ममता के गढ़ में अब आर-पार की लड़ाई
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नई दिल्ली। हां! चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल का दृश्य अद्भुत है, चैकाने वाला है और काबिलेगौर भी। प्रदेश का मामला चुनाव आयोग की दहलीज पर जा पहुंचा है। पार्टी के दिग्गज नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग जाकर यह मांग रखी कि पश्चिम बंगाल को अति संवेदनशील राज्य घोषित किया जाए। भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता ने तृणमूल कांग्रेस ;टीएमसीद्ध और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नींद हराम कर दी है। पश्चिम बंगाल में इस बार सीधी लड़ाई भाजपा बनाम टीएमसी के बीच है। ऐसे में दोनों दल आक्रामक रूख अपनाए हुए हैं। राज्य की कुल 42 सीटों में से 34 पर टीएमसी का कब्जा है जबकि कांग्रेस के पास चार और दो-दो सीटें भाजपा और माकपा के पास है। मंगलवार को ममता बनर्जी ने उम्मीदवारों की सूची जारी की तो असंतुष्टों की एक बड़ी संख्या भाजपा के शरणागत है। इससे पता चलता है कि नंबर के खेल में भाजपा यहां बड़ा खिलाड़ी बनकर उभर सकती है। और इस खेल में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह शतरंजी बिसात बिछाते नजर आ रहे हैं।
अमित शाह के खुद आसनसोल सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो चली हैं। माना जा रहा है कि पार्टी अध्यक्ष पश्चिम बंगाल से चुनाव लड़ेंगे तो पूर्वाेत्तर राज्यों में हवा बनेगी। तभी लड़ाई जीतने के लिए पार्टी ने अपना टेबल वर्क पूरा किया हुआ है। साम, दाम, दंड और भेद की नीति का पालन करते हुए अमितशाह ने जबरदस्त माहौल खड़ा किया है। अमित शाह बार-बार राज्य का दौरा कर कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए बहुत पहले कार्यकर्ताओं के समक्ष मिशन 22 प्लस का लक्ष्य रखा था। पार्टी के दिग्गज नेताओं में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय और महासचिव भूपेंद्र यादव ने समवेत स्वर में चुनाव आयोग से मांग की कि राज्य में स्वस्थ्य चुनाव के लिए अर्द्धसैनिक बलों को लगाया जाए। भाजपा को राज्य पुलिस पर से भरोसा उठ गया है। पिछले कुछ महीनों से वहां कार्यकर्ताओं की लगातार हत्या की जा रही है और पुलिस टीएमसी के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे हैं। वे घटनाओं को रोकने बजाए निहायत मूक दर्शक की भूमिका में बने रहते हैं। आंकड़े बताते है कि पंचायत चुनाव के दौरान तकरीबन 100 भाजपा कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया गया।
राज्य में प्रभारी के तौर पर कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी ने फ्री हेंड दिया हुआ है। सहप्रभारी अरविंद मेनन की सूझबूझ और विजयवर्गीय की आक्रामकता ने प्रदेश के संगठन में जान फंूक दी है। काडर स्तर पर कार्यकर्ताओं का सैलाव और उनके पीछे खड़े हो रहे समर्थकों की बड़ती संख्या से भयातुर सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी भाजपा को हर हाल में रोक देना चाहती है इसके लिए वह लगातार प्रशासन के माध्यम से पार्टी के रास्ते में रोड़ा अटकाती आ रही है।
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