हिन्दुओं के लिए चिंता की बात

हिन्दुओं के लिए चिंता की बात
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अजय सेतिया

भारत में हिन्दू लव जिहाद, लैंड जिहाद और धूक जिहाद को तो झेल हो रहे हैं, हाल ही की दो घटनाएं उनके लिए बेहद चिंता का है। पहली चिंता का विषय यह है कि पाकिस्तान की भारत विरोधी गतिविधियों से ताल्लुक रखने वाली दो हिन्दू महिलाएं और चार हिन्दू पुरुष गिरफ्तार किए गए है। हरियाणा के हिसार से पकड़ी गई ज्योति मल्होत्रा और महाराष्ट्र के संभाजीनगर से पकड़ी गई कल्पना त्रिंबकराव पाकिस्तान के लिए जासूसी करतो थीं। 27 नवंबर को पंजाब जालन्धर के शाहकोट से अजय अरोड़ा नाम का एक व्यक्ति पकड़ा गया है, जो पाकिस्तानी जासूसों को हवाला के जरिए दुबई से आया पैसा पहुंचाता था। 20 नवंबर को पंजाब के लुधियाना में रामलाल और दीपक नाम के दो हिन्दुओं को हथियारों के साथ गिरफ्तार किया गया। रामलाल पाकिस्तान के अंतरराष्ट्रीय बार्डर शहर श्रीगंगानगर के लालगढ़ कस्बे के गांव ताखरांवाली का है। दीपक उर्फ दीपू श्रीगंगानगर से लगते अबोहर के गांव शेरेवाला का रहने वाला है। लुधियाना पुलिस की कार्रवाई के। दिन बाद 27 नवंबर को श्रीगंगानगर से एक और तस्कर राकेश उर्फ राँको नेहरा को पकड़ा गया, जिसने दीपक और रामलाल को हथियार पहुंचाए थे। पूछताछ में सामने आया कि रामलाल और दीपक पाकिस्तान स्थित हैंडलर जसवीर उर्फ चौधरी के कॉन्टैक्ट में थे। वह भी पाकिस्तानी हिन्दू है, उसने ही बॉर्डर से ड्रोन के जरिए ये तबाही मचाने वाले हथियार पहुंचाए थे। श्रीगंगानगर के दो भाईयों अवि विश्वकर्मा और मावी विश्वकर्मा का नाम भी सामने आया है।

पंजाब पुलिस का कहना है कि दीपक और रामलाल उस आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा हैं, जिसके तार लंरिस गैंग से जुड़े हैं। लारेंस बिश्नोई भी हिन्दू है, लेकिन इस खुलासे से पता चलता है कि उसके तार भी पाकिस्तान से जुड़े हैं। राम लाल और दीपक का काम पाकिस्तान से आए हथियारों को कहे गए स्थान पर भिजवाना था। गुजरात एटीएस की गिरफ्त में आए तीन संदिग्ध आतंकियों को भी इसी रूट से हथियार पहुंचाए गए थे। गुजरात एटीएस ने 11 नवंबर को तीन संदिग्ध आतंकियों मोहिमुद्दीन, सुलेमान शेख और मोहम्मद सुहेल को पकड़ा था। इनके पास से तीन पिस्टल और भारी मात्रा में कारतूस बरामद किए थे। गुजरात एटीएस की पूछताछ में तीनों आतंकियों ने स्वीकारा था कि हनुमानगढ़ (राजस्थान) में सीमा पार से ड्रोन से गिराए गए हथियार उन तक गुजरात पहुंचाए गए थे। 22 नवंबर को दिल्ली पुलिस ने भी आईएसआई कनेक्शन वाले हथियारों के चार तस्कर पकड़े थे, जिनसे तुकीं और चीन में बने 10 हाईटेक पिस्टल और 92 जिंदा कारतूस बरामद किए गए। पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के जासूस चीन-तुर्किए में बने हथियार ड्रोन के जरिए श्रीगंगानगर के बार्डर इलाके में गिरा रहे हैं। यहां से इन हथियारों को देश के दूसरे हिस्सों में पहुंचाया जा रहा है, इस हथियारों की तस्करी के धंधे में पकड़े गए सारे हिन्दू हैं, यह भारत के लिए बहुत ही चिंता का विषय है।

दूसरी चिंता की बात यह सामने आई है कि हिन्दू बहुल राज्य हरियाणा में मुस्लिम कट्टरपंथियों ने हिन्दू सरकारी अफसरों और राजनीतिक नेताओं की मदद से मृत व्यक्तियों की जमीने हडप कर अल फलाह नाम से एक विश्वविद्यालय खड़ा कर लिया, जिसमें मुस्लिमों को मदरसे से लेकर मेडिकल तक की शिक्षा के नाम पर आतंकवाद की ट्रेनिंग दी जा रही थी। शिक्षा की आड़ में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बड़े पैमाने पर हिन्दुओं की हत्याओं के लिए गोला बारूद इक्कठा कर रहे थे। सात पढ़े लिखे मुसलमान गिरफ्तार किए गए हैं, जिनके तार पाकिस्तान के भारत विरोधी आतंकी संगठनों से जुड़े थे। इन सभी डाक्टरों के तार कश्मीर और देवबंद के दारुल उलूम से भी जुड़े हैं। 2021 में जब अमेरिका अफगानिस्तान से विदा हुआ था, तब अल कायदा ने एक प्रेस रीलिज जारी कर के कहा था कि वह इस्लामी जमीनों को आजाद करवाने के लिए वैश्विक जिहाद शुरू करेगा। जिन जमीनों को अल कायदा ने इस्लामी जमीन कहा था, उनमें उसने कश्मीर को भी शामिल किया था। यह बात अलग है कि इस्लाम सातवीं सदी में मक्का में पैदा हुआ, मक्का में भी वहां की जमीनों पर लूटपाट से कब्जा किया गया था। दुनिया में कोई भी जमीन इस्लामी जमीन नहीं है, जितने भी इस्लामी देश हैं, वे लूटपाट और तलवार की नोक पर धर्मांतरण करके इस्लामी बने हैं। इसी तरह कश्मीर में भी बड़े पैमाने पर धर्मांतरण के बाद ही मुस्लिम बहुमत में आए थे। 1320 से पहले वहां कश्मीरी पंडितों और बोद्धों का शासन था। 1320 में लद्दाखी बोद्ध रिन्वन शाह के इस्लाम अपनाने के बाद सदरुद्दीन शाह के नाम से वह पहला मुस्लिम सुलतान बना था। अक्टूबर 2025 में भारत आए अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुतकी ने भी देवबंद का दौरा किया था। दारुल उलूम देवबंद अल कायदा और तालिबान का मार्गदर्शक रहा है। जब अमीर खान मुत्तकी देवबंद पहुंचे, तो जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के प्रमुख मौलाना अशरद मदनी उनके स्वागत में खड़े थे। जब सारा देश आतंकवादियों का अड्डा बने मुस्लिम विश्वविद्यालय को लेकर चिंतित है,

ठीक उसी समय मौलाना अशरद मदनी के भतीजे और जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने भारत, भारतीय संविधान और भारतीय न्यायपालिका के खिलाफ असगरी जिहाद का बिगुल बजा दिया है। क्या उनके भड़‌काऊ बयानों का तालिबान से कोई संबंध है। मदनी ने कहा है कि बाबरी पर आए सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद ट्रिपल तलाक और अन्य कई मामलों में अदालतों का रूख मुस्लिम विरोधी है। क्योंकि सुप्रीमकोर्ट मुसलमानों के खिलाफ फैसले कर रही है, इसलिए उसे 'सुप्रीम' कहलाने का हक नहीं है। इनके यह कहने का क्या मतलब है, क्या यह कि जिस तरह वे वन्देमातरम का इसलिए सम्मान नहीं करते, क्योंकि इसमें भारत माता की वन्दना की गई है, उसी तरह वह सुप्रीमकोर्ट को इसलिए 'सुप्रीम' नहीं मान रहे क्योंकि उनकी नजर में 'अल्लाह ही सुप्रीम' है। वह कहते हैं कि जहां अन्याय हो, वहां जिहाद होना चाहिए। इसका साफ़ मतलब है कि वह मुसलमानों को भारत के संविधान, न्यायपालिका और क़ानून को ताक पर रख कर हिंसा वाले 'असगरी जिहाद' के लिए उकसा रहे हैं। इस्लाम में जिहाद दो किश्म के होते हैं, जिहाद अल अकबर और जिहाद अल असगर। जिहाद अल अकबर आंतरिक संघर्ष, आत्म सुधार और बुराई पर विजय पाने के लिए किया जाता है। जबकि 'जिहाद अल असगर बाहरी जिहाद है, जिसमें इस्लाम के मुताच्चिक उनके अल्लाह को न मानने वालों के खिलाफ हिंसा भी शामिल है। इसलिए हिन्दुओं के लिए चिंता का विषय है कि उसे विश्वासघाती हिन्दुओं से भी खतरा है, और असगरी जिहाद का भी खतरा है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)

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