निशिकांत दुबे की टिप्पणी "बेहद गैरजिम्मेदाराना": सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद के बयान पर लिया संज्ञान

Supreme Court
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की टिप्पणी “बेहद गैरजिम्मेदाराना” थी और भारत के सर्वोच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर आक्षेप लगाकर ध्यान आकर्षित करने की उनकी प्रवृत्ति को दर्शाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सांसद की टिप्पणी संवैधानिक न्यायालयों की भूमिका तथा संविधान के तहत उन्हें दिए गए कर्तव्यों और दायित्वों के बारे में अज्ञानता दर्शाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका दृढ़ मत है कि “अदालतें फूलों की तरह नाजुक नहीं हैं जो इस तरह के हास्यास्पद बयानों के सामने मुरझा जाएँगी।”
सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना का मामला शुरू करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए यह स्पष्ट किया कि सांप्रदायिक घृणा फैलाने या अभद्र भाषा का प्रयोग करने के किसी भी प्रयास से सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नफरत फैलाने वाले भाषण को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे लक्षित समूह के सदस्यों की गरिमा और आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचती है, समूहों के बीच वैमनस्य पैदा होता है और सहिष्णुता और खुले विचारों को खत्म करता है, जो समानता के विचार के लिए प्रतिबद्ध बहु-सांस्कृतिक समाज के लिए जरूरी है। न्यायालय ने कहा कि लक्षित समूह को अलग-थलग करने या अपमानित करने का कोई भी प्रयास एक आपराधिक अपराध है और इसके साथ उसी तरह निपटा जाना चाहिए।