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5 मई को पड़ेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानिए सूतक काल और प्रभाव

चंद्र ग्रहण रात्रि में आठ बजकर 42 मिनिट और 20 सेकंड पर शुरू होकर दूसरे दिन छह मई को रात्रि एक बजकर तीन मिनट 42 सेकंड पर समाप्त होगा

5 मई को पड़ेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानिए सूतक काल और प्रभाव
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वेबडेस्क। सूर्य ग्रहण के 15 दिन बाद साल का पहला चंद्रग्रहण शुक्रवार 05 मई को वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन लगेगा। बुद्ध पूर्णिमा को चंद्रमा उपछाया ग्रहण के साये में होगा। इसमें चांदनी कुछ फीकी होगी। ज्योतिष की दृष्टि से यह प्रभावहीन है। क्योंकि भारतीयों पर इसका कोई असर नहीं होने जा रहा और न ही अन्य ग्रहण के अनुरूप इस पर कोई सूतक प्रभाव हो रहा है। इस चंद्रग्रहण का कुल समय चार घंटे और 15 मिनट तक का है।

यह चंद्र ग्रहण रात्रि में आठ बजकर 42 मिनिट और 20 सेकंड पर शुरू होकर दूसरे दिन यानी कि छह मई को रात्रि एक बजकर तीन मिनट 42 सेकंड पर समाप्त होगा। जब ग्रहण शुरू होगा उस समय और जब समाप्त होगा तब ये आधा दिखेगा। साथ ही रात 10:53 पर यह पूरा पृथ्वी से ढक जाएगा और ऐसे में रात पूरी तरह काली अंधेरी के रूप में दिखाई देगी। यानी आसमान पूरा काला रहेगा। इस दृष्य का पूरा आनन्द लेने के लिए टेलीस्कोप की मदद लेनी चाहिए और उसे पूरा जूम कर चंद्रमा अवश्य देखना चाहिए। उन्हें चांद का बहुत ही साफ नजारा दिखाई देगा।

सूतक काल मान्य नहीं

ज्योतिष शास्त्र में इसका बहुत अधिक महत्व माना गया है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार सूर्य या चंद्र ग्रहण का नकारात्मक असर न केवल लोगों के जीवन बल्कि संपूर्ण पृथ्वी पर पड़ता है। साल का पहला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका प्रभाव नहीं होगा और न ही सूतक काल मान्य होगा। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के प्रधान महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य का कहना है कि उपछाया चंद्रग्रहण शुक्रवार को अवश्य है किंतु इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार ग्रहण काल से कुछ घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है। सनातन हिन्दू धर्म में सूतक काल को विशेष महत्व देते हुए इस समय में पूजा-पाठ और शुभ कार्यों की मनाही की गई है, लेकिन पांच मई को लगने वाला चंद्रग्रहण भारत में नहीं देखा जाएगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं किया गया है। इसलिए ये प्रभावहीन है।

चंद्र ग्रहण पर रहेगा भद्रा का साया

चंद्र ग्रहण को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्व खगोलीय घटना के तौर पर देखा जाता है। इस बार चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में आरंभ हो रहा है। भद्रा का साया भी रहेगा। ग्रहण के मध्यकाल और मोक्षकाल के समय विशाखा नक्षत्र रहेगा। इसी दिन वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा भी है। वैसे तो ग्रहण एक भौगोलिक घटना है, लेकिन फिर भी हम सनातनियों को अवश्य इस समय में विशेष मंत्र साधना करना चाहिए, इसका लाभ ही जीवन में मिलता है।

Updated : 4 May 2023 2:05 PM GMT
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स्वदेश डेस्क

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