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घट स्थापना के साथ घर-घर में विराजी मां दुर्गा, देवी मंदिरों में भक्तों को तांता
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वेबडेस्क। शारदीय नवरात्र के पहले दिन विधि विधान के साथ मंदिर व घरों में माता की पूजा व आराधना की गई। घरों में माता की चौकी लगाकर कलश स्थापना व घट पूजन किया गया। मंदिरों में माता का श्रृंगार व महाआरती के साथ पूजा कर भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना की जाती है। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। इनका वाहन वृषभ है इस लिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से जानी जाती है इनकी उपासना से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
देवी मंदिरों में भक्तों को तांता -
शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मंदिरों में भक्तों भीड़ पहुंची। भारी संख्या में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग सहित भक्तगण पहुंचे और माता का पूजन कर परिवार की खुशहाली का आशीष मांगा। जनपद के तपेश्वरी, बारादेवी सहित सभी प्रमुख देवी मंदिरों में भक्तों को तांता लगा रहा। घाटमपुर के प्राचीन कुष्मांडा देवी मंदिर में दूर-दराज से भक्तों के आने का सिलसिला भोर से ही शुरू हो गया था। खास बात यह है कि मंदिरों में भक्तों के दर्शन पूजन के लिए मंदिर प्रबंधन के साथ ही प्रशासन व पुलिस द्वारा कोविड प्रोटोकॉल की गाइड लाइन का पालन कराया जा रहा है।
मां शैलपुत्री की पूजा विधि -
मां शैलपुत्री की तस्वीर स्थापित करें और उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके ऊपर केशर से शं लिखें इसके बाद हाथ में लाल पुष्प लेकर शैलपुत्री देवी का ध्यान करें। और मंत्र बोलें।
मंत्र: ''ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ओम शैलपुत्री देव्यै नम:।''
- मंत्र के साथ ही हाथ में पुष्प लेकर माता रानी की तस्वीर के ऊपर छोड दें।
- इसके बाद भोग प्रसाद अर्पित करें और मां शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें।
- यह जप कम से कम 108 होना चाहिए।
- मंत्र - ''ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।''
- मंत्र संख्या पूर्ण होने के बाद मां के चरणों में अपनी मनोकामना को व्यक्त करके आरती कीर्तन करें।
- इस मंत्र के करने से माता की विशेष कृपा भक्तों पर होती है।