वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई: केंद्र सरकार को नोटिस जारी, दो हफ्तों में देना होगा जबाव…

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज से सुनवाई शुरू कर दी है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन भी शामिल हैं, इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
इस अहम सुनवाई के दौरान ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद जैसे प्रमुख याचिकाकर्ता भी सुप्रीम कोर्ट की कोर्टरूम नंबर 1 में उपस्थित रहे।
कपिल सिब्बल ने उठाए गंभीर सवाल
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, जो याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश हुए, ने शुरुआत में अपनी दलील में कहा कि यह संशोधन एक धार्मिक विश्वास के मूल और आवश्यक हिस्से में संसद द्वारा हस्तक्षेप करने का प्रयास है। उन्होंने उस प्रावधान पर सवाल उठाया जिसमें वक्फ स्थापित करने के लिए किसी व्यक्ति के लिए कम से कम पांच वर्षों तक इस्लाम का पालन करना आवश्यक बताया गया है।
सिब्बल ने कोर्ट से पूछा कि राज्य सरकार कैसे यह निर्धारित कर सकती है कि कोई व्यक्ति इस्लाम का अनुयायी है या नहीं? क्या यह राज्य का अधिकार क्षेत्र है? और क्या इस मामले में व्यक्तिगत (पर्सनल) कानून लागू होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करे। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस विषय में गहराई से विचार किया जाएगा क्योंकि यह मामला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा है, बल्कि संवैधानिक अधिकारों और विधायी शक्तियों की सीमाओं से भी संबंधित है।
अगली सुनवाई की तैयारी
कोर्ट ने इस मामले को "संवेदनशील और महत्वपूर्ण" करार दिया है और कहा कि केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया के बाद अगली सुनवाई की तारीख तय की जाएगी। फिलहाल अदालत सभी संबंधित पक्षों की दलीलों को ध्यान से सुनने का संकेत दे चुकी है।