नई दिल्‍ली: कांग्रेस की जय हिन्द यात्रा में ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी के ये कैसे - कैसे सवाल? संबित पात्रा परेशान!

कांग्रेस की जय हिन्द यात्रा में ऑपरेशन सिंदूर पर राहुल गांधी के ये कैसे - कैसे सवाल? संबित पात्रा परेशान!
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नई दिल्‍ली: ऑपरेशन सिंदूर में सेना के शौर्य को सलाम करने के लिए काँग्रेस की जय हिन्द यात्रा जारी है। लेकिन कभी कांग्रेस के मंच से तो कभी रैली से आए दिन राहुल गांधी सहित कई काँग्रेस नेताओं के ऐसे सवाल सामने आ रहे है जिसको लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जय हिन्द यात्रा की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।

भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा संसद और प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि राहुल गांधी की जय हिन्द यात्रा , जय पाकिस्तान यात्रा ज़्यादा लग रही है। इस यात्रा से वही सवाल पूछे जा रहे हैं जो पाकिस्तान की सरकार पूछ रही है।

संबित पात्रा का कहना है कि राहुल गांधी बार-बार पूछ रहे हैं कि कितने क्राफ्ट गिरे लेकिन वो कभी नहीं पूछ रहे की भारत ने पाकिस्तान के कितने एयर बेस उड़ा दिए? संबित पात्रा का कहना है कि राहुल और काँग्रेस इस तरह के सवाल पूछ कर दरअसल पाकिस्तान के झूठे दावों पर काँग्रेस की मुहर लगाना चाहते हैं।

संबित पात्रा ने ये भी कहा कि काँग्रेस के भी कई नेता सर्वदलीय नेताओं के साथ विदेश में जाकर भारत के शौर्य का परिचय डिसीज़ हैं, मगर काँग्रेस और गांधी परिवार अपनी ही पार्टी के इन राष्ट्रभक्त नेताओं को अलग -थलग की हुई है ।

ऐसे में सवाल उठता है कि शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी जैसे कई नेता देश के साथ है लेकिन राहुल गांधी पाकिस्तान की बोली बोल रहे हैं।

आख़िर क्यों अलग-थलग पड़ते जा रहे राहुल गांधी?

उल्लेख इत है कि शशि थरूर, मनीष तिवारी और सलमान खुर्शीद ने ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस की लाइन से अलग रुख अपनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान की आतंकवाद नीति से पूरे विश्व को अवगत कराने के लिए भारत सरकार के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहे गईं मगर राहुल गांधी , पवन खेड़ा , जयराम रमेश , मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे कई नेता उनसे इतर अलग ही राग अलाप रहे हैं।

ऐसे में काँग्रेस की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं और सूत्रों की माने तो उस मुद्दे पर पार्टी में असहमति बढ़ रही है। अब कांग्रेस में शशि थरूर की तरह पार्टी लाइन से अलग मत रखने वालों की लिस्ट बढ़ती जा रही है। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कांग्रेस के स्टैंड से उसकी ही पार्टी के कई नेता सहमत नहीं हैं। कांग्रेस के कई नेता ऑपरेशन सिंदूर से गदगद हैं और वे इसके लिए खुलकर मोदी सरकार की तारीफ कर रहे हैं। लेकिन पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की सहमति और संवेदनाओं को ताख़े पर रख कर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर है। राहुल गांधी बार-बार सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि हमारे कितने फाइटर जेट को नुकसान हुआ है।

दरअसल, कांग्रेस पार्टी के भीतर एक बार फिर पार्टी छोड़ने की हलचल मची हुई है। ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस दो खेमों में बंट चुकी है। एक खेमा सरकार से सवाल कर रहा है वहीं दूसरी तरफ़ कांग्रेस के कई नेता सरकार के एक्शन से खुश नजर आ रहे है । हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर पर जिस तरह से कांग्रेस नेता शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी ने पार्टी लाइन से अलग बयान दिए हैं। उससे ये साफ होता जा रहा है कि राहुल गांधी के नेतृत्व पर अब काँग्रेस में अविश्वास खुलकर सामने आ रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर की अगर बात करें तो भारत के ज्यादातर विपक्षी दल जहाँ चुप्पी साधे बैठे हुए हैं, वहीं कांग्रेस ऑपरेशन सिंदूर पर लगातार हमलवार है लेकिन ये पहला मौक़ा है जब शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी जैसे सीनियर नेता पार्टी लाइन से थोड़ा अलग नजर आ रहे हैं। शशि थरूर पर काँग्रेस को विश्वास हो या नहीं हो मगर मोदी सरकार को पूरा विश्वास है इसलिए वो अभी भी ऑपरेशन सिंदूर डेलिगेशन का हिस्सा बने हुए हैं उन्होंने इसे राष्ट्रीय हित का मसला बताया है।

शशि थरूर की तरह ही मनीष तिवारी ने भी ऑल पार्टी डेलिगेशन में खुद को शामिल करने के फैसले को जस्टिफाई किया है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पाकिस्तान स्पॉन्सर्ड आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर वाले डेलिगेशन शामिल होने के अपने फैसले को राष्ट्र की पुकार बताया है।

यहां बताना जरूरी है कि कांग्रेस नेतृत्व ने दोनों सांसदों को डेलिगेशन में शामिल होने से रोकने की कोशिश भी की गई थी। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने चार वैकल्पिक नाम सुझाए थे, जिनमें शशि थरूर और मनीष तिवारी का नाम नहीं था।

आतंकवाद पर पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए विदेश भेजे गए डेलिगेशन में काँग्रेस नेता और देश के पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी पार्टी लाइन से अलग अपना रुख अपनाया और मिडिल ईस्ट देशों में ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत का एक सफल अभियान बता रहे हैं।

साथ ही सलमान खुर्शीद ने विदेशों में कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करने के कदम को ऐतिहासिक बताते हुए इसे कश्मीर की खुशहाली का नया रास्ता करार दिया है।

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