तानसेन के जीवन चरित्र पर लिखी किताब का विमोचन: दिल्ली के संघ कार्यालय में पहली बार तानसेन पर किसी किताब का विमोचन

दिल्ली के संघ कार्यालय में पहली बार तानसेन पर किसी किताब का विमोचन
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(दीपक उपाध्याय) नई दिल्ली। दिल्ली के केशव कुंज में वरिष्ठ पत्रकार राकेश शुक्ला की पुस्तक तानसेन का ताना-बाना का विमोचन किया गया। विमोचन केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नीतिन गड़करी,राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मध्यप्रदेश के पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल ने किया।

पुस्तक के विमोचन के मौके पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नीतिन गड़करी ने कहा कि इस प्रकार का इतिहास नई पीढ़ियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। उन्होंने कहा कि इतिहास को भूल जाना अच्छा नहीं होता है। इसलिए हमें अपने इतिहास को संजोकर रखना चाहिए।

कार्यक्रम के दौरान उन्होंने बताया कि उनका मंत्रालय गोवा में एक प्रोजेक्ट बना रहा है, जिसमें विश्वस्तरीय रेस्त्रां के साथ साथ कई प्रदर्शनी हाल भी होंगे। इनमें से एक प्रदर्शनी हाल में उन्होंने गोवा मुक्ति के इतिहास को प्रदर्शित करने का प्रस्ताव गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत को दिया है। नीतिन गड़करी ने कहा कि इतिहास का चिंतन मनन करने से भविष्य में फैसला लेने में काम आती है। आज के दौर में तकनीक के माध्यम से इतिहास लोगों तक पहुंचाना चाहिए।

कार्यक्रम में संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने पुस्तक का विमोचन करते हुए कहा कि यह नए प्रकार की पुस्तक है, सुरुचि प्रकाशन इस तरह की पुस्तक प्रकाशित कम ही करता है। आंबेकर ने कहा कि संगीत के क्षेत्र में तानसेन का योगदान अतुलनीय है। 500 साल पहले संगीत नाट्य शास्त्र, भगवान शिव से जो नृत्य का शुरुआत हुई जो बाद में जीवन का अभिन्न अंग बन गया। तानसेन के समय का जो काल है, उसमें भारत की संगीत की परंपरा के लिए वह समय मुश्किल था। उस काल में संगीत को सुरक्षित करना महत्वपूर्ण है। अपने शास्त्रीय संगीत को जीवित रख पाए हैं तो उसी संगीत के आधार पर मार्डन संगीत बना है। उन्होंने कहा कि तानसेन हिंदू थे और पूजा पाठ करने वाले हिंदू थे। उन्होंने कहा कि लंबे समय से संगीत में भी भेद किया जा रहा है, लोकसंगीत और शास्त्रीय संगीत में कभी बहुत भेद नहीं रहा है।

केंद्रीय सांस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि तानसेन का व्यक्तित्व इतना महान था कि पांच शताब्दी बीत जाने के बाद भी उनपर अनेक शोध लिखे जा रहे हैं। इस पुस्तक में उनके संगीत के पक्ष की बजाए उनके जीवन के पक्ष को लिखा गया है। एक साधारण परिवार में जनमा बालक, अपने संघर्ष और पुरुक्षार्थ के दम पर इतना बड़ा व्यक्तित्व बन गया। इसलिए विरासत का संरक्षण करते हुए विकसित होने का मार्ग बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए ऐसे कालखंड में तानसेन के जीवन चरित्र को लिखा जाना प्रासंगिक भी है और महत्वपूर्ण भी।

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