जलीय जीवों के तस्कर पकड़े, घड़ियाल और कछुओं के बच्चे बरामद: वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से होता है काम

मुरैना। जौरा में एसटीएफ टीम द्वारा शनिवार की रात की गई कार्रवाई में जलीय जीवों की तस्करी का खुलासा हुआ है। पकड़े गए तस्करों से प्रारंभिक पूछताछ में यह जानकारी सामने आई है कि वे जलीय जीवों को पहले कोलकाता भेजते थे, वहां से बांग्लादेश, और फिर यूरोपीय देशों में तस्करी करते थे। इन देशों में इन जीवों का उपयोग दवाइयों आदि के निर्माण में किया जाता है। यह भी पता चला है कि आरोपी लंबे समय से चंबल नदी से दुर्लभ प्रजातियों के कछुओं और घड़ियालों के बच्चों की तस्करी कर रहे थे। फिलहाल तस्करों से पूछताछ जारी है।
उल्लेखनीय है कि भोपाल से आई एसटीएफ टीम ने शनिवार रात जौरा बस स्टैंड पर एक कार को रोककर तलाशी ली, जिसमें चंबल नदी में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजातियों के कछुए एवं घड़ियालों के जीवित बच्चे पाए गए। यह पूरी कार्रवाई अत्यंत गोपनीय रखी गई थी। स्थानीय वन विभाग एवं पुलिस को भी यह नहीं बताया गया था कि कार्रवाई किसके विरुद्ध हो रही है।
पकड़े गए तस्कर राजू आदिवासी निवासी मऊरानीपुर, विजय गौड़ निवासी सूर्य विहार कॉलोनी, ग्वालियर, रामवीर निवासी पिंटो पार्क, ग्वालियर हैं। इनके पास से करीब 15 घड़ियालों के बच्चे और 12 कछुए बरामद किए गए। ये सभी थैलों में बंद पाए गए। पूछताछ में आरोपियों ने ग्वालियर स्थित अपने घर में और जीव होने की बात स्वीकार की। वहां से टीम ने तीन बड़े कछुए और 22 कछुओं के बच्चे तीन बड़े प्लास्टिक टबों में बरामद किए। कुल मिलाकर 30
घड़ियालों के बच्चे, 40 कछुए जब्त किए गए हैं।
जौरा के डिप्टी रेंजर विनोद उपाध्याय ने बताया कि पूरी कार्रवाई एसटीएफ टीम द्वारा की गई। हमें केवल वरिष्ठ अधिकारियों से निर्देश मिला था कि भोपाल से टीम आ रही है, सहयोग देना है। यह भी सामने आया है कि पकड़े गए तस्कर पहले भी तस्करी के मामलों में गिरफ्तार हो चुके हैं और जमानत पर छूटकर फिर से तस्करी में लिप्त हो गए थे।
यूरोपीय देशों तक होती है तस्करी
चंबल में पाए जाने वाले कछुए दुर्लभ प्रजातियों के हैं। इनमें से कुछ प्रजातियाँ तो केवल यहीं मिलती हैं, जबकि कुछ की थोड़ी बहुत संख्या गंगा में भी देखी जाती है। इसी कारण से ये जीव तस्करों के निशाने पर रहते हैं।
पकड़े गए तस्कर लंबे समय से चंबल क्षेत्र से कछुओं और घड़ियालों की तस्करी कर रहे थे। ये जीव पहले कोलकाता, फिर बांग्लादेश और वहां से यूरोपीय देशों में भेजे जाते थे, जहां इनकी भारी मांग है। इस बार की कार्रवाई पूरी तरह से गोपनीय थी। भोपाल से आई एसटीएफ टीम ने सीसीएफ के निर्देशों के अनुसार कार्य किया।
मुरैना पहुंचने के बाद भी टीम ने स्थानीय अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं दी। कार्रवाई के बाद ही वन विभाग को सूचित किया गया और टीम तस्करों को लेकर ग्वालियर रवाना हो गई। यही वजह रही कि स्थानीय अधिकारी देर रात तक कुछ स्पष्ट नहीं बता सके।
