जनजाति अस्मिता और अस्तित्व दोनों की रक्षा करने की जरूरत : होसबाले

इंदौर। संघ शताब्दी वर्ष में संपर्क एवं संवाद के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में जनजाति विकास मंच द्वारा आयोजित मालवा प्रांत के जनजाति सामाजिक नेतृत्व एवं प्रमुखों के साथ संवाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले की उपस्थिति में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में मालवा प्रांत में जनजाति समाज नेतृत्व द्वारा जनजाति समाज के लिए स्वावलंबन, शिक्षा, नशामुक्ति, कुरीतियों के निवारण और विशेषकर धर्मांतरण को रोकने के लिए किए जाने वाले प्रयासों की जानकारी दी गई। 4 डी-दहेज, दारू, धर्मांतरण, डीजे पर रोक को लेकर समाज में व्यापक वातावरण निर्मिति और सतत प्रयास के बारे में बताया गया।
समाज के साथ चलें
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने समाज परिवर्तन हेतु किए जा रहे सभी प्रयासों की सराहना की तथा साथ ही सभी के बीच में भारत भूमि, भारत माता और जो हिंदू समानताएं है, उनके बारे में बताया। उन्होंने विभिन्न संगठनों, एकल अभियान, कल्याण आश्रम, सेवा भारती, जनजाति विकास मंच, जनजाति सुरक्षा मंच एवं स्वयंसेवकों द्वारा देशभर में जनजाति क्षेत्रों में शिक्षा, स्वावलंबन, कृषि, धर्म जागरण की दृष्टि से चलाए जा रहे प्रभावी कार्यों की जानकारी दी। आपने जनजाति अस्मिता एवं अस्तित्व दोनों की रक्षा करने की आवश्यकता बताई। अस्मिता क हमारी भाषा, परंपरा, मान्यताएं, क प्रकृति पूजन का संरक्षण साथ ही में अस्तित्व के लिए विकास, आधुनिकता, समाज के साथ कदमताल करने का संकल्पन लेकर चलना होगा।
भारत को भारत बनाए रखना ही हिन्दुत्व
आक्रांता राष्ट्र आज समाप्त हो गए हैं। भारत नित्य नूतन चिर पुरातन सनातन है। हम भी राम बन सकते हैं. यह इस भूमि की विशेषता है। नर से नारायण बन सकते हैं। भारत अपने लिए नहीं, विश्व के कल्याण के लिए ही जिया है। भारत को भारत बनाए रखने का नाम है 'हिन्दुत्व'। उन्होंने कहा एक ओर डीजे को रोकना है, वहीं दूसरी ओर दूसरे डीजे अर्थात धर्म जागरण बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा 'तू मैं एक रक्त' हम सभी एक भारतीय है, हम सभी भारत माता की संतान है- यही विचार सर्वोपरि है। कार्यक्रम में मालवा प्रांत के संघचालक डॉ. प्रकाश शास्त्री एवं भीमानायक वनांचल समिति के अध्यक्ष अजमेर सिंह भाबर मंच पर उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन खेमसिंह जामरा ने किया एवं प्रस्तावना रूपसिंह नागर ने रखी। कार्यक्रम के अंत में अजमेरसिंह ने आभार प्रकट किया।
