सुप्रीम कोर्ट के फैसले की धज्जियां उड़ाता दिल्ली PWD: बिना सेफ्टी गियर्स के कर्मचारियों से करवाया मैला साफ

Delhi PWD Viral Post : दिल्ली। दिल्ली PWD खुलेआम सफाई कर्मचारियों से बिना सेफ्टी गियर्स के मैला ( मैनुअल सीवर सफाई) साफ करवा रही है। ये घटना तब हुई है जब सुप्रीम कोर्ट 29 जनवरी 2025 को दिल्ली समेत छह महानगरों में मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई पर प्रतिबंध लगा दिया है। इतना ही नहीं इसकी जानकारी देते हुए दिल्ली PWD ने बकायदा सोशल मीडिया एक्स अकाउंट से इसकी तस्वीरें कैप्शन के साथ शेयर की है। जब एक अन्य सोशल मीडिया हैंडल खुरपेंच ने इस मामले पर मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 को लेकर सवाल उठाया तो दिल्ली PWD ने ट्वीट डिलीट कर दिया। हालांकि सोशल मीडिया पर दिल्ली PWD द्वारा की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है।
दिल्ली PWD ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट साझा करते हुए जानकारी दी थी कि, रोड नंबर 41ए रोहिणी में मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई की जा रही है। इस पोस्ट में दिल्ली PWD द्वारा दिल्ली सीएमओ को भी टैग किया गया था।
इसके बाद सोशल मीडिया हैंडल खुरपेंच ने दिल्ली PWD की पोस्ट को लेकर मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 और सफाई कर्मचारियों के सेफ्टी गियर्स के संबंध में सवाल उठाया। इसके बाद दिल्ली PWD ने उस पोस्ट को डिलीट कर दिया। खुरपेंच ने सवात उठाते हुए कहा, किसी सेफ्टी गियर्स के आदमियों से मैला साफ करवाया जा रहा है, क्या अधिकारी मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013 और सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग से अवगत नहीं हैं?
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी 2025 को देश के महानगरों में सीवर और सेप्टिक टैंकों की हाथ से सफाई और खतरनाक तरीके से सफाई करने की प्रथा को पूरी तरह से बंद करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये “अमानवीय” व्यवसाय जारी हैं, अक्सर घातक परिणाम के साथ जब श्रमिक दम घुटने से मर जाते हैं। हम आदेश देते हैं कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे सभी शीर्ष महानगरों में सीवर की हाथ से सफाई करना बंद किया जाए।
क्या है मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट 2013
मैनुअल स्केवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013, मैनुअल स्कैवेंजर्स के रोजगार और उनके पुनर्वास पर प्रतिबंध लगाता है। यह सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई पर भी रोक लगाता है, जिससे नियोक्ताओं (Employers) को सुरक्षा गियर और सावधानियां प्रदान करने की आवश्यकता होती है। यह अधिनियम हाथ से मैला ढोने के काम में किसी को शामिल करने को अपराध मानता है, जिसके लिए दो साल तक की कैद या एक लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है।