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चातुर्मास शुरू होते ही बंद हो जाएंगे शुभ कार्य, कौनसा माह किस देव को समर्पित,जानिए

श्री विष्णु से भगवान शिव लेंगे सृष्टि का भार

चातुर्मास शुरू होते ही बंद हो जाएंगे शुभ कार्य, कौनसा माह किस देव को समर्पित,जानिए
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वेबडेस्क। देवशयनी एकादशी को पद्मा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी मंगलवार, 20 जुलाई को पड़ रही हैइसके बाद 14 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के दिन जागेंगे। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक का चार माह का समय हरिशयन का काल समझा जाता है। वर्षा के इन चार माहों का संयुक्त नाम चातुर्मास दिया गया है। इस समयावधि में सभी शुभ कर बंद हो जाते है। शुभ कार्य करना वर्जित होता है। इन चार महीनों में भगवान विष्णु सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव को दे देते हैं और खुद निद्रा के लिए चले जाते हैं।

चातुर्मास्य के दौरान किए गए सभी व्रतों-पर्वों का विशेष लाभ मिलता है। पुराणों में इस चौमासे का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। भागवत में इन चार माहों की तपस्या को एक यज्ञ की ज्ञा दी गई है। इस समयावधि में जितने भी पर्व, व्रत, उपवास, साधना, आराधना, जप-तप किए जाते हैं, उनका विशाल स्वरूप एक शब्द में चातुर्मास्य कहलाता है।शास्त्रों व पुराणों में इन चार माहों के लिए कुछ विशिष्ट नियम बताए गए हैं। इसमें चार महीनों तक अपनी रुचि व अभिष्ठानुसार नित्य व्यवहार की वस्तुएं त्यागना पड़ती हैं। कई लोग खाने में अपने सबसे प्रिय व्यंजन का इन माहों में त्याग कर देते हैं। चूंकि यह विष्णु व्रत है, इसलिए चार माहों तक सोते-जागते, उठते-बैठते ॐ नमो नारायणाय के जप की अनुशंसा की गई है।

ये है कथा -

पौराणिक कथा के अनुसार, चातुर्मास में भगवान विष्णु सभी देवी-देवताओं के साथ राजा बलि के यहां पाताल लोक में आराम करते हैं। इस काल में सृष्टि का भरा और संचालन का जिम्मा शिव संभालते है। इसलिए चतुर्मास का पहला माह सावन भोलेनाथ को समर्पित होता है। इस दौरान उनकी पूजा करना विशेषरूप से फलदायी होती है।

गणेश और कृष्ण पूजन -

इस काल का दूसरा माह भगवान् कृष्ण और गणेश जी को समर्पित होता है। इस दौरान भाद्र मास में दोनों के अवतरण कृष्ण जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। कृष्ण और गणेश भक्त विशेष रूप से दोनों की भक्ति करते है।

पितृ पूजा -

इस दौरान पितरों का भी पूजन किया जाता है। श्राद्ध पक्ष में सभी अपने पितरों और पूर्वजों को जल देकर तर्पण करते है। जिसका विशेष महत्व है।

दुर्गा पूजन -

चातुर्मास का तीसरा माह माँ दुर्गा को समर्पित है। इस माह में आने वाली शारदीय नवरात्रि में बड़े धूमधाम से माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। भक्त नौ दिनों तक व्रत रख पूजन करते है। दशमी के दिन पारण कर व्रत खोलते है।

लक्ष्मी पूजन -

चातुर्मास का अंतिम और चतुर्थ माह माँ लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दौरान कार्तिक अमावस्या तिथि पर दीपावली में लक्ष्मी पूजन किया जाता है।यह चतुर्मास का आखिरी माह होता है। इस माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को विष्णु भगवान जाग जाते है और सृष्टि का भार दोबारा संभाल लेते है और शुभ कार्य शुरू हो जाते है।

Updated : 12 Oct 2021 10:13 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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