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आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का कल होगा अनावरण, एकात्मधाम में होगी भारत की एकात्मकता की दिव्य अनुभूति

कुल 101 बटुकों द्वारा वेदोच्चार व शंखनाद के बीच मुख्यमंत्री और पूज्य संत एकात्मता की मूर्ति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।

आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का कल होगा अनावरण, एकात्मधाम में होगी भारत की एकात्मकता की दिव्य अनुभूति
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खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारेश्वर की नगरी में सनातन धर्म के पुनरुद्धारक, सांस्कृतिक एकता के देवदूत और अद्वैत वेदांत दर्शन के प्रखर प्रवक्ता 'आचार्य शंकर' (आदि शंकराचार्य) के जीवन एवं दर्शन को समर्पित "एकात्म धाम" का निर्माण किया जा रहा है। आचार्य शंकर के दर्शन के लोकव्यापीकरण के उद्देश्य से ओंकारेश्वर को अद्वैत वेदांत के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। अद्वैत लोक के शंकर संग्रहालय में अद्वैत वेदांत दर्शन के विभिन्न मूल्यों से परिचय कराने के लिये नवीन तकनीकी आधारित प्रकल्प विकसित किए गए हैं। शंकर संग्रहालय, एकात्म धाम का प्रमुख आकर्षण का केंद्र होगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कल गुरुवार 21 सितंबर को ओंकारेश्वर स्थित एकात्म धाम में आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने अपने निवास पर एकात्मता की प्रतिमा अनावरण कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 21 सितम्बर को ओंकारेश्वर में हो रहा "स्टैच्यु ऑफ वननेस" का अनावरण कार्यक्रम पूर्ण गरिमा, भव्यता और दिव्यता के साथ किया जाए। कार्यक्रम में शामिल होने वाले देश के सभी प्रमुख साधु-संतों का परंपरागत स्वागत-सत्कार किया जाए। वर्षा ऋतु को देखते हुए आयोजन स्थल तथा यातायात व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन विशेष रूप से संवेदनशील और सतर्क रहे तथा बिन्दुवार प्लानिंग करें।

केरल की धार्मिक परम्पराओं के अनुसार होगा साधु-संत का स्वागत

मुख्यमंत्री चौहान कल सुबह 11 बजे केरल की धार्मिक परम्पराओं अनुसार साधु-संतों का स्वागत करेंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री और पूज्य संतों द्वारा वैदिक यज्ञ अनुष्ठान में आहुति दी जाएगी। इस अवसर पर देशभर की शैव परंपरा के नृत्यों की प्रस्तुतियों के साथ ही भारतीय प्रदर्शनकारी शैलियों के कलाकारों द्वारा आचार्य प्रवर्तित पंचायतन पूजा परंपरा का प्रस्तुतिकरण होगा। मुख्यमंत्री तथा पूज्य संतों द्वारा एकात्मता की मूर्ति के अनावरण और अद्वैत लोक का भूमि एवं शिला-पूजन किया जाएगा। कुल 101 बटुकों द्वारा वेदोच्चार व शंखनाद के बीच मुख्यमंत्री और पूज्य संत एकात्मता की मूर्ति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।

निदिध्यासन केंद्र और नर्मदा विहार

ध्यान कें केंद्र के रूप में शंकर संग्रहालय में निदिध्यासन केंद्र स्थापित किया जाएगा। 300 व्यक्तियों की क्षमता वाले इस केंद्र का मुख्य विचार बिंदु अहम् ब्रह्मास्मि रहेगा। इस केंद्र की मुख्य गतिविधियाँ ध्यान, श्रवण, मनन और निदिध्यासन आदि के विचार पद्धति पर आधारित होगी। पर्यटकों के विशेष आकर्षण के रूप में शंकर संग्रहालय के निचले तल पर नर्मदा विहार निर्मित किया जाएगा। इसमें स्वचालित नौकाओं के माध्यम से पर्यटक नौका विहार कर सकेंगे।

कला वीथिका और शंकर स्तम्भ

आचार्य शंकर के जीवन, दर्शन तथा रचनाओं पर आधारित विभिन्न शैलियों यथा केरल म्यूरल, पट्टचित्र, कांगड़ा, मधुबनी, समकालीन विभिन्न शैलियों में देश के विख्यात चित्रकारों से चित्र बनवाये जा रहे हैं, जिनका प्रदर्शन कला वीथिका में किया जाएगा। एकात्मता की मूर्ति के नीचे मुख्य भवन में विशाल शंकर स्तम्भ होगा। शंकर स्तम्भ 45 फीट ऊँचा और इसका व्यास लगभग 100 फीट होगा। शंकर स्तंभ पर आदि शंकराचार्य के जीवन की 32 घटनाओं को प्रदर्शित किया जायेगा।

अन्नपूर्णा भोजनालय

अन्नपूर्णा भोजनालय, संग्रहालय के पूर्व में स्थित होगा, जिसमें 300 से 500 लोगों की बैठक व्यवस्था भवन के भीतर तथा 700-1000 लोगों के लिए बैठक व्यवस्था बाहर होगी। बैठक व्यवस्था पारम्परिक एवं आधुनिक दोनों शैली में होगी। अन्नपूर्णा में पधारने वाले सभी आगंतुकों के लिए विशेष व्यंजन “अद्वैतभोग” की भी व्यवस्था होगी जो सभी के लिये उचित दाम पर उपलब्ध होगा। मध्यप्रदेश के मुख्य व्यंजनों के साथ भारत के विभिन्न क्षेत्रों के विशेष व्यंजन भी उपलब्ध होंगे।

अद्वैत कलाग्राम और पंचायतन मन्दिर

मध्यप्रदेश एवं भारतवर्ष की समस्त लोक एवं क्षेत्रीय शिल्पों के प्रदर्शन और विक्रय के लिए अद्वैत कलाग्राम विकसित किया जा रहा है। कलाग्राम में दुकानों की वास्तुशैली पारम्परिक मन्दिर वास्तुशिल्प आधारित होगी। परिसर के बीच खुले स्थान पर कलाकारों द्वारा शिल्प कलाओं का लाइव डेमोंस्ट्रेशन किया जाएगा। आचार्य शंकर द्वारा पुनर्स्थापित पंचायतन पूजा पद्धति पर पंचायतन मन्दिर का निर्माण हो रहा है। मंदिर का निर्माण नागर शैली पर सम्पूर्णतः पत्थर से किया जाएगा। यहाँ पर नित्य पूजा अभिषेक होंगे तथा भक्त भी पूजा अभिषेक कर पायेंगे। बच्चों के विद्यारम्भ, उपनयन इत्यादि संस्कार के लिये व्यवस्था होगी।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

यक्षगान में कर्नाटक के 7 कलाकार , खरसवा छाऊ में झारखण्ड के 13, डेरुजंगम में हरियाणा के 12 , पेरिनी शिवतांडवम् में तेलंगाना के 13 , घण्टा व मृदंगम् में ओडीसा के 13 , ढोलूकुनीता में कर्नाटक के 13 , ओग्गूडोलू में तेलंगाना के 13 , गुरू वायाय्यलू में आन्ध्रप्रदेश के 11 , शिवबारात में उत्तरप्रदेश के 10 , श्मसान होली व अघोरी में उत्तरप्रदेश के 10, डमरू (बड़े) वादन में उत्तरप्रदेश के 20 , पुरलिया छाऊ में पश्चिम बंगाल के 13, छम नृत्य में हिमाचल/लेह लद्दाख के 8 , कथकली में केरल के 10, तैयम में केरल के 10 , हिल जाला में उत्तराखण्ड के 13 , मोनपा नृत्य में अरूणाचल प्रदेश के 10 और सिघी छम में सिक्किम-मानेस्ट्री के 8 कलाकार अपनी प्रस्तुतियाँ देंगे। वहीं कथक, भरतनाट्यम, मोहिनीअट्टम ,ओडिसी नृत्य में 20 – 20 कलाकारों की संख्या में नृत्य प्रस्तुतियाँ होंगी। साथ ही समकालीन नृत्य में 50 कलाकार प्रस्तुतियाँ देंगे। शंख वादन की प्रस्तुतियों में असम शंख में 20, भोरताल एवं बड़ी झाँझ – असम में 20, मणिपुरी शंख एवं पुंग में 20 और जोडी शंख – ओडीसा में 20 कलाकारों सहित कुल 80 कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियाँ होंगी।

Updated : 20 Sep 2023 2:42 PM GMT
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स्वदेश डेस्क

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