पुलवामा हमले में आतंकियों ने उपयोग की थी वर्चुअल सिम
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भारत ने अमेरिका से मांगी मदद
नई दिल्ली/श्रीनगर, स्व.स.से.। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावर ने वर्चुअल सिम का इस्तेमाल किया था। आतंकी पाकिस्तान और कश्मीर स्थित हैंडलरों से उसी सिम के जरिये संपर्क में था। अधिकारियों ने बताया कि वर्चुअल सिम सेवा प्रदाता कंपनी की जानकारी जुटाने के लिए भारत अब अमेरिका से सहायता मांगेगा। अधिकारियों ने बताया कि आतंकी हमले के घटनास्थल की जांच और त्राल में मुठभेड़ स्थल के अलावा ऐसे अन्य ठिकानों पर कडिय़ों को जोडऩे से पता चला है कि आत्मघाती हमलावर आदिल डार सीमा पार से अपने आकाओं के लगातार संपर्क में था। पुलवामा हमले की जांच के दौरान एजेंसियों को खुफिया सिम का इस्तेमाल किए जाने का पता चला है।पुलवामा में घातक हमले का कर्ताधर्ता मुदासिर खान त्राल में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। उल्लेखनीय है कि 14 फरवरी को आदिल डार ने विस्फोटक से भरे वाहन से सीआरपीएफ के काफिले के वाहन में टक्कर मार दी थी। इस घटना में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। बाद में भारतीय वायु सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान में बालाकोट स्थित जैश आतंकियों के ठिकाने को ध्वस्त कर दिया था। अधिकारी ने बताया कि वर्चुअल सिम का इस्तेमाल करने वाले फोन नंबरों और इन्हें कब एक्टिवेट किया गया था, इस बारे में जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस की भी जानकारी मांगी गई है। 26/11 मुंबई हमले में भी आतंकियों ने जाली पहचानपत्रों का इस्तेमाल किया गया था। इसे ध्यान में रखते हुए सुरक्षा एजेंसियां यह भी पता करने की कोशिश कर रही हैं कि इन वर्चुअल सिम के लिए रकम किसने दी।
डार लगातार मुदस्सिर और दूसरे हैंडलर के संपर्क में था
अधिकारियों के मुताबिक, पुलवामा हमले में डार लगातार मुदस्सिर खान और दूसरे हैंडलरों के संपर्क में इसी तकनीक के इस्तेमाल के जरिए संपर्क में था। ये उन नंबरों का इस्तेमाल कर रहे थे, जो +1 से शुरू हो रहे थे। ये मोबाइल स्टेशन इंटरनेशनल सब्सक्राइबर डायरेक्ट्री नंबर (एमएसआईएसडीएन) होते हैं, जो अमेरिका में इस्तेमाल किए जाते हैं।
26/11 में भी फर्जी पहचान का इस्तेमाल
26/11 जांच के दौरान सामने आया था कि हमले के समय वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल एक्टिवेट करने के लिए कॉलफोनिक्स को वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर के जरिए 229 डॉलर दिए गए थे। यह रकम इटली में मदीना ट्रेडिंग द्वारा प्राप्त की गई थी और रकम भेजने वाला पाक अधिकृत कश्मीर का रहने वाला था। एजेंसियों का दावा है कि पीओके में बैठा यह शख्स जावेद इकबाल था। 2009 में इटली की पुलिस ने दो पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया था। आरोप है कि मदीना ट्रेडर्स नाम की फर्म ने जावेद इकबाल के नाम पर 300 फंड स्थानांतरित किए। माना जाता है कि इकबाल ने कभी भी इटली में कदम नहीं रखा था। जांच के बाद इटली की पुलिस ने कहा था कि इटली के ब्रासिया स्थित कंपनी ने ऐसे निरपराध, असंदिग्ध लोगों की पहचान का इस्तेमाल किया, जिनके पासपोर्ट या पहचान पत्र चोरी गए थे।
क्या है वर्चुअल सिम
सीमा पार के आतंकियों ने आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए 'वर्चुअल सिम' इस्तेमाल करने का बिलकुल नायाब तरीका निकाला था। अमेरिका स्थित सेवा प्रदाता कंपनी से यह सिम खरीदी गई थी। इस तकनीक में कंप्यूटर द्वारा मोबाइल नंबर जेनरेट किया जाता है और उपयोगकर्ता को सेवा प्रदाता का एप अपने स्मार्ट फोन पर डाउनलोड करना होता है। इस नंबर को सोशल साइट फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर आदि से जोड़ कर इस्तेमाल किया जा सकता है।
Naveen Savita
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