भगवान श्रीकृष्ण का कलयुग अवतार हैं खाटू श्याम बाबा

बाबा श्याम के दर्शन मात्र से ही लोगों के दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं
भारत में लाखों मंदिर हैं, और हर मंदिर के बनने के पीछे कोई न कोई रहस्य छिपा होता है। ऐसा ही एक रहस्यमयी और चमत्कारिक मंदिर है खाटू श्याम मंदिर। राजस्थान के सीकर जिले में स्थित यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। आज लाखों लोग न केवल खाटू बाबा को मानते हैं, बल्कि हर दिन यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
मान्यता है कि जो लोग यहां आकर भगवान खाटू के दर्शन करते हैं, उनके जीवन की हर समस्या दूर हो जाती है। बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है। इसलिए लोग अपनी परेशानियां लेकर यहां आते हैं। पूरे भारत में जिन्हें खाटू श्याम बाबा के रूप में पूजते हैं, वे असल में भगवान श्रीकृष्ण के कलयुग अवतार हैं। इसलिए उनका जन्म कार्तिक शुक्ला देवउठनी ग्यारस के दिन मनाया जाता है। इस दिन परिसर में विशाल मेला लगता है, जो ग्यारस मेला के नाम से प्रसिद्ध है।
श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पृथ्वी सिंह चौहान ने बताया कि खाटू श्याम बाबा महाभारत काल में बर्बरीक के रूप में जाने जाते थे। वे तीन बाणधारी शक्तिशाली योद्धा थे। वे पांडव पुत्र भीम के नाती और घटोत्कच के पुत्र थे। बर्बरीक की माता का नाम हिडिम्बा था।
उन्होंने यह भी बताया कि महाभारत के दौरान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से शीशदान में मांगा था। बर्बरीक ने बिना कुछ सोचे अपना शीश दे दिया। तब श्री कृष्ण प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में तुम मेरे नाम से जाने जाओगे। जो हारा हुआ भक्त तुम्हारे पास आएगा, तुम उसका सहारा बनोगे। इसी कारण उन्हें हारे का सहारा कहा जाता है। मान्यता है कि श्याम बाबा सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं और फर्श से अर्श तक पहुंचा सकते हैं।
खाटू में बर्बरीक का शीश
मान्यता है कि महाभारत का युद्ध खत्म होते ही श्री कृष्ण ने बर्बरीक का शीश रूपवती नदी में बहा दिया, जो बाद में खाटू गांव की जमीन में दफन हो गया। एक दिन वहां से एक गाय गुजरी और उसके थन से अपने आप दूध बहने लगा। यह देखकर गांव वाले हैरान रह गए और खबर खाटू के राजा तक पहुंची।
सपने में राजा को श्री कृष्ण ने दिया आदेश
खाटू के राजा जब उस जगह पहुंचे, तो उन्हें याद आया कि कुछ दिन पहले सोते समय उन्हें ऐसा ही सपना आया था। सपने में भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें आदेश दिया था कि जमीन में शीश दफन है। उस शीश को निकालकर खाटू गांव में स्थापित कर मंदिर का निर्माण करवाना होगा। इसके बाद राजा ने खुदाई कराई और जमीन से शीश निकला। शीश को खाटू में एक जगह स्थापित कर मंदिर का निर्माण कराया गया। आज यह मंदिर बाबा खाटू श्याम के नाम से पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
