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12 फरवरी से गुप्त नवरात्रि, बसंत पंचमी पर नहीं होंगे शुभ कार्य

12 फरवरी से गुप्त नवरात्रि, बसंत पंचमी पर नहीं होंगे शुभ कार्य
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वेबडेस्क। शारदीय और ग्रीष्म नवरात्रि के बाद गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस माह 12 फरवरी से गुप्त नवरात्रि शुरू हो रही है। वहीँ 16 फरवरी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाएगा, लेकिन इस बार शुक्र ग्रह के अस्त होने के कारण बसंत पंचमी पर कोई शुभ कार्य नहीं होंगे।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार मां दुर्गा को समर्पित सनातन परंपरा का आध्यात्मिक पर्व नवरात्र आत्मिक और मानसिक शुद्धि का उत्सव है। यह चेतना का पर्व है जो सांसारिक तत्वों के बीच सूक्ष्म जगत की अवधारणा को सामने रखता है। सामान्य रूप से हम केवल चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि पर ही ध्यान दे पाते हैं। इनकी मान्यता भी अधिक है, लेकिन देवी दुर्गा की आराधना के लिए दो नहीं बल्कि चार नवरात्र पर्व शास्त्रों में वर्णित हैं।

चार नवरात्र का महत्व -

ये क्रमश: चैत्र नवरात्र, आषाढ़ नवरात्र, आश्विन या शारदीय नवरात्र और माघ नवरात्र कहे गए हैं। इस वर्ष माघ नवरात्र का पर्व शुक्रवार, 12 फरवरी से प्रारंभ होकर रविवार, 21 फरवरी तक मनाया जाएगा। इसका नाम ही गुप्त नवरात्रि है, इसलिए इस नवरात्रि की पूजा गुप्त रूप से की जाती है। गुप्त नवरात्रि साधना करने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है।

सिद्धियां प्राप्ति में सहायक -

गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से गुप्त सिद्धियां प्राप्त करने के लिए बहुत उत्तम मानी जाती हैं। गुप्त नवरात्रि में मां की 10 महाविद्याओं की साधना करने से साधक की हर मनोकामना पूर्ण होती है, और कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।देवी दुर्गा की गुप्त साधना और तंत्र-मंत्र साधना के लिए यह नौ दिन विशेष माने जाते हैं। इस संबंध में मार्कण्डेय पुराण के 13 अध्यायों में 700 श्लोकों के माध्यम से महर्षि व्यास जी ने साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण ज्ञान दिया है।

पंचग्राही योग में होगा घट स्थापना -

इस माह गुप्त नवरात्रि धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग व किंस्तुघ्न करण में प्रारम्भ हो रहे हैं। कुम्भ राशि का चन्द्रमा, मकर राशि का सूर्य व मकर के गुरु में घटस्थापना होगी। घटस्थापना के दिन शनि, गुरु, सूर्य, शुक्र व गुरु की पंचग्रही युति भी रहेगी। 13 फरवरी को देवराज गुरु पूर्व में उदित होंगे तो 14 फरवरी को शुक्र अस्त होंगे।जिसके कारण 16 फरवरी को बसंत पंचमी पर इस वर्ष विवाह नहीं हो सकेंगे। दरअसल, बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त की श्रेणी में आता है, लेकिन इस वर्ष पंचमी को शुक्र का तारा अस्त होने से विवाह आदि मंगल कार्य नहीं हो सकेंगे।


Updated : 12 Oct 2021 10:57 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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