रूस की कंपनी से खरीदा जाएगा लिथियम: सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएलसी लाएगी लिथियम

नई दिल्ली। देश में बैटरी बनाने के लिए लिथियम की जरूरतों को पूरा करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएलसी अफ्रीकी देश माली में एक लिथियम खदान में हिस्सेदारी खरीदने जा रही है। इस लिथियम खदान को रूस की एक कंपनी चलाती है, रूसी कंपनी के साथ एनएलसी की बातचीत काफी हद तक आगे बढ़ चुकी है।
अगर यह सौदा हो जाता है तो भारत में इलेक्ट्रिक कार और वाहन बनाना काफी आसान और सस्ता हो सकता है। फिलहाल भारतीय कंपनियां चीन से कच्चा माल खरीदकर यह कारें और अन्य वाहन बना रही हैं, लेकिन चीन ने क्रिटिकल मिनरल का भारत को निर्यात रोक दिया है। इसकी वजह से बहुत सारी इलेक्ट्रिक कार और स्कूटर बनाने कंपनियों के उत्पादन पर भारी असर पड़ा है।
केंद्र सरकार के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि लिथियम को लेकर सरकारी कंपनियों को विदेशों में खदानों में हिस्सेदारी खरीदने की संभावनाएं तलाशने के लिए कहा था, इसमें एनएलसी ने अफ्रीकी देश माली में रूस की एक कंपनी से बातचीत शुरू की थी, जोकि अपने अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। अगर यह सौदा हो जाता है तो जल्द ही वहां से लिथियम भारत आना शुरु हो सकता है। इसकी वजह से जिन कंपनियों ईवी बनाने वाली फैक्ट्रियों में निवेश किया है, उनके उत्पादन पर असर पड़ना बंद हो जाएगा।
दरअसल चीन इस मामले में काफी आक्रामक रवैया अपनाए हुए है, पहले उसने भारतीय ईवी बनाने वाली कंपनियों को कच्चा माल दिया और फिर अचानक उसने चार महीने पहले भारतीय कंपनियों को कच्चा माल देना बंद कर दिया।
इससे भारत में ईवी बनाने वाली कंपनियों को उत्पादन या तो कम करना पड़ा या कुछ कंपनियों ने तो अपना उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया है। इसलिए भारत सरकार ने सरकारी क्षेत्र की कंपनियों को इसके लिए विदेशों में काम करने के लिए कहा था। इसी वजह से भारतीय सरकारी कंपनी एनएलसी रूस की कंपनी से समझौता करने जा रही है।
