राष्ट्रभक्ति की जीवंत मिसाल थे सावरकर-डॉ.मोहन भागवत

वीर सावरकर की आदमकद प्रतिमा का अनावरण
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि वीर सावरकर आज़ादी की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित करने वाले देशभक्तों की आकाशगंगा में सबसे चमकते तारों में से एक हैं। उनका जीवन पूर्णतः अनुकरणीय है और राष्ट्रभक्ति की जीवंत मिसाल प्रस्तुत करता है।
उन्होंने कहा कि हमें सावरकर के जीवन से प्रेरणा लेते हुए उनकी कल्पना के भारत के निर्माण के लिए कार्य करना होगा। यदि हम सावरकर जैसे सूर्य न बन सकें, तो कम से कम दीपक अवश्य बनें.यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। डॉ. मोहन भागवत ने आशा व्यक्त की कि 2047 तक समृद्ध भारत के निर्माण की शुरुआत इसी भावना से होगी।स्वातंत्र्यवीर सावरकर के गीत ‘सागरा प्राण तळमळला’ के 115 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर अंडमान और निकोबार के श्री विजयपुरम में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
बनाना है सावरकर के सपनों का भारत: शाह
इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर त्याग, समर्पण, निर्भीक राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के आधार स्तंभ थे। आज आवश्यकता देश के लिए जीने की है और सावरकर के सपनों का भारत बनाने की है।इससे पहले दिन में डॉ. मोहन भागवत और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वीर सावरकर की भव्य आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया तथा ‘वीर सावरकर प्रेरणा पार्क’ का उद्घाटन किया।
कार्यक्रम में डॉ. भागवत ने कहा कि सावरकर के व्यक्तित्व की व्याख्या करने के लिए अनेक विशेषणों की आवश्यकता पड़ती है। उनकी महानता को किसी पुस्तक, कविता या फिल्म में पूरी तरह समेट पाना कठिन है, क्योंकि उनके व्यक्तित्व में विचारधारा, कर्म, संघर्ष और सृजनशीलता का अद्वितीय संगम था।
उन्होंने कहा कि सावरकर लेखक, योद्धा, देशभक्त, समाज सुधारक, कवि, भाषाशास्त्री और दूरदर्शी थे। उनका जीवन उत्कृष्ट समर्पण, प्रेम, त्याग और अदम्य साहस का अनूठा उदाहरण है। इन्हीं गुणों के कारण वे उस तन्मय अवस्था में पहुँचे, जहाँ व्यक्ति अपना दुख भूलकर देश और समाज के दुख से जुड़ जाता है। इसी अवस्था को भक्ति कहा जाता है।
