नई दिल्ली: चीन से उसके विस्तारवादी नीति पर सवाल करने का समय आ गया है।

अनीता चौधरी, नई दिल्ली: भारत पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच चीन भी कहीं ना कहीं मौके पर चौका मारने के फ़िराक़ में है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन पाकिस्तान को सैन्य हथियारों की मदद कर रहा था। मगर भारत ने चीन के सभी हथियारों को हवा में ही खिलौने की तरह उड़ा दिया।
अब चीन खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तरह भारत को आँख दिखाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहा है। बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में चीन के रक्षा हथियार की किरकिरी हो रही है और भारत के एयर डिफेंस सिस्टम की मान बढ़ गई है।
ऐसी स्थिति में अपने वजूद की बचाने के लिए चीन भारत पर एक बार फिर अपनी वही पुरानी विस्तारवादी नीति थोपने की कोशिश कर रहा है। वो कभी साउथ एशिया सी के पास अपने जंगी जहाज़ भेज रहा है तो कभी अरुणाचल की तरफ़ अपनी नज़रें घुमाते हुए अरुणाचल के गाँव के नाम बदल रहा है।
हालांकि चीन की इन हरकतों का जवाब भारत सरकार दे चुकी है और साफ़ कर दिया है कि भारत की चौहद्दी की तरफ़ नज़रें घुमाए बिना चीन अपनी नज़रें सीधी और नीची रखें तो बेहतर है। इन सब के बीच चीन अधिकृत ताइवान और चीन को साउथ चाइना सी पर पछाड़ चुका वियतनाम भारत के साथ है।
दोनों देशों ने कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ इस लड़ाई में वो भारत के हर फैसले के साथ हैं । लेकिन चीन कभी पाकिस्तान के साथ गलबाइयाँ करता नज़र आ रहा है तो कभी पहलगाम हमले की अतंराष्ट्रीय जाँच की माँग कर रहा है। लेकिन अब वो समय आ गया है जब चीन से उसके विस्तारवादी नीति के कारण वैश्विक स्तर पर हड़पे गए ज़मीन के बारे पूछा जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि चीन के 9.6 मिलियन वर्ग किलोमीटर भूभाग का 60% हिस्सा कब्जे वाले देशों का है। इनमें से को जमीनें चीन के क़ब्ज़े में हैं वो इस प्रकार हैं। पूर्वी तुर्किस्तान 1.8 मिलियन वर्ग किलोमीटर, तिब्बत 2.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर, दक्षिणी मंगोलिया 1.2 मिलियन वर्ग किलोमीटर और मंचूरिया 84 हजार वर्ग किलोमीटर।
इसके अलावा चीन दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, ताइवान और अन्य देशों के खिलाफ 3 मिलियन वर्ग किलोमीटर समुद्री क्षेत्र पर कब्जा करके बैठा है। चीन हिमालय में भारत, नेपाल और भूटान पर विस्तारवादी मंसूबे रखता है और आए दिन घुसपैठ करता है । अभी हाल ही मैं लद्दाख के गलवान घाटी में भी चीन ने कुछ ऐसी ही गुस्ताखी की थी। लेकिन चीन के इस मंसूबे पर पानी फेरते हुए भारत की वीर सेना ने मुँहतोड़ जवाब दिया था और चीन की पीएलए को पूरी तरह से मार भगाया थे जिसने चीन के 30 से 40 पीएलए के जवान मारे गए थे। आश्चर्य की बात ये है कि पीएलए के सैनिकों के मारे जाने की ख़बर चीन ने काफ़ी लंबे समय बाद मानी थी और वह मौत के आंकड़ों को छुपाते रहा था।
