सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार और राज्यपाल विवाद पर सुनवाई, CJI ने दोनों को आत्ममंथन करने को कहा

नईदिल्ली। विधानसभा से पारित बिल को मंजूरी देने में राज्यपाल की देरी के खिलाफ पंजाब सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्यपाल ने फैसला ले लिया है। सरकार को इसकी जानकारी दे दी जाएगी। तब सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 10 नवंबर तक के लिए टाल दी। कोर्ट ने कहा कि मामला कोर्ट आने से पहले राज्यपालों को निर्णय ले लेना चाहिए।
कोर्ट ने पंजाब सरकार और राज्यपाल दोनों को आत्ममंथन करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को मामला कोर्ट पहुंचने से पहले फैसला कर लेना चाहिए। पंजाब जैसी स्थिति कई दूसरे राज्यों में हुई है, जहां राज्यपाल तभी काम करते नजर आते हैं, जब मामला कोर्ट पहुंचता है। उन्हें मामला कोर्ट आने का इंतजार नहीं करना चाहिए।
27 विधेयकों में से 22 पर ही अपनी मुहर लगाई
पंजाब सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने राज्य विधानसभा की ओर से पारित 27 विधेयकों में से 22 पर ही अपनी मुहर लगाई है। 20 अक्टूबर को बजट सत्र के विशेष सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले तीन धन विधेयक भी उसमें शामिल हैं। विशेष सत्र के पहले राज्य सरकार ने इन तीनों धन विधेयकों को राज्यपाल के पास सहमति के लिए भेजा था लेकिन राज्यपाल ने इस पर कोई सहमति नहीं दी। राज्यपाल ने कहा कि चूंकि बजट सत्र 20 जून को समाप्त हो गया, ऐसे में कोई भी विस्तारित सत्र गैरकानूनी है। जिसकी वजह से विधानसभा का सत्र शुरु होने से पहले ही स्थगित करना पड़ा।
