आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर जोशीमठ में हुई विराजमान
-अब पांडुकेश्वर और जोशीमठ में होगी शीतकालीन पूजाएं
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जोशीमठ। आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी सोमवार को नृसिंह मंदिर स्थित गद्दी स्थल में स्थापित होते ही श्री बदरीनाथ धाम यात्रा का औपचारिक समापन भी हो गया है। शीतकाल में छह माह यहीं पर पूजा होंगी।
सोमवार को आदिगुरू शंकराचार्य की गद्दी योग बदरी पांडुकेश्वर से नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंची। जहां श्रद्धालुओं ने आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी के दर्शन किये तथा रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी का स्वागत किया। इससे पहले रावल ने विष्णु प्रयाग में भगवान नारायण की पूजा और मां गंगा की आरती की। तत्पश्चात सीमा सड़क संगठन कैंप मारवाड़ी में रावल एवं धर्माधिकारी का स्वागत हुआ।
मंदिर समिति मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि सोमवार को पूर्वाह्न रावल जी एवं आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंच गयी। जहां पर पूजा अर्चना हुई तथा महिलाओं ने मंगल गान और भजन गाये। इस अवसर पर प्रसाद वितरण के साथ भंडारा हुआ। इसी के साथ श्री बदरीनाथ धाम यात्रा का औपचारिक समापन हो गया। योग बदरी पांडुकेश्वर तथा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो गयी हैं।
इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज, रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, उपाध्यक्ष किशोर पंवार, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह, खाक चैक के परमाध्यक्ष स्वामी बाबा बालक दास जी महाराज, धरणीधर जी महाराज, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, कमांड अधिकारी मनीष कपिल,स्वामी मुकुंदानंद महाराज, अनसुया नौटियाल, हेमा नेगी, शर्मिला, अंजना भट्ट, आंचल भट्ठ, हरीश जोशी, थानाध्यक्ष विजय भारती, बदरीनाथ थाना प्रभारी केसी भट्ट, एसआई गगन मैठाणी आदि मौजूद थे।
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