रिपोर्ट विश्वभर के लगभग 200 देशों और क्षेत्रों में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति के बारे में एक तथ्य आधारित व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करती है। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इसे जारी करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों को उजागर करना है जहां धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता का दमन किया जा रहा है और अंतत: प्रगति को ऐसे विश्व की ओर ले जाना है जहां धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता हर जगह हर किसी के लिए एक वास्तविकता हो। ब्लिंकन ने भारत का उल्लेख नहीं किया, पर रिपोर्ट में भारत का संदर्भ भयानक तस्वीरों से भरी है। राशद हुसैन के बयान में भारत का जिक्र है। उन्होंने कहा कि कई सरकारों ने अपनी सीमाओं के भीतर धार्मिक समुदाय के सदस्यों को खुले तौर पर निशाना बनाना जारी रखा है। इन सरकारों के संदर्भ में रिपोर्ट के महत्वपूर्ण निष्कर्षों का उल्लेख करते हुए उन्होंने भारत का नाम स्पष्ट तौर पर लिया। उसके बाद चीन और अफगानिस्तान समेत कई देशों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में विविध धार्मिक समुदाय से जुड़े कानून के हिमायती और धार्मिक नेताओं ने हरिद्वार शहर में मुस्लिमों के खिलाफ घोर नफरत भाषा का इस्तेमाल किया जो निंदनीय है।

इसमें 20 से अधिक ऐसी घटनाओं का जिक्र है जिससे आभास होता है कि भारत की वर्तमान सरकार के अंदर बहुसंख्यक समुदाय यानी हिंदू अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले कर रहा है, उनके भवनों को तोड़ रहा है , जला रहा है , उनके धार्मिक अधिकारों के पालन में बाधाएं खड़ी कर रहा है। उदाहरण के लिए कहा गया है कि इस वर्ष कई राज्यों में धार्मिक अल्पसंख्यक सदस्यों के खिलाफ कानूनी एजेंसी अधिकारियों द्वारा हिंसा की रिपोर्ट सामने आई। गुजरात में सादी वर्दी में पुलिस द्वारा अक्टूबर में एक त्योहार के दौरान हिंदुओं को घायल करने के आरोपी चार मुस्लिम पुरुषों को सार्वजनिक रूप से पीटने और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अप्रैल में खरगोन में सांप्रदायिक हिंसा के बाद मुस्लिमों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाने की बात कही गई है। इसे मुस्लिमों पर अत्याचार के रूप में पेश किया गया है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा बुलडोजर से घर और संपत्तियां ध्वस्त करने का भी इसी रूप में उल्लेख है। कोई निष्पक्ष और विवेकशील व्यक्ति इस रिपोर्ट को स्वीकार नहीं कर सकता। भारत जैसे विविधताओं के देश में समुदायों के बीच कभी-कभार विवाद, टकराव आदि होते हैं, किंतु यह कहना कि केंद्र व राज्य सरकारों की भूमिका से इसे प्रोत्साहन या संरक्षण मिलता है गलत है। न्यायपालिका के हाथों ही ऐसे मामलों में अंतिम कानूनी फैसले का अधिकार है। अमेरिकी रिपोर्ट में भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका की भूमिका को नजरअंदाज किया गया है। इसमें तथ्यात्मक गलतियां भी हैं। उदाहरण के लिए हरिद्वार की जिस सभा का जिक्र है उसके कई लोगों पर न केवल मुकदमे हुए बल्कि उन्हें जेलों में भी डाला गया। भारत को पाकिस्तान, चीन,अफगानिस्तान आदि की श्रेणी में रखना साफ करता है कि रिपोर्ट तैयार करने वालों का उद्देश्य क्या हो सकता है। हालांकि इसमें हैरत की कोई बात नहीं है। अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी रिपोर्ट में न जाने कितने वर्ष ऐसी बातें अलग - अलग तरीके से कही गई हैं। पिछले 2 मई को ही अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग यानी यूएससीआईआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत को उन देशों की सूची में शामिल किया जाए जो धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर चिंताजनक माने जाते हैं। यह अमेरिका की काली सूची यानी ब्लैक लिस्ट है। इसमें चीन, रूस, सऊदी अरब, ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान आदि शामिल है। इस वर्ष निकारागुआ, वियतनाम और भारत को शामिल करने की सिफारिश की गई है। यह आयोग पिछले 4 वर्षों से ऐसी सिफारिश कर रहा है। हां,अमेरिकी विदेश विभाग इसे स्वीकार नहीं करता। कल्पना कर सकते हैं कि रिपोर्ट बनाने वालों की मानसिकता कैसी होगी? भारत को निकारागुआ, अफगानिस्तान ,पाकिस्तान की श्रेणी में रखने वाले लोगों की सोच पर तरस आना चाहिए। किंतु दूसरी ओर यह बताता है कि भारत और यहां के हिंदू समाज को लेकर विश्वभर में कैसी मानसिकता बनाई गई है। खासकर मोदी सरकार आने के बाद। वर्तमान धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी रिपोर्ट मीडिया एडवोकेसी रिसर्च ग्रुप्स के द्वारा तैयार किया गया है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Updated : 25 May 2023 7:34 PM GMT
author-thhumb

City Desk

Web Journalist www.swadeshnews.in


Next Story
Top