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संत तुलसीदास जयंती विशेष : 600 साल पहले जमीन से सूर्य की सटीक दूरी मापी

डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी

संत तुलसीदास जयंती विशेष : 600 साल पहले जमीन से सूर्य की सटीक दूरी मापी
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वेबडेस्क। आज श्रावण शुक्ल सप्तमी को भगवान तुलसीदास जी की पावन जयंती संपूर्ण विश्व में मनाई जा रही है । शास्त्र को इतनी आसान भाषा में लोक कल्याण हेतु प्रस्तुत कर तुलसीदास जी अमर हो गए । संत कवि तुलसीदास जी समन्वयवादी विचारो के साथ श्रेष्ठ विज्ञान परक शास्त्रों के भी ज्ञाता थे । श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि भले विज्ञान बहुत तरक्की कर रहा हो और नित नये राज खोल रहा हो पर भारत की भूमि पर हमेशा से ही विज्ञान पर शोध होता रहा है। यही कारण है कि जो ज्ञान आज वैज्ञानिक बताते हैं वे सभी हमें हमारे वेदों में मिलते हैं। विज्ञान को जितना भारतीय मुनियों ने समझा है शायद ही किसी ओर ने जाना हो। आज इनकी जयंती पर बात करते है तुलसीदास जी के ज्ञान - विज्ञान को जो कि किस प्रकार उन्होंने सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को सटीकता से बताया था। उन्हें हुए लगभग 600 साल हो गये हैं पर जब उनकी बात नासा और तमाम संगठन भी सही बताते हैं तो संपूर्ण विश्व को आश्चर्य होता है, कि भारतीय बहुत वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते थे।

प्राचीन समय में ही गोस्वामी तुलसीदास ने बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। यह बात किसी आश्चर्य से कम नहीं है। आखिर कैसे तुलसीदास जी ने यह आकलन किया था। और वह भी पूरी तरह से सही है, तो क्या ऐसा संभव है कि विज्ञान ने धर्म की कॉपी की हो। आइये इस रहस्य को जानते हैं हनुमान चालीसा के माध्यम से जिसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी थे।।

हनुमान चालीसा में एक दोहा है:

जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।।

इस दोहे का सरल अर्थ यह है कि हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था। हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा लिया था। आधुनिक गणित पद्धति में इसे प्रस्तुत किया जाय तो निकलकर आएगा कि

  • एक युग = 12000 वर्ष
  • एक सहस्त्र = 1000
  • एक योजन = 8 मील
  • युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु
  • 12000 x 1000 x 8 मील = 96000000 मील
  • एक मील = 1.6 किमी
  • 96000000 x 1.6 = 153600000 किमी

इस गणित के आधार गोस्वामी तुलसीदास ने प्राचीन समय में ही बता दिया था कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। अब इसे आज का तथाकथित धर्मद्रोही मानव कोई संयोग भी बोल सकता है या बोल दे कि यह तुक्का ही है। लेकिन धर्म के जानकर ज्योतिषाचार्य मृत्युञ्जय तिवारी बताते हैं कि हनुमान जी ने बचपन में ही यह दूरी तय कर ली थी, जब वह सूर्य को फल समझकर खाने के लिए पृथ्वी से ही सूर्य पर पहुँच गये थे।

अब इस सच को आप मानें या ना मानें यह तो आपके ऊपर निर्भर करता है लेकिन इससे यह तो सिद्ध हो जाता है कि आज भी धर्म, विज्ञान से कहीं आगे है। धर्म कहता है कि ब्रह्माण्ड में एक नहीं हजारों सूर्य, चन्द्रमा हैं और तो औऱ अनगिनत ब्रह्मांड का चिंतन भी वैज्ञानिक रामायण से लेते हैं। आसान भाषा में देखा जाये तो भारतीय संस्कृति जिसमें वेदों का समावेश है वह आधुनिक विज्ञान से बहुत ऊपर है और इसी कारण से आज भी वेद की कई रिचायें वैज्ञानिकों को समझ नहीं आती हैं। हमारे यहां शास्त्र परंपरा में एकोहम बहुस्याम की बात है। और इसी एक वेद मंत्रांश में अनगिनत रहस्य सजोकर मुनियों ने हमारे सामने प्रस्तुत किया है।

Updated : 4 Aug 2022 8:11 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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