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9 जून को गंगा दशहरा, 10 को मनेगी निर्जला एकादशी, ऐसे करे पूजन
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वेबडेस्क। निर्जला एकादशी व्रत हर वर्ष ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस बार यह तिथि 10 जून शुक्रवार को है। इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं, क्योंकि इस एकादशी व्रत को महाबली भीम ने भी किया था। निर्जला एकादशी में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस माह में जल के दान से सभी मनोकामना पूरी होती हैं।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार जेष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला भीमसेनी एकादशी का व्रत रहेगा। इस व्रत को बिना पानी ग्रहण किए जाने का विधान है। इसी कारण से निर्जला एकादशी कहा जाता है। इस दिन गरीबों को मीठा जल पिलाने से सभी तरह के मनोरथ पूरे होते हैं। निर्जला एकादशी वर्ष भर की सभी एकादशी में अधिक महत्व रखती है। इस बार यह व्रत 10 और 11 जून को रखा जाएगा। 10 जून को स्मार्त संप्रदाय यानी गृहस्थ लोग इस व्रत को करेंगे। वही 11 जून को वैष्णव संप्रदाय के लोग यानी साधु, संत, योगी, जोगी करेंगे। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि निर्जला एकादशी व्रत 10 जून से शुरू होकर 11 जून की उदया तिथि मेंं भी मान्य होगा। इस दिन चित्रा नक्षत्र रात्रि 3.27 तक रहेगा। उसके उपरांत स्वाति नक्षत्र 11 जून रात्रि 2.06 तक रहेगा। वही पंचांग में निर्जला एकादशी 10 जून को सुबह 7.26 से शुरू होकर अगले दिन 11 जून को सुबह 545 बजे पर समाप्त होगी।
इस प्रकार करें पूजा:-
इस दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनाएं। संभव हो तो गंगा स्नान करें। भगवान विष्णु के मंत्र का भी जाप करें। मंदिर, ब्राह्मण और जरूरतमंदों को मटकी, पंखे, खरबूजा, मीठा शरबत आदि का दान करें।
लक्ष्मीनारायण मंदिर में 9 जुलाई तक मनेगा गंगा दशहरा:-
जनकगंज स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में 9 जून तक गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। जिसमें प्रतिदिन आरती, पूजा, भजन आदि किए जाएंगे। शाम 5 से 7 बजे तक मराठी महिला भजन मंडल के द्वारा भजन होंगे। रात्रि 7.30 बजे आरती और इसके बाद हिन्दी भजन गाए जाएंगे।