Baharul Islam: निशिकांत दुबे ने दिलाई बहरुल इस्लाम की याद, एक्स पर सुनाई संविधान बचाओ की एक मजेदार कहानी!

निशिकांत दुबे ने दिलाई बहरुल इस्लाम की याद, एक्स पर सुनाई संविधान बचाओ की एक मजेदार कहानी!
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नई दिल्ली। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने सोशल मीडिया पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को लेकर बयान दिया है। उन्होंने इस बार जज के साथ - साथ कांग्रेस पर भी निशाना साधा है। निशिकांत दुबे ने बहरुल इस्लाम (Baharul Islam) का जिक्र करते हुए कई तरह के फैक्ट्स बताए। इसके बाद उन्होंने यह भी कहा कि, मैं कुछ नहीं बोलूंगा।

कौन थे बहरुल इस्लाम :

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, बहारुल इस्लाम का जन्म 1 मार्च, 1918 को हुआ था। उनके पास एमए और एलएलबी की डिग्री थी। उनकी शिक्षा कामरूप के नलबाड़ी में हाई स्कूल में हुई। उन्होंने कॉटन कॉलेज, गौहाटी और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। वे 1951 में असम उच्च न्यायालय के वकील के रूप में और साल 1958 में सर्वोच्च न्यायालय के वकील के रूप में नामांकित हुए। 1962 में राज्यसभा के लिए चुने गए और 1968 में दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ असम उच्च न्यायालय दोनों में वकालत की।

बहारुल इस्लाम 20 जनवरी, 1972 (एएन) को तत्कालीन असम और नागालैंड उच्च न्यायालय (अब गौहाटी उच्च न्यायालय) के न्यायाधीश नियुक्त किए गए। 11 मार्च 1979 को वे गौहाटी उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किए गए। 7 जुलाई 1979 को वे गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए और 1 मार्च, 1980 को सेवानिवृत्त हुए।

4 दिसम्बर 1980 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। 1983 को वे सेवानिवृत्त होने वाले थे लेकिन उसके पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा - "कांग्रेस के संविधान बचाओ की एक मजेदार कहानी, असम में बहरुल इस्लाम साहिब ने कांग्रेस की सदस्यता 1951 में ली, तुष्टिकरण के नाम पर कांग्रेस ने उन्हें 1962 में राज्यसभा का सदस्य बना दिया, छह साल बाद दुबारा 1968 में राज्य सभा का सदस्य सेवाभाव के लिए बनाया, इनसे बड़ा चमचा कांग्रेस को नज़र नहीं आया। उन्हें राज्यसभा से बिना इस्तीफ़ा दिलाए हाईकोर्ट का जज 1972 में बना दिया, फिर 1979 में असम हाईकोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बना दिया, बेचारे 1980 में रिटायर हो गए लेकिन यह तो कांग्रेस है जनवरी 1980 में रिटायर हुए जज को दिसंबर 1980 में सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया, 1977 में इंदिरा गांधी जी के उपर लगे सभी भ्रष्टाचार के केस इन्होंने तन्मयता से खत्म कर दिए। फिर ख़ुश होकर कांग्रेस ने इन्हें 1983 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर कर कॉग्रेस से राज्यसभा का तीबारा सदस्य 1983 में ही बना दिया ।मैं कुछ नहीं बोलूँगा?"

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