भारत दौरे पर पुतिनः भारत सरकार रक्षा क्षेत्र में रूस से क्या है चाह ? S400 के बाद S-500 पर नजर, SU-57 पर भी हो रही चर्चा

नई दिल्लीः रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन तीन दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे हुए हैं। प्रोटोकॉल को किनारे करते हुए पीएम मोदी ने उनका एयरपोर्ट पर स्वागत किया। वहीं, उनकी यात्रा का आज दूसरा दिन है। इस दौरे के बाद जहां दोनों देशों के मजबूत रिश्तों को नई गति मिलने की संभावना है। दोनों देशो को बीच व्यापार और कूटनीतिक समझौतों के साथ ही साथ दोनों राष्ट्रों के बीच रक्षा समझौते पर नजर बनी हुई है।
दरअसल,भारत रक्षा हथियार के लिए रूस से उस समय से निर्भर रहा आया है जब सोवियत संघ टुकड़ों में नहीं टूटा था। भले ही आज भारत ने अपनी रक्षा की कुछ जरूरतों को पूरा करने के लिए फ्रांस, इजरायल और अमेरिका की तरफ रुख किया हो। लेकिन आज भी देश की ज्यादातर रक्षा हथियारों की आपूर्ति रूस से ही होती है।
पुतिन के दौरे से रक्षा समझौते में डील की संभावना
पुतिन के भारत दौरे के बाद से मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र के लिए बहुत उम्मीदें लगा रखी है। आइए जानते हैं कि दोनों देश कौन-कौन से रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इसके साथ ही कौन-कौन से वो खास हथियार है जिनके लिए भारत ने रुचि दिखाई है। साथ में इन हथियारों की खासियत क्या है।
कौन- कौन से हथियार है जिनके लिए भारत ने रुचि दिखाई
भारत- रूस ने अपने रक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए साल 2021 से लेकर 2031 यानी 10 सालों तक के लिए मिलिट्री टेक्निकल कॉआपरेशन प्रोग्राम से जुड़े समझौते को बढ़ाया है। इसके तहत दोनों देश रिसर्च एंड डेवेलपमेंट, प्रोडक्शन, मेन्टेनेंस, हथियार प्रणाली और सैन्य प्रणालियों को मजबूती देने के लिए सहमति जता चुके हैं।
इसके अलावा दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य और फूड सेक्येरिटी को लेकर दो MoU पर हस्ताक्षर हुए हैं। रूस हथियारों के अलावा गैस और ऊर्जा को बिना किसी बाधाके जारी रखने की बात कही है।
इस बार के दौरे के दौरान भारत की नजर पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान Su-57 पर रहेगी। यह विमान अमेरिका के F-35 के मुकाबले का है। साथ ही चाइना के पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स का जवाब हो सकता है। जब तक भारत का अपना एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) प्रोजेक्ट के पूरा नहीं होता है तब तक रूस से सुखोई-57 खरीद कर अपनी जरूरतें पूरी कर सकता है।
इसके अलावा भारत एक बार फिर S-400 की डील कर सकता है। इसकी वजह है देश के पास सीमित S-400 हैं और वह कम से कम 5 रेजिमेंट एस-400 खरीदने की तैयारी में है। देश इनको अपनी सुरक्षा के लिए चीन और पाकिस्तान से लगी बॉर्डर पर अपनी रक्षा ढांचों की सुरक्षा के लिए तैनात कर सकता है।
भारत S-400 की संख्या बढ़ाने के साथ ही डिफेंस सिस्टम के एडवांस मॉडल S-500 को खरीदने पर विचार कर रहा है। इसकी रेंज 600 किमी होने के साथ ही आसमान में 200 किमी ऊपर जाकर दुश्मनों को मार गिरा सकता है। विश्व की सभी डिफेंस सिस्टम के मुकाबले यह सबसे एडवांस है। एडवांस होने के चलेत इसके मेंटेनेंस की कीमत भी ज्यादा है। हालांकि, भारत इस डिफेंस सिस्टम को खरीदने पर सहमति जता सकता है।
पहले आ गया था सुखोई का प्रस्ताव
रूस ने पहले ही भारत को सुखोई-57(Su-57) लड़ाकू विमान की पेशकश की है। इसके तहत भारत में पांचवीं पीढ़ी के सुखोई-57 स्टील्थ टेक्नोलॉजी वाले लड़ाकू विमान के उत्पादन का प्रस्ताव दिया गया है। इतना ही नहीं रूस इस विमान की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए भी तैयार है। यह प्रस्ताव पुतिन के भारत दौरे से पहले आया था। माना जा रहा है कि दौरे के दौरान यह बड़ा सौदा हो सकता है।
ब्रम्होस मिसाइस अपग्रेड पर समझौता
भारत और रूस मिलकर ब्रह्मोस मिसाइल के एडवांस वैरिएंट के डेवलेपमेंट का रिव्यू कर सकते हैं। इसमें ब्रह्मोस-NG जैसे हल्के एयर लॉन्च मॉडल और एक्सटेंडेड-रेंज वर्जन शामिल है।
