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मुरैना में अपनी जीत की इबारत गढ़ रहे हैं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर

मुरैना में अपनी जीत की इबारत गढ़ रहे हैं केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर
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मुरैना। चंबल का मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र भाजपा उम्मीदवार और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के चुनाव मैदान में डटने से यह वीआईपी हो गया है। भाजपा सहित अन्य सभी दलों की निगाहें यहां के समीकरण बनने और बिगड़ने में लगी हुई हैं, लेकिन नरेन्द्र सिंह तोमर रफ्ता-रफ्ता अपनी जीत की इबारत गढ़ते जा रहे हैं। सोमवार को उन्होंने मुरैना के ब्राह्मण चेहरा रामप्रकाश राजौरिया को पार्टी में शामिल कराकर इस दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है।

तोमर के लिए पहली जीत बसपा के उम्मीदवार एवं भिंड के पूर्व सांसद डा. रामलखन सिंह कुशवाह का टिकट कटवाना और गुर्जर नेता करतार सिंह भड़ाना को बसपा का चिन्ह दिलवाना रहा है। हालांकि, टिकट कटवाने और दिलवाने में उनकी सीधे कोई भूमिका नहीं है फिर भी स्थानीय स्तर पर माना जा रहा है कि सब कुछ तोमर की मंशा के अनुरूप ही मुरैना में स्वत: घटित होता जा रहा है। रामलखन के चुनाव मैदान में होने से तोमर को सजातीय वोट में सेंध लगने का खतरा था लेकिन अब वे इस दिशा में निश्चिंत हैं कि उनके सजातीय वोटबैंक में सेंधमारी करने की हिम्मत अब किसी दूसरे में नहीं है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार डा.गोविंद सिंह की हार बसपा उम्मीदवार वृंदावन सिंह सिकरवार ने लिख दी थी। तब भाजपा के अनूप मिश्रा को जीत मिली थी और कांग्रेस तीसरे नंबर पर खिसक गई थी। सजातीय वोटबैंक में सेंधमारी का यह खतरा अब नरेन्द्र सिंह तोमर के सामने नहीं है।

यह कारण भी है सजातीय वोट में टीस का

मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीट में एक भी सीट वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में ठाकुर उम्मीदवार के हाथ नहीं आई है। मुरैना और सुमावली दो विधानसभाएं रघुराज कंसाना और एंदल सिंह कंसाना यानि गुर्जर नेताओं के हाथ में है। इसके अलावा एक सीट अनुसूचित जाति दो ब्राह्मण और एक काछी समाज के पास है। श्योपुर की दो विधानसभा सीट में श्योपुर में बाबू सिंह जंडेल (मीणा) तथा विजयपुर में सीताराम आदिवासी (भाजपा) विधायक हैं। इससे पहले किसी अन्य चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र से कोई न कोई एक विधायक ठाकुर समुदाय से बनता रहा है। अपने समाज का प्रतिनिधित्व न होने की टीस इस समुदाय में देखी जा सकती है। इसीलिए डा.रामलखन सिंह के पीछे हटने से अब यह वर्ग इस बात को लेकर आशान्वित है कि उनके वोट अब सीधे नरेन्द्र सिंह तोमर के हक में जा सकेंगे।

राजौरिया के आने से चौधरी के जाने का नहीं होगा असर

गत 20 अप्रैल को ब्राह्मण समुदाय से भाजपा के नेता चौधरी राकेश सिंह कांग्रेस में वापस चले गए हैं। उनकी घर वापसी को मुरैना में कांग्रेस उम्मीदवार रामनिवास रावत के हक में माना जा रहा था, लेकिन राजनीति के चतुर खिलाड़ी नरेन्द्र सिंह तोमर ने मौका भांपकर ब्राह्मण समुदाय के धाकड़ नेता रामप्रकाश राजौरिया को पार्टी में शामिल कराकर एक तरह से ब्राह्मण वोटबैंक को साधने का काम किया है। कृषि विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद सदस्य एवं समाजसेवी शिवराज शर्मा कहते हैं कि राजौरिया के भाजपा में आने से निसंदेह नरेन्द्र सिंह तोमर को लाभ मिलेगा। वे कहते हैं कि तोमर इतने चतुर खिलाड़ी हैं कि अपने किसी भी पांसे को पिटता हुआ नहीं देख पाएंगे । वक्त और जरूरत के हिसाब से परिस्थितियों को नरेन्द्र सिंह तोमर अपने हक में मोड़ना भी भलीभांति जानते हैं। सिकरवारीघार के बड़े नेता एवं पूर्व विधायक गजराज सिंह का पूरा समर्थन उन्हें होना बड़ी बात है।

वैश्य समाज की पंचायत पर नजर

26 अप्रैल को मुरैना में वैश्य समाज की बड़ी पंचायत हो रही है। पंचायत के कर्णधार केएस ऑयल इंडस्ट्रीज के मालिक रमेश गर्ग ने बुलाई है। गर्ग कांग्रेस का टिकट न मिलने से ज्योतिरादित्य सिंधिया से खफा हैं। नरेन्द्र सिंह तोमर इसी बात का लाभ उठाकर रमेश गर्ग को अपने पाले में लाना चाह रहे हैं। अगर ऐसा हो गया तो उनकी जीत में एक और मजबूत पत्थर जुड़ जाएगा। वर्ष 2009 के चुनाव में नरेन्द्र सिंह तोमर को वैश्य वर्ग का समर्थन मिला था और 2014 के चुनाव में भी यह वर्ग अनूप मिश्रा के साथ रह चुका है। सामान्यत: वैश्य मतदाताओं को भाजपा का पारंपरिक मतदाता माना जाता रहा है। युवा उद्यमी शोभित अग्रवाल कहते हैं कि मुरैना की स्थानीय राजनीति में अग्रवालों की कभी गुर्जर और मीणा (रावत) समुदाय से नहीं बनी है। इसलिए वैश्य मतदाता भाजपा के पक्ष में ही मतदान करेंगे (हिस/लाजपत अग्रवाल) ।

Updated : 23 April 2019 10:07 AM GMT
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Swadesh Digital

स्वदेश वेब डेस्क www.swadeshnews.in


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