नई दिल्ली: संसद में हंगामे के बीच राज्यसभा से भी ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025 पास, कड़े नियमों से रियल-मनी गेमिंग पर लगेगी रोक

संसद में हंगामे के बीच राज्यसभा से भी ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025 पास, कड़े नियमों से रियल-मनी गेमिंग पर लगेगी रोक
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नई दिल्ली। देश की संसद में बुधवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया, जब 'ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक 2025' को लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी मंजूरी मिल गई। इस विधेयक के पारित होने के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया, जिसके कारण दोनों सदनों की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा। यह विधेयक ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने और इसके मनोवैज्ञानिक व वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए लाया गया है।

राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान माहौल गरमा गया। पटल पर विधेक पेश करने के दौरान विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने SIR (सामाजिक और आर्थिक प्रभाव मूल्यांकन) के मुद्दे पर बोलने की कोशिश कर विधेयक पास होने की चर्चा को भटकाने की कोशिश की , लेकिन सभापति ने उन्हें बीच में ही रोक दिया। इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने खड़गे के रवैये पर नाराजगी जताई, जिसके बाद दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस छिड़ गई और लेकिन बढ़ते तनाव के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

'उल्लेखनीय है कि “ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक 2025' का उद्देश्य ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग को नियंत्रित करना और इसके दुष्प्रभावों को कम करना है। विधेयक में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था ऐसी ऑनलाइन गेमिंग सेवाओं की पेशकश, प्रचार, सहायता या प्रोत्साहन नहीं करेगी, जिसमें उपयोगकर्ता पैसे दांव पर लगाकर खेलते हैं। इस तरह के खेलों को "जोड़-तोड़ वाले डिज़ाइन और लत लगाने वाले एल्गोरिदम" के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जो उपयोगकर्ताओं में बाध्यकारी व्यवहार को बढ़ावा देते हैं और वित्तीय नुकसान का कारण बनते हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित इस कानून का लक्ष्य धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) की बढ़ती चिंताओं को भी संबोधित करना है। हाल की रिपोर्ट्स में सामने आया है कि कुछ ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल अवैध वित्तीय लेनदेन के लिए किया जा रहा है, जिसके चलते सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है।

विधेयक में उल्लंघन करने वालों के लिए कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। यदि कोई व्यक्ति या कंपनी रियल-मनी गेमिंग सेवाएं प्रदान करती है, तो उसे तीन साल तक की जेल और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स या अन्य व्यक्ति जो इन प्लेटफॉर्म्स का प्रचार करेंगे, उन्हें दो साल की जेल और 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

हालांकि यह विधेयक रियल-मनी गेमिंग पर सख्ती बरतता है, लेकिन यह प्रतिस्पर्धी ई-स्पोर्ट्स और गेम डेवलपमेंट को बढ़ावा देने की दिशा में भी कदम उठाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को एक रचनात्मक और तकनीकी क्षेत्र के रूप में देखती है। प्रस्तावित कानून के जरिए ई-स्पोर्ट्स और गेम डेवलपमेंट को प्रोत्साहन देने की योजना है, जो युवाओं के लिए रोजगार और नवाचार के नए अवसर खोल सकता है।

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन गेमिंग की लोकप्रियता में भारी वृद्धि हुई है, लेकिन इसके साथ ही इसके नकारात्मक प्रभाव भी सामने आए हैं। कई उपयोगकर्ता इन खेलों की लत में पड़कर अपनी बचत और मानसिक स्वास्थ्य गंवा चुके हैं। विधेयक में इन खेलों को "वित्तीय बर्बादी का कारण" बताते हुए इनके नियमन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

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