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कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन, गुर्जर आरक्षण आंदोलन से मिली पहचान

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन, गुर्जर आरक्षण आंदोलन से मिली पहचान
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जयपुर। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का निधन हो गया। बैंसला लंबे समय से बीमार थे। उन्होंने मणिपाल हॉस्पिटल में बुधवार रात आखिरी सांस ली। बैंसला के निधन की पुष्टि उनके बेटे विजय बैंसला ने की है। राजस्थान में बैंसला को गुर्जर आंदोलन का अगुवा माना जाता है। इससे पहले भी बैंसला को जयपुर के अस्पताल में सांस लेने की दिक्कत के चलते कई बार भर्ती कराया गया था। 85 साल से ज्यादा उम्र वाले कर्नल बैंसला पहले दो बार कोरोना पॉजिटिव भी हो चुके हैं।

पिछले साल नवंबर में भी बैंसला को फेफड़ों में संक्रमण की शिकायत के चलते जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। राज्य में जब भी गुर्जर आरक्षण आंदोलन का नाम आता है किरोड़ी बैंसला का नाम सबसे ऊपर लिखा जाता है। किरोड़ी बैंसला के एक इशारे पर राजस्थान के गुर्जर एकजुट हो उठते थे। पिछले दो दशकों में कई बार गुर्जर आरक्षण आंदोलन समय-समय पर सरकारों के गले की फांस बना है।

कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ। गुर्जर समुदाय से आने वाले किरोड़ी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत शिक्षक के तौर पर की थी लेकिन पिता के फौज में होने के कारण उनका रुझान फौज की तरफ हो गया। उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया। बैंसला शुरुआती दौर में सेना में सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए। बैंसला सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हुए जहां उन्होंने सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में बहादुरी का परिचय दिया।

किरोड़ी सिंह बैंसला पाकिस्तान में युद्धबंदी भी रहे हैं। कहा जाता है कि उन्हें दो उपनामों से भी जाना जाता है, सीनियर्स उन्हें 'जिब्राल्टर का चट्टान' और साथी कमांडो 'इंडियन रेम्बो' कहते थे। सेना में एक सिपाही के तौर पर शुरुआत करने वाले बैंसला कर्नल की रैंक तक पहुंचे। बैंसला के चार संतान हैं, उनकी एक बेटी रेवेन्यू सर्विस और दो बेटे सेना में हैं और एक बेटा निजी कंपनी में कार्यरत है। बैंसला की पत्नी का निधन पहले ही हो चुका है। वे अपने बेटे के साथ हिंडौन में रहते थे।

सेना से रिटायर होने के बाद किरोड़ी सिंह राजस्थान लौट आए और गुर्जर समुदाय को अधिकारों के लिए लामबंद करने लगे। आंदोलन के दौरान कई बार उन्होंने रेल रोकी। पटरियों पर धरना दिया। आंदोलन को लेकर बैंसला पर कई तरह के आरोप भी लगे। गुर्जर आरक्षण आंदोलन में 70 से अधिक लोगों की मौत भी हो चुकी है। उनके नेतृत्व में 2007 में राजस्थान में गुर्जरों ने बड़ा आंदोलन किया था। यह आंदोलन गुर्जरों को राजस्थान में आरक्षण दिलाने के लिए किया गया था। वे गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख थे।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा कि बैंसला सामाजिक आंदोलन के प्रखर नेतृत्वकर्ता थे। उन्होंने सामाजिक अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। उनकी कमी हमेशा महसूस होती रहेगी। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे। परिजनों व प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।

किरोड़ी लाल लंबे वक्त से बीमार थे। ऐसे में अभी उनके बेटे विजय बैंसला गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के प्रमुख हैं। 2007 में बैंसला के नेतृत्व में गुर्जरों का बड़ा आंदोलन हुआ था। इसके बाद 2015 में भी उनके नेतृत्व में बड़ा गुर्जर आंदोलन हुआ था। करीब 25 दिन चले आंदोलन के बाद बैंसला के नेतृत्व में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ गुर्जर समुदाय की बैठक हुई थी। इसमें गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया गया था।

Updated : 2 April 2022 8:22 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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