षटतिला एकादशी बुधवार को, स्नान दान भोजन सबमें तिल प्रयोग की परंपरा
डॉ मृत्युञ्जय तिवारी
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वेबडेस्क। माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहा जाता है। इस साल ये एकादशी 18 जनवरी बुधवार को है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि षटतिला एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास और पूजा की जाती है। इन शुभ कामों के साथ ही इस दिन तिल का दान करने और तिल से हवन करने की भी परंपरा है। इस दिन तिल का उबटन लगाया जाता है। पानी में तिल डालकर स्नान किया जाता है। खाने में तिल का सेवन किया जाता है। तिल का दान और तिल से हवन किया जाता है। जो लोग ये शुभ काम करते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। भक्ति सफल होती है और शांति मिलती है।
एकादशी पर ऐसे कर सकते हैं व्रत
जो लोग एकादशी पर व्रत करना चाहते हैं, उन्हें सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर छोड़ देना चाहिए। स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में गणेश पूजा करें। भगवान विष्णु के सामने धूप-दीप जलाकर व्रत और पूजा करने का संकल्प लें।
षटतिला एकादशी 2023 तिथि
भारतीय पञ्चांग के अनुसार, इस साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 जनवरी दिन मंगलवार को शाम 06 बजकर 05 मिनट से शुरु हो रही है । यह तिथि अगले दिन 18 जनवरी बुधवार को शाम 04 बजकर 03 मिनट तक रहेगी । ऐसे में उदया तिथि के आधार पर षटतिला एकादशी व्रत 18 जनवरी को रखा जाएगा ।
षटतिला एकादशी 2023 पारण समय
जो लोग 18 जनवरी को षटतिला एकादशी व्रत रखेंगे, वे पारण अगले दिन 19 जनवरी गुरुवार को करेंगे । इस दिन पारण का समय सुबह 07 बजकर 14 मिनट से सुबह 09 बजकर 21 मिनट तक है । इस अवधि में व्रती को पारण कर लेना चाहिए. इस दिन द्वादशी तिथि का समापन दोपहर 01 बजकर 18 मिनट पर होगा ।
षटतिला एकादशी पर बना है सर्वार्थ सिद्धि योग
षटतिला एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बना हुआ है । सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफल होते हैं । व्रत के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 23 मिनट तक है । इस अवधि में ही अमृत सिद्धि योग भी बना हुआ है । ऐसे में आप षटतिला एकादशी की पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग में भी कर सकते हैं ।
व्रत की विधि
दिनभर अन्न का सेवन न करें। जो लोग भूखे नहीं रह पाते हैं, वे फलाहार सकते हैं। दूध और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं। सुबह शाम विष्णु जी की पूजा करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। किसी मंदिर में पूजा करेंगे तो अत्याधिक शुभ रहेगा। अगले दिन यानी द्वादशी (गुरुवार) पर जल्दी उठें और स्नान के बाद पूजा-पाठ करें। इसके बाद किसी ब्राह्मण देवता को भोजन कराएं और फिर स्वयं ग्रहण करें।
एकादशी पर करना चाहिए ये शुभ काम
इस दिन पूजा-पाठ और मंत्र जप के साथ विष्णु पुराण या श्रीमद् भगवद् गीता का पाठ करना चाहिए। गीता सार का पाठ कर सकते हैं। श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। माखन-मिश्री का भोग लगाएं। दीपक जलाकर कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों को अपने हाथ से चारा खिलाएं ।
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