सुप्रीम कोर्ट का फैसला: अशोका विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की अंतरिम जमानत बढ़ी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर अली महमूदाबाद की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर फेसबुक पोस्ट को लेकर आपराधिक मामले में अंतरिम संरक्षण प्रदान करते हुए उन पर लगाई गई कुछ शर्तों में ढील देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अली खान महमूदाबाद को दी गई अंतरिम जमानत बढ़ा दी है।
हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, SIT का गठन कर दिया गया है। SIT ने जांच शुरू कर दी है। अली खान ने 14 देशों की यात्रा की है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा - आपने जिस ढंग से अली खान के खिलाफ FIR दर्ज की है, मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है। NHRC के सवाल का भी जवाब देना है। कोर्ट ने कहा कि SIT की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा होगी। SIT केवल सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़े विवाद मामले की ही जांच करेगी। अगले आदेश तक अली खान की अंतरिम जमानत जारी रहेगी।वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा - लेख प्रकाशित करने के संबंध में उन पर कुछ प्रतिबंध थे। जिस पर जस्टिस कांत बोले कि, अब जांच पूरी हो जाने दीजिए। इसके जवाब में सिब्बल ने कहा - मैं आपसे आग्रह करता हूं, इससे गलत संकेत जाता है।
जस्टिस कांत ने सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल सुनकर कहा कि, देखिए, वे लिख और बोल सकते हैं। कोई आपत्ति नहीं। लेकिन केवल जांच के विषय के संबंध में नहीं।
अशोका विवि के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने गिरफ्तारी के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। आपरेशन सिंदूर पर की गई टिप्पणी को लेकर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। सोनीपत के अशोका विवि के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की ओर से कपिल सिब्बल ने पैरवी की।एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए चुनौती दी थी।
