Rajya Sabha: कौन हैं वो चार लोग जिन्हें राज्यसभा भेजने के लिए राष्ट्रपति ने किया मनोनीत

कौन हैं वो चार लोग जिन्हें राज्यसभा भेजने के लिए राष्ट्रपति ने किया मनोनीत
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Rajya Sabha : कौन हैं वो चार लोग जिन्हें राज्यसभा भेजने के लिए राष्ट्रपति ने किया मनोनीत

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चार लोगों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इनमें वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम और पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला शामिल हैं। निकम और श्रृंगला के अलावा, राष्ट्रपति ने सामाजिक कार्यकर्ता सी सदानंदन मास्टर और इतिहासकार मीनाक्षी जैन को भी उच्च सदन के लिए नामित किया है।

एक राजपत्र अधिसूचना में कहा गया है कि ये नए नामांकन पूर्व में नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने के बाद हुए हैं। राष्ट्रपति राज्यसभा के लिए अधिकतम 12 सदस्यों को नामित कर सकते हैं और ये नामित व्यक्ति साहित्य, विज्ञान, कला और समाज सेवा के क्षेत्र से होने चाहिए। उच्च सदन में चार सीटें रिक्त थीं।

वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम :

बहत्तर वर्षीय उज्ज्वल निकम ने 1993 के मुंबई बम विस्फोटों और 26/11 के हमलों जैसे प्रमुख आतंकवादी मामलों में विशेष लोक अभियोजक के रूप में काम किया है। उन्होंने कसाब को फांसी दिलवाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने संगीत जगत के दिग्गज गुलशन कुमार और भाजपा के दिग्गज नेता प्रमोद महाजन के चर्चित हत्याकांडों में भी काम किया है। पिछले साल लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने निकम को मुंबई उत्तर मध्य सीट से मैदान में उतारा था लेकिन वे कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ से हार गए थे। निकम को 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला :

श्रृंगला जनवरी 2020 से अप्रैल 2022 तक विदेश सचिव रहे। वे 2023 में भारत द्वारा आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन के मुख्य समन्वयक भी थे। इससे पहले, उन्होंने अमेरिका में भारत के राजदूत और बांग्लादेश में उच्चायुक्त के रूप में कार्य किया था।

सी सदानंदन मास्टर :

सी सदानंदन मास्टर केरल के एक शिक्षक और कार्यकर्ता हैं, जिनके पैर तीन दशक पहले सीपीएम कार्यकर्ताओं के हमले में काट दिए गए थे। उन्होंने 2016 का केरल चुनाव कुथुपरम्बा से लड़ा था लेकिन तीसरे स्थान पर रहे थे।

इतिहासकार मीनाक्षी जैन :

मीनाक्षी जैन एक राजनीति विज्ञानी और इतिहासकार हैं, जिन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे इससे पहले भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद की सदस्य रह चुकी हैं।

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