- मेक्सिको के राष्ट्रपति ने दुनिया में शांति के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का दिया प्रस्ताव
- मप्र कैबिनेट निर्णय : किसानों को शून्य ब्याज दर पर मिलेगा फसल ऋण
- ICC T20 रैंकिंग में सूर्यकुमार दूसरे नंबर पर कायम, श्रेयस अय्यर ने लगाई बड़ी छलांग
- सरकार 31 अगस्त से एयरलाइंस पर हटाएगी किराया कैप, कंपनी अपने हिसाब से तय करेंगी फेयर
- जस्टिस उदय उमेश ललित बने देश के 49वें CJI, एनवी रमना की लेंगे जगह
- देश में 70 साल बाद दिखेंगे चीते, अफ्रीका से 16 घंटे में पहुंचेंगे ग्वालियर
- नूपुर शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, देश भर में दर्ज सभी केस दिल्ली ट्रांसफर
- IAS सौम्या शर्मा की कहानी, 16 साल की उम्र में खो दी थी सुनने की शक्ति, एक बार में पाई सफलता
- ग्वालियर में महापौर ने किया मेयर इन काउन्सिल का गठन, इन...पार्षदों को मिली जगह
- नीतीश कुमार ने आठवीं बार ली सीएम पद की शपथ, तेजस्वी यादव बने उपमुख्यमंत्री

रविवार को द्विपुष्कर योग में होगी कामिका एकादशी विज्ञान भी मानता है व्रतराज का महत्व
X
वेबडेस्क। सावन माह में कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस साल 24 जुलाई को कामिका एकादशी पड़ रही है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय होती है। श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि सावन मास में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व होता है। इस दिन पूजा करने से भगवान विष्णु के साथ भोलेनाथ का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन विधिवत पूजा करने व व्रत करने वाले भक्तों के समस्त दुख दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है।
इस साल कामिका एकादशी पर द्विपुष्कर योग का शुभ संयोग बन रहा है। जिससे यह एकादशी और भी शुभ हो रही है साथ में रविवार के दिन पड़ने वाली एकादशी का व्रत सभी ग्रहों के बाधा से मुक्ति देता है क्योंकि ग्रहों का राजा सूर्य है । इस दिन द्विपुष्कर योग रात 10:00 बजे से अगले दिन सुबह 05:38 बजे तक रहेगा। इसके अलावा इस दिन वृद्धि व ध्रुव योग बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, द्विपुष्कर, वृद्धि व ध्रुव योग को अत्यन्त शुभ योगों में गिना जाता है। इस अवधि में किए गए कार्यों में निश्चित सफलता प्राप्त होती है।
एकादशी व्रत' का वैज्ञानिक आधार
डॉ तिवारी ने बताया कि हमारे शरीर में 75 प्रतिशत जल है, वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो हमारा मस्तिष्क हमारे द्वारा ग्रहण किए गए भोजन को समझने में 3 से 4 दिन लगाता है । अमावस्या और पूर्णिमा के दिन वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के चारों ओर सबसे ज्यादा होने के कारण इन दोनों ही तिथियों में हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है । ऐसे में, एकादशी के दिन व्रत करने से इसका सकारात्मक प्रभाव अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों तक मिलता है जिससे मन चंचल नहीं रहता है, डिप्रेशन और तनाव की समस्या नहीं होती है और एकाग्रता बढ़ती है । चूंकि, एकादशी के दिन, अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों की तुलना में वायुमंडलीय दबाव सबसे कम होता है, इसलिए एकादशी के दिन व्रत करने से शरीर बहुत आसानी से और बिना किसी तकलीफ के शुद्ध होता है, जिससे हमारा मन और शरीर स्वस्थ बना रहता है ।
खगोलीय विज्ञान भी मानता है एकादशी व्रत का महत्व -
डॉ तिवारी के अनुसार एकादशी के विषय में शास्त्र कहते हैं, 'न विवेकसमो बन्धुर्नैकादश्या: परं व्रतं' यानि, विवेक के सामान कोई बंधु नहीं है और एकादशी से बढ़कर कोई व्रत नहीं है । पांच ज्ञान इंद्रियां, पांच कर्म इंद्रियां और एक मन, इन 11 को जो साध ले वो प्राणी एकादशी के समान पवित्र और दिव्य हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार शरीर रथ है और बुद्धि उस रथ की सारथी है । हमारे शरीर में कुल दस इन्द्रियां हैं और मन एकादश यानी ग्यारहवीं इंद्री है । एकादशी के दिन चंद्रमा आकाश में 11 वें अक्ष पर होता है और इस समय मन की दशा बहुत चंचल होती है, इसलिए एकादशी का व्रत करके मन को वश में किया जाता है । चंचल मन को एकाग्र करने के लिए एकादशी व्रत बहुत उपयोगी होता है ।