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25 साल में 87 करोड़ रुपए खर्च, न शेर आए न अफ्रीकन चीते

भारत सरकार के यहां अटका हुआ है कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शेर व चीतों को बसाने का प्रस्ताव

25 साल में 87 करोड़ रुपए खर्च, न शेर आए न अफ्रीकन चीते
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ग्वालियर। श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में गुजरात के गिरि राष्ट्रीय उद्यान के बब्बर शेरों को बसाने के नाम पर पिछले 25 सालों में 24 गांवों के लगभग 1545 परिवार विस्थापित कर दिए गए और लगभग 87 करोड़ रुपए खर्च हो गए। गुजरात सरकार ने जब बब्बर शेर उपलब्ध नहीं कराए। इसके बाद अफ्रीकन चीतों को बसाने की योजना बनी लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक न तो बब्बर शेर आए हैं और न ही अफ्रीकन चीतों के दर्शन हुए हैं। यहां बब्बर शेर और अफ्रीकन चीते आएंगे भी या नहीं और आएंगे भी तो कब तक? इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।

कूनो वन्य प्राणी अभयारण्य (अब राष्ट्रीय उद्यान) में बब्बर शेर बसाने के लिए वर्ष 1996 में सिंह परियोजना स्थापित की गई थी लेकिन जब गुजरात सरकार ने बब्बर शेर नहीं दिए तो मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा। वर्ष 2003 से 2013 तक सर्वोच्च न्यायालय में चले इस मामले में 15 अपै्रल 2013 को मध्यप्रदेश के पक्ष में फैसला आया। जिसमें छह माह के अंदर गिरि राष्ट्रीय उद्यान के बब्बर शेरों को कूनो अभयारण्य में बसाने की समय-सीमा तय की गई। चूंकि अभयारण्य का क्षेत्रफल कम था इसलिए वर्ष 2018 में 344 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल बढ़ाकर कुल क्षेत्रफल 748 वर्ग किलोमीटर करने के साथ इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया। इसमें 24 गांवों के लगभग 1545 परिवारों को विस्थापित किया गया। जिनके पुनर्वास पर लगभग 76.50 करोड़ की राशि खर्च की गई। इसी क्रम में एक और बागचा गांव को विस्थापित किए जाने का प्रस्ताव है। इस गांव के परिवारों के पुनर्वास पर भी करोड़ों की राशि खर्च होगी।

वर्ष 2019 में बनी अफ्रीकन चीतों को बसाने की योजना

तमाम प्रयासों के बाद भी गुजरात सरकार ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाने के लिए जब गिरि राष्ट्रीय उद्यान से बब्बर शेर नहीं दिए। इसके बाद वर्ष 2019 में यहां अफ्रीकन चीते बसाने की योजना बनाई गई। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी को स्वीकृति प्रदान की गई। इस योजना के तहत नर व मादा कुल 20 अफ्रीकन चीते लाए जाएंगे। इस योजना पर भी अब तक लगभग 10.50 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इस प्रकार 1996 से अब तक लगभग 87 करोड़ की राशि खर्च हो चुकी है। चीतों को लाने के लिए वन विभाग मध्यप्रदेश का एक दल नामीबिया का दौरा भी कर चुका है लेकिन नतीजा अभी तक शून्य है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार अफ्रीकन चीतों को लाने का प्रस्ताव अभी केन्द्र सरकार के समक्ष लटका हुआ है। जब वहां से कोई निर्णय होगा तब कार्रवाई आगे बढ़ेगी।

बहाने पर बहाने बना रही गुजरात सरकार

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद भी गुजरात सरकार अपने गिरि राष्ट्रीय उद्यान से मध्यप्रदेश को बब्बर शेर देने को तैयार नहीं है और एक के बाद एक कई बहाने बना रही है। पहले वन विभाग गुजरात ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए कहा जो बढ़ा दिया गया। इसके बाद शिकारियों को रोकने के लिए विशेष प्रबंधक करने के लिए कहा गया। इस पर कूनो राष्ट्रीय उद्यान में सशस्त्र पूर्व सैनिकों की तैनाती कर दी गई। इसके बाद यहां शिकार का एक भी मामला सामने नहीं आया है। अब गुजरात सरकार अंतरराष्ट्रीय मापदंड पूरे करने की बात कह रही है जबकि एक ही देश के एक से दूसरे राज्य में वन्यजीवों को लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मापदंड पूरे करने की आवश्यकता नहीं होती है।

इनका कहना है

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में अफ्रीकन चीतों को बसाने का प्रस्ताव अभी भारत सरकार के समक्ष अटका हुआ है। वहां से जब कोई निर्णय होगा। इसके बाद ही कार्रवाई आगे बढ़ेगी।

चौकसिंह निनामा

संचालक, कूनो राष्ट्रीय उद्यान, श्योपुर

Updated : 16 May 2022 6:45 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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